PM मोदी का भोपाल दौरा: आदिवासी परंपरा से होगा पीएम का स्वागत

भोपाल. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 15 नवंबर को होने वाले दौरे से पहले जमीन से लेकर आसमान तक सुरक्षा जबरदस्त कड़ी कर दी गई है. इसे लेकर राजधानी भोपाल में पूरी रिहर्सल की गई. इस रिहर्सल में स्थानीय पुलिस के अलावा एसपीजी और पैरामिलिट्री फोर्स मौजूद थी. सुरक्षा के मद्देनजर एयरपोर्ट से लेकर जंबूरी मैदान और बीयू केंपस से लेकर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन तब चप्पे-चप्पे पर पुलिस कर्मी तैनात थे. उनके आने से 2 घंटे पहले एयर स्पेस खाली कर दिया जाएगा. उनका स्वागत आदिवासी परंपरा से होगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में 6 हजार से ज्यादा तैनात किए जाएंगे. वे यहां जनजातीय गौरव दिवस में शामिल होने आ रहे हैं. उनकी सुरक्षा को लेकर एयरपोर्ट, जंबूरी मैदान और बीयू कैंपस में अलग-अलग कारकेट तैनात हैं. एयरपोर्ट से प्रधानमंत्री मोदी हेलीकॉप्टर के जरिए जंबूरी मैदान पहुंचेंगे. जंबूरी मैदान में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के बाद वे हेलीकॉप्टर से बीयू कैंपस जाएंगे. बीयू कैंपस से मोदी का कारकेट सड़क मार्ग से चंद मिनटों में रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पहुंच जाएगा.

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 15 नवंबर को होने वाला दौरा भगवान का दर्जा प्राप्त कर चुके बिरसा मुंडा की जयंती पर हो रहा है. इस मौके पर वैसे तो जंबूरी मैदान पर कई कार्यक्रम होंगे, लेकिन एक कार्यक्रम और भी खास होगा. यहां जनजातीय नायकों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी. इस मौके पर आइए जानते हैं आखिर आदिवासियों के जननायकों का इतिहास है क्या और उनसे जुड़े तथ्य क्या हैं? बता दें, बिरसा मुंडा को उनके जीवन संघर्ष के लिए भगवान का दर्जा प्राप्त है. मुंडा विद्रोह के नेतृत्वकर्ता बिरसा मुंडा का जन्म नवंबर 1870 में हुआ था. 1 अक्टूबर 1894 को बिरसा मुंडा के नेतृत्व में मुंडाओं ने अंग्रेजों से लगान (कर) माफी के लिए आंदोलन किया. 1895 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और हजारीबाग केंद्रीय कारागार में 2 साल के कारावास की सजा दी गई. कारावास से मुक्त होने के बाद उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध सशस्त्र क्रांति का आवाहन किया जो मार्च 1900 में उनकी गिरफ्तारी तक सतत रूप से चलता रहा. कारावास में दी गई यातनाओं के कारण जून 1900 को रांची के कारावास में उनकी जीवन यात्रा समाप्त हुई.

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