यूपी के पीलीभीत में 61 परिवारों की धर्म वापसी, 4 गांवों के लोगों ने दोबारा अपनाया सिख धर्म.. अबतक मान रहे थे ये धर्म

पीलीभीत जिले के हजारा क्षेत्र में सोमवार को एक विशेष सिख सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य धर्म परिवर्तन की घटनाओं पर चर्चा करना और समाज को इसके प्रभावों के प्रति जागरूक करना था। इस सम्मेलन में कई गुरुद्वारों से आए सिख धर्मगुरुओं और उपदेशकों ने भाग लिया और लोगों को अपनी धार्मिक जड़ों से जुड़ने का आह्वान किया।

चार गांवों के 61 परिवारों की ‘धर्म वापसी’ का दावा

सम्मेलन के दौरान आयोजकों की ओर से यह दावा किया गया कि चार गांवों के कुल 61 परिवारों ने ईसाई धर्म अपनाने के बाद अब पुनः सिख धर्म में वापसी की है। यह परिवार पहले सिख धर्म के अनुयायी थे, लेकिन बाद में ईसाई धर्म अपना लिया था। अब उन्होंने फिर से अपने मूल धर्म में लौटने का निर्णय लिया है।

गुरुद्वारा प्रतिनिधियों की मौजूदगी में लिया गया संकल्प

धर्मगुरुओं और समाज के वरिष्ठ सदस्यों की उपस्थिति में इन परिवारों ने दोबारा से गुरमत मार्ग को अपनाने का संकल्प लिया। कार्यक्रम के दौरान अरदास (प्रार्थना) और शुद्धि प्रक्रिया के अंतर्गत इनकी वापसी को विधिवत रूप से मान्यता दी गई।

स्थानीय ग्रामीणों में धर्मांतरण को लेकर चिंता

इस पूरे प्रकरण ने स्थानीय स्तर पर एक नई बहस छेड़ दी है। धर्मगुरुओं ने अपने संबोधनों में बताया कि आर्थिक और सामाजिक दबावों के चलते कई परिवार धर्म परिवर्तन कर लेते हैं, परंतु जब उन्हें मूल संस्कृति और धार्मिक शिक्षा का महत्व समझ में आता है, तो वे वापसी करते हैं।

सिख संगठनों ने की चेतावनी और अपील

सिख प्रतिनिधियों और समाजसेवियों ने इस अवसर पर कहा कि जो लोग लालच या भ्रम फैलाकर धर्म परिवर्तन करवा रहे हैं, उनके खिलाफ प्रशासन को सख्त कदम उठाने चाहिए। साथ ही, उन्होंने ग्रामीण समुदाय से अपील की कि वे किसी भी निर्णय से पहले अपने धर्म और परंपराओं को गहराई से समझें।

धार्मिक स्वतंत्रता बनाम सामाजिक हस्तक्षेप

यह घटना केवल एक धार्मिक वापसी की नहीं, बल्कि भारतीय समाज में धार्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक प्रभाव के बीच बढ़ते तनाव की भी प्रतीक है। यह भी स्पष्ट हुआ कि धार्मिक संगठन अब इस विषय को गंभीरता से लेते हुए जनसंपर्क और संवाद के माध्यम से अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं।

 

 

 

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