पीएम मोदी ने कहा, स्वामीनारायण के नाम स्मरण से ही एक नव चेतना का संचार

जब विश्व में लैंगिक समानता जैसे शब्दों का जन्म भी नहीं हुआ था उस समय हमारे यहां गार्गी और मैत्रेयी जैसी विदुषियां शास्त्रार्थ कर रही थीं। महृषि वाल्मीकि के आश्रम में आत्रेयी भी पढ़ रही थीं।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्री स्वामीनारायण गुरुकुल राजकोट संस्थान के 75वें अमृत महोत्सव में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित कर रहे हैं। श्री स्वामीनारायण गुरुकुल राजकोट की यात्रा के 75 वर्ष ऐसे कालखंड में पूरे हो रहे हैं, जब देश अपनी आजादी के 75 वर्ष मना रहा है। इस गुरुकुल ने छात्रों के मन-मस्तिष्क को अच्छे विचारों और मूल्यों से सींचा है, ताकि उनका समग्र विकास हो सके।

इस अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि श्री स्वामीनारायण के नाम स्मरण से ही एक नव चेतना का संचार होता है। आज संतों के सानिध्य में में श्री स्वामीनारायण का नाम स्मरण एक अलग ही सौभाग्य का अवसर है। मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में इस संस्थान का भविष्य और भी यशस्वी होगा। हमारे गुरुकुल सदियों से समता, समानता और सेवाभाव की वाटिका की तरह रहे हैं। नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय भारत की इस गुरुकुल परंपरा के वैश्विक वैभव के पर्याय हुआ करते थे। खोज और शोध, ये भारत की जीवन पद्धति का हिस्सा थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 2014 के बाद मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 65% से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए देश पहली बार उस शिक्षा व्यवस्था को तैयार कर रहा है जो फॉरवर्ड लुकिंग (दूरंदेशी) है। देश आजाद होने के बाद हम पर जिम्मेदारी थी कि शिक्षा के क्षेत्र में हम अपने प्राचीन वैभव और महान गौरव को पुनर्जीवित करें। स्वामीनारायण गुरुकुल इसी गौरव का उत्कृष्ट उदहारण है।

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