संगीत सम्राट मोहम्मद रफी की याद में कार्यक्रम हुआ

मोहम्मद रफ़ी जिन्हें दुनिया रफ़ी या रफ़ी साहब के नाम से बुलाती है, हिन्दी सिनेमा के श्रेष्ठतम पार्श्व गायकों में से एक थे। अपनी आवाज की मधुरता और परास की अधिकता के लिए इन्होंने अपने समकालीन गायकों के बीच अलग पहचान बनाई। इन्हें शहंशाह-ए-तरन्नुम भी कहा जाता था। मोहम्मद रफ़ी का जन्म 24 दिसम्बर 1924 को अमृतसर, के पास कोटला सुल्तान सिंह में हुआ था। आरंभिक स्कूली पढ़ाई कोटला सुल्तान सिंह में हुई। जब मोहम्मद रफी करीब सात साल के हुए तब उनका परिवार रोजगार के सिलसिले में लाहौर आ गया। इनके परिवार का संगीत से कोई खास सरोकार नहीं था। जब रफ़ी छोटे थे तब इनके बड़े भाई की नाई की दुकान थी, रफ़ी का काफी वक्त वहीं पर गुजरता था। कहा जाता है कि रफ़ी जब सात साल के थे तो वे अपने बड़े भाई की दुकान से होकर गुजरने वाले एक फकीर का पीछा किया करते थे जो उधर से गाते हुए जाया करता था। उसकी आवाज रफ़ी को पसन्द आई और रफ़ी उसकी नकल किया करते थे। उनकी नकल में अव्वलता को देखकर लोगों को उनकी आवाज भी पसन्द आने लगी। लोग नाई की दुकान में उनके गाने की प्रशंशा करने लगे। लेकिन इससे रफ़ी को स्थानीय ख्याति के अतिरिक्त और कुछ नहीं मिला। इनके बड़े भाई मोहम्मद हमीद ने इनके संगीत के प्रति इनकी रुचि को देखा और उन्हें उस्ताद अब्दुल वाहिद खान के पास संगीत शिक्षा लेने को कहा। एक बार आकाशवाणी (उस समय ऑल इंडिया रेडियो) लाहौर में उस समय के प्रख्यात गायक-अभिनेता कुन्दन लाल सहगल अपना प्रदर्शन करने आए थे।

संगीत जगत में गायक मोहम्मद रफी साहब के योगदान को याद करते हुए स्वरंजनी संगीत परिवार 30 जुलाई 2023 को मोहम्मद रफी साहब की याद में एक कार्यक्रम करवाया गया। इस कार्यक्रम में श्री पुनीत कुमार, श्री राजेश मेहरा, श्री सुनील मंगोत्रा, श्री रमन शर्मा, श्री जीतेश कुमार, श्री मदन महक, श्री मदन ढींगरा, श्री रूप लाल शर्मा, श्री राजीव वर्मा, सरदार मनदीप सिंह, सरदार अमरजीत सिंह बाठ, सरदार मुखविंदर सिंह, सरदार हरपिंदर ढिल्लों और श्रीमति पूजा सिंह ने अपनी प्रस्तुति दी। मुख्य अतिथि के तौर पर श्रीमति राशि अग्रवाल, उपाध्यक्ष, पंजाब बीजेपी (महिला मोर्चा), वरिष्ठ पत्रकार श्री नीलकमल शर्मा, श्री नरेंद्र जसल, श्रीमति काजल खोसला जी और निधि अदलखा जी शामिल होंगे। इस पूरे कार्यक्रम का संचालन मिस शिरीन बमोत्रा जी मौजूद रहे। सभी ने रफी जी के गीतों को गाकर उनको शर्धांजिलि अर्पित की।

कुछ लोग दिल्ली से लुधियाना आए और इस कार्यक्रम में जुड़े

 

 

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