यूनेस्को के महानिदेशक से मिले रमेश पोखरियाल निशंक, शिक्षा की गुणवत्ता पर की गंभीर चर्चा

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने आज नई दिल्ली में महानिदेशक, ऑड्रे आज़ोले से मुलाकात की। उन्होंने भारत और यूनेस्को दोनों के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। सुश्री अज़ोले भारत की तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर हैं। इससे पहले पोखरियाल नवंबर 2019 में पेरिस में यूनेस्को के 40 वें आम सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए महानिदेशक से मिले थे। इस अवसर पर मंत्रालय अमित खरे, सचिव, मा.सं.वि.मं., रवि मित्तल, सचिव, सूचना एवं प्रसारण, यूनेस्को -प्रतिनिधिमंडल और वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

रमेश पोखरियाल ने महानिदेशक, यूनेस्को का स्वागत किया और ज़ोर देकर कहा कि भारत, यूनेस्को के संस्थापक सदस्य के रूप में विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों के माध्यम से अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि 70 करोड़ से अधिक युवाओं के साथ भारत में प्राथमिक, उच्च और तृतीयक- सभी स्तरों पर शिक्षा के मुद्दे यूनेस्को और भारत दोनों के लिए बहुत महत्व रखते हैं।

मंत्री और महानिदेशक ने उन माध्यमों पर चर्चा की जिसमें शिक्षा तकनीकी प्रगति जैसे सूचना प्रौद्योगिकी से लाभान्वित हो सकती है और इस डिजिटल युग में भविष्य के लिए इसे कैसे तैयार किया जा सकता है। लड़कियों के लिए शिक्षा और स्टेम में उनकी बढ़ती भागीदारी, व्यावसायिक शिक्षा, शिक्षक प्रशिक्षण, समाज के कमजोर और हाशिये के वर्गों के लिए शिक्षा और दिव्याङ्ग भी महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जो उनकी चर्चा के विषय रहे।

रमेश पोखरियाल ने अपनी बैठक में बताया कि भारत सरकार ने हाल ही में भारत-यूनेस्को सहयोग राष्ट्रीय आयोग का पुनर्गठन किया है। आयोग ने पिछले सप्ताह एक बहुत ही महत्वपूर्ण बैठक की जिसमें प्रत्येक क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों पर चर्चा की गई। इससे भी महत्वपूर्ण बात, आईएनसीसीयू के तहत पांच उप आयोगों के बीच सहयोग और समन्वित कार्यवाही को बढ़ावा देने पर और यूनेस्को के साथ हमारे जुड़ाव को आगे बढ़ाने के तरीके पर गहन विचार-विमर्श किया गया था।

रमेश पोखरियाल ने आगे कहा कि शैक्षिक मोर्चे पर, भारत सरकार 2030 सतत विकास लक्ष्य-4 की प्राप्ति के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। भारत सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के यूनेस्को के उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा की पहुंच, समरूपता और गुणवत्ता में सुधार के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं। मंत्री ने कहा कि एक नई शिक्षा नीति पर काम चल रहा है, जिसे हितधारकों के साथ परामर्श की सबसे बड़ी प्रक्रिया के बाद तैयार किया गया है। यह नीति सतत विकास लक्ष्य-4 को प्राप्त करने की दिशा में हमें काफी आगे ले जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि निष्ठ (NISHTHA) दुनिया का सबसे बड़ा शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम, उच्च शिक्षा संकाय के लिए लीप (LEAP) और अर्पित(ARPIT) जैसी पहलें, प्रधानमंत्री का नवीन शिक्षण कार्यक्रम ध्रुव(DHRUV), या मूक्स(MOOCS) पोर्टल स्वयं (SWAYAM) इस दिशा में सभी महत्वपूर्ण कदम हैं।

रमेश पोखरियाल ने कहा कि सरकार भारतीय विश्वविद्यालयों में विदेशी छात्रों के भारतीय विश्वविद्यालयों में नामांकन को प्रोत्साहित करने वाली स्पार्क(SPARC) जैसी योजनाओं के माध्यम से शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने के लिए भी काम कर रही है, जो भारतीय एवं विदेशी संस्थानों के बीच संयुक्त शोध एवं भारतीय संस्थानो के लिए अंतरराष्ट्रीय संकाय द्वारा शिक्षण के लिए ज्ञान (GIAN) कार्यक्रम को बढ़ावा देती है।

उन्होंने कहा कि भारत डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर नॉलेज शेयरिंग (DIKSHA), ऑपरेशन डिजिटल बोर्ड (ODB) – स्मार्ट क्लासरूम, मूक्स(MOOCS) पोर्टल स्वयं (SWAYAM) को अन्य सदस्य देशों के साथ साझा कर सकता है जिन्हें इसकी आवश्यकता है। इसी तरह निष्ठा(NISHTHA, लीप(LEAP) और अर्पित(ARPIT) जैसी पहल को अन्य सदस्य देशों के साथ साझा किया जा सकता है और इनसे सहयोग किया जा सकता है।

मंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी जिन मूल्यों के लिए खड़े थे, वे दुनिया भर में संपोषित और सम्मानित हैं। उन्होंने अपील की कि जब दुनिया महात्मा गांधी की 150 वीं वर्षगांठ मना रही है, भारत और यूनेस्को सदस्य देशों में समारोह आयोजित करने के लिए एक साथ आ सकते हैं। भारत महात्मा गांधी पर संवाद-आधारित और डिजिटल प्रदर्शनी के सहयोग कर सकता है। इसी तरह, सरदार पटेल और गुरु नानक पर प्रदर्शनी अन्य देशों में यूनेस्को द्वारा दिखाई जा सकती हैं।

पोखरियाल और सुश्री ऑड्रे अज़ोले ने आगामी 5 साल के लिए महात्मा गांधी शांति और सतत विकास शिक्षण संस्थान (MGIEP) को चलाने हेतु संचालक-समझौते पर हस्ताक्षर किए। एमजीआईईपी नई दिल्ली स्थित मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा पूर्ण-अभिरक्षित यूनेस्को की श्रेणी 1 का एक अनुसंधान संस्थान है, जो दुनिया भर में शांतिपूर्ण और सहिष्णु समाज के निर्माण के लिए शिक्षा के लिए सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 4.7 की पर केंद्रित है।

‘ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन फॉर ह्यूमैनिटी’ की अपनी दृष्टि के अनुरूप, संस्थान के कार्यक्रम और उत्पाद शिक्षा प्रणालियों में सामाजिक और भावनात्मक शिक्षण के लिए गढ़े गए हैं। ये डिजिटल शिक्षाशास्त्र को नया रूप देने और सतत विकास के 2030 के एजेंडे के केंद्र में युवाओं को वैश्विक नागरिकों के रूप में रखने के उद्देश्य से बने हैं ।

महानिदेशक, यूनेस्को और पोखरियाल ने महात्मा गांधी शांति और सतत विकास शिक्षण संस्थान (MGIEP) के परिसर की आधारशिला भी रखी। यूनेस्को की महानिदेशक, ऑड्रे अज़ोले 4 से 6 फरवरी, 2020 तक भारत की 3 दिवसीय यात्रा के लिए नई दिल्ली में हैं। उनकी यात्रा ने 1946 में अपनी स्थापना के बाद से यूनेस्को के साथ भारत के घनिष्ठ संबंधों और शांति और परस्पर संवाद प्रोत्साहित करने की साझा नैतिकता पर फिर से जोर दिया।

महानिदेशक अपनी यात्रा के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगी। ऑड्रे अज़ुले ने यूनेस्को के आदर्शों और मूल्यों के जीवंत अवतार महात्मा गांधी के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए राजघाट से अपनी यात्रा शुरू की। अक्टूबर 2018 में, यूनेस्को के कार्यकारी बोर्ड ने उनकी150 वीं जयंती मनाने के लिए ‘महात्मा गांधी की विरासत का स्मरण करते हुए’ शीर्षक से एक प्रस्ताव पारित किया था।

 

https://youtu.be/SHDVUQQlZW4

 

Related Articles

Back to top button