प्रयागराज अमावस्या स्नान आज, जानिए प्रशासन की ओर से कैसी है व्यवस्था

प्रयागराज, मेला क्षेत्र में लाउडस्पीकर पर ‘दो गज की दूरी, मुंह पर मास्क जरूरी” का लगातार घोषणा मेला प्रशासन कर रहा है लेकिन मेले की तरफ बढ़ रहे श्रद्धालुओं के रेले में मास्क और दूरी का कहीं पता नहीं। फूलपुर के श्रद्धालु रीतेश सिंह, पत्नी सुमित्रा देवी, बलराम सिंह और लालता प्रसाद का कहना है कि मेला में गंगा मइया की कृपा बरस रही है।

किसी को कुछ नहीं होगा। गंगा जल औषधि है, संगम में आस्था की एक डुबकी से लाखों गैलन औषधीय जल शरीर को धो देता है, कोरोना की क्या बिसात की वह श्रद्धालुओं को हाानि पहुंचा सके।


प्रयागराज में देवरहवा बाबा पीठ के पीठाधीश्वर आचार्य प्रपन्नाचार्य ने बताया कि मौनी अमावस्या पर गंगा नदी में स्नान करने से दैहिक (शारीरिक), दैविक (ग्रह. गोचरों का दुर्योग) और भौतिक (अनजाने में किया गया पाप) तीनों प्रकार के मनुष्य के पाप दूर हो जाते हैं। इस दिन स्वर्ग लोक के सारे देवी-देवता गंगा में वास करते हैं जो पापों से मुक्ति देते हैं।


उन्होने पुराणों का हवाला देते हुए कहा पुराणों और शास्त्रों में प्रयाराज की महत्ता और यहां स्नान दान और तप का विशेष महत्व बताया गया है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पतित पावनी गंगा श्यामल यमुना और पौराणिक सरस्वती के त्रिवेणी में माघ मास में धार्मिक अनुष्ठान के फलस्वरूप प्रतिष्ठानपुरी के नरेश पुरुरवा को अपनी कुरूपता से मुक्ति मिली थी।

यह वह प्रयाग है जहां भृगु ऋषि के सुझाव पर व्याघ्रमुख वाले विद्याधर और गौतम ऋषि द्वारा अभिशप्त इंद्र को भी माघ स्नान के महाम्त्य से ही श्राप से मुक्ति मिली थी।

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आचार्य ने बताया कि पुराणों में प्रयाग को तीर्थों का राजा कहा गया है। अयोध्या, मथुरा, पुरी, काशी, कांची, अवन्तिका (उज्जैन) और द्वारिकापुरी मोक्ष देने वाली रानियां हैं। काशी तीर्थराज को सबसे अधिक प्रिय हैं, इसलिए पटरानी का गौरव उन्हें प्राप्त है।

पटरानियों को मोक्ष देने का अधिकार तीर्थराज ने ही दिया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माघ मास में यहां स्नान करने आने वालों का स्वागत स्वयं नारायण करते हैं। ब्रह्मा, विष्णु, महेश, रूद्रगण तथा अन्य सभी देवी देवता माघ मास में संगम स्नान करते हैं।

 

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