शॉकिंग: PM Modi से ‘हिस्ट्रीशीटर’ की मुलाकात, विपक्ष ने BJP को बताया अपराधियों की “वॉशिंग मशीन”

कानपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के दौरान अपराधियों के साथ हुई कथित मुलाकात ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों में बीजेपी के स्थानीय नेता, जिनके खिलाफ गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, प्रधानमंत्री से मिलते नजर आ रहे हैं। इस पर कांग्रेस और सपा ने बीजेपी को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि “भाजपा अब अपराधियों की वॉशिंग मशीन बन गई है।”
कौन हैं वो चेहरे जिनसे हुई मुलाकात?
तस्वीरों में जिन लोगों को प्रधानमंत्री से मिलते देखा गया है उनमें भाजपा नेता संदीप ठाकुर, भाजयुमो प्रदेश मंत्री अरविंद राज त्रिपाठी, और पार्टी के कानूनी विभाग पदाधिकारी वीरेंद्र दुबे शामिल हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, ये सभी कानपुर के काकादेव और सीसामऊ थानों के हिस्ट्रीशीटर हैं और इन पर कई संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं।
पुलिस सत्यापन की अनदेखी, एसपीजी को मिली बिना जांच सूची
सामान्यतः प्रधानमंत्री से मुलाकात करने वालों की सूची का पुलिस व प्रशासनिक सत्यापन अनिवार्य होता है। लेकिन कानपुर दौरे के दौरान इस नियम को दरकिनार कर दिया गया। एडिशनल सीपी का कहना है कि यह सूची जिला प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई गई थी, जबकि ADM सिटी राजेश कुमार ने स्पष्ट कहा कि “भाजपा से जो सूची मिली, उसे हमनें आगे बढ़ा दिया। सत्यापन हमारा काम नहीं है।”
BJP के जवाब में सन्नाटा, विपक्ष का तीखा प्रहार
बीजेपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल ने माना कि संदीप, अरविंद और वीरेंद्र पार्टी पदाधिकारी हैं और प्रशासन को उनकी जानकारी दी गई थी। लेकिन जब उनसे पूछा गया कि ऐसे अपराधियों को पदाधिकारी क्यों बनाया गया, तो उन्होंने चुप्पी साध ली।
इस पर कांग्रेस महानगर अध्यक्ष पवन गुप्ता ने कहा, “हिस्ट्रीशीटर का प्रधानमंत्री से मिलना भाजपा के असली चरित्र को दर्शाता है।” वहीं, सपा जिलाध्यक्ष फजल महमूद ने बीजेपी को घेरते हुए कहा, “ये लोग राष्ट्रवाद की बातें करते हैं और अपराधियों को अपने साथ बैठाते हैं।”
विपक्ष ने बोला हमला: BJP बनी अपराधियों की वॉशिंग मशीन
कांग्रेस नगर ग्रामीण अध्यक्ष संदीप शुक्ला ने कहा,
“BJP अब एक वॉशिंग मशीन है, जहां अपराधियों के केस खत्म करवा कर उन्हें प्रधानमंत्री से मिलवाया जाता है।”
सपा और कांग्रेस दोनों ने इस मुद्दे को लेकर बीजेपी पर गंभीर नैतिक प्रश्न उठाए हैं।
एक गंभीर सवाल लोकतंत्र पर
इस घटना ने न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि लोकतंत्र की पारदर्शिता और प्रधानमंत्री की सुरक्षा प्रक्रिया पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं। यदि वाकई में हिस्ट्रीशीटर बिना जांच प्रधानमंत्री से मिल सकते हैं, तो यह केवल राजनीतिक नैतिकता नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी चिंता का विषय है।