कमल कौर ‘भाभी’ का कातिल कैसे बना ‘हीरो’ ? क्यों और कौन बोला ‘कौम दा हीरा’ ? सड़कों पर लगे हत्यारे के पोस्टर

पंजाब में सोशल मीडिया प्रभावशाली कमल कौर ‘भाभी’ की निर्मम हत्या ने सबको हैरान कर दिया। घटना के मुख्य आरोपी, स्वघोषित धार्मिक संगठन ‘कौम दे रखे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंह मेहरों ने खुद इस हत्या की जिम्मेदारी स्वीकार की है। पुलिस ने दो सहयोगियों को गिरफ्तार किया है, जबकि मेहरों की गिरफ्तारी के लिए पुणे पुलिस द्वारा UAE से प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
हत्या का तरीका और साजिश का खुलासा
पुलिस जांच में सामने आया कि हत्या की योजनाएं लगभग तीन महीने पहले बन चुकी थीं। मेहरों और उसके साथियों ने कमल कौर की गतिविधियों पर नजर रखी, उनके सोशल मीडिया पर रेगुलर “मूल्यहिन” सामग्री पोस्ट करने का आरोप था । 9 जून 2025 को उसे बठिंडा बुलाकर उसकी कार में कमल कौर को शर्टबेल्ट से गला दबाकर हत्या कर दी गई। उसके बाद शव को करीब 2 बजे रात्रि को Adesh University के पार्किंग में फेंक दिया गया
आरोपी अमृतपाल की भागीदारी व फरारी
घटना के 7 घंटे बाद, मेहरों अमृतसर से UAE के लिए रवाना हो गया। पंजाब पुलिस ने विदेश में गिरफ्तारी के लिए लुकआउट नोटिस (LOC) जारी कर प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू की है ।
अतिरिक्त धमकियाँ और सख्त चेतावनी
मेहरों ने एक वीडियो जारी कर अन्य सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को धमकी दी—जैसे कि अमृतसर की दीपिका लूथरा को कहा “हर शहर की पार्किंग लॉट में जरूरी नहीं कि शरीर बरामद हों” ।
उससे पहले भी उसने कुछ इन्फ्लुएंसर्स को अश्लील कंटेंट पोस्ट करने के लिए चेतावनी दी थी।
‘कौम दा हीरा’ का सोशल मीडिया पर महिमामंडन, बन रहा ‘हीरो’
इस घटना के बाद जहां एक ओर लोगों में आक्रोश है, वहीं दूसरी तरफ कुछ कट्टरपंथी अमृतपाल सिंह मेहरों का महिमामंडन कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर उसे “कौम दा हीरा” (कौम का हीरा) बताया जा रहा है, और कुछ लोग उसके समर्थन में पोस्ट कर रहे हैं।
पुलिस कार्रवाई और गिरफ्तारी
हत्या में शामिल दो सहयोगी जसप्रीत सिंह (31) और निमरतजीत सिंह (21) को Bathinda पुलिस ने गिरफ्तार किया है
उनके बयान से स्पष्ट हुआ कि मेहरों भी हत्या में सक्रिय था और शव फेंकने के बाद सबूत भी मिटाने का प्रयास किया गया ।
पुलिस द्वारा मेहरों के 4 इंस्टाग्राम हैंडल बैन किए गए, क्योंकि उन पर उत्पन्न घृणास्पद भाषा और धमकियाँ पोस्ट की गई थीं ।
हिंसक चेतावनियों ने पंजाब की सोशल मीडिया समुदाय में भय फैला दिया है।महिला आयोग ने कहा कि धार्मिक आधार पर ऐसी ‘मोरल पुलिसिंग’ स्वीकार्य नहीं, और कंटेंट क्रिएटर्स की स्वतंत्रता को बचाने हेतु सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ।