फिल्मी स्टाइल में कत्ल ! शादी के गिफ्ट में ‘बम’, दूल्हे समेत दो की मौत.. कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा

23 फरवरी 2018 को ओडिशा के बलांगीर जिले के पटनागढ़ में एक नवविवाहित जोड़े के घर आए शादी के उपहार में विस्फोट हुआ, जिसमें 26 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर सौम्य शेखर साहू और उनकी 85 वर्षीय दादी जेमामणि साहू की मौत हो गई। सौम्य की पत्नी रिमा साहू गंभीर रूप से घायल हुईं और उन्हें एक महीने से अधिक समय तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा ।

आरोपी का परिचय और हत्या की योजना

आरोपी पुंजीलाल मेहर, जो कि स्थानीय कॉलेज में अंग्रेजी के लेक्चरर थे, ने पेशेवर ईर्ष्या के चलते यह साजिश रची। सौम्य की मां संजुक्ता साहू ने पुंजीलाल को कॉलेज के प्राचार्य पद से हटाकर स्वयं यह पद संभाला था, जिससे नाराज होकर पुंजीलाल ने बदला लेने की योजना बनाई ।

बम बनाने और भेजने की प्रक्रिया

पुंजीलाल ने इंटरनेट से बम बनाने की विधि सीखी और पटाखों से निकाले गए गनपाउडर का उपयोग कर बम तैयार किया। उन्होंने यह पार्सल रायपुर से एक फर्जी नाम से भेजा, ताकि उनकी पहचान न हो सके। उन्होंने अपने मोबाइल फोन को घर पर छोड़ दिया और बिना टिकट यात्रा की, और ध्यान रखा कि सीसीटीवी फुटेज में उनकी मौजूदगी न हो ।

जांच और सबूत

शुरुआत में पुलिस के पास कोई ठोस सबूत नहीं था, लेकिन एक गुमनाम पत्र और उसकी हैंडराइटिंग के विश्लेषण से जांच में प्रगति हुई। पुलिस ने पुंजीलाल के कब्जे से पत्र, प्रिंटर और अन्य सामग्री बरामद की, जो बम बनाने में उपयोग की गई थी। वैज्ञानिक परीक्षणों से इन सबूतों की पुष्टि हुई ।

अदालत का फैसला

28 मई 2025 को बलांगीर जिला अदालत ने पुंजीलाल मेहर को भारतीय दंड संहिता की धाराओं 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 201 (सबूत नष्ट करना) और विस्फोटक अधिनियम की धाराओं के तहत दोषी ठहराया। उन्हें आजीवन कारावास और ₹1.40 लाख का जुर्माना लगाया गया ।

परिवार की प्रतिक्रिया और आगे की कार्रवाई

सौम्य के परिवार ने अदालत के फैसले का स्वागत किया, हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई थी कि आरोपी को मृत्युदंड दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि वे किसी भी क्षमादान याचिका का विरोध करेंगे और न्याय की पूरी प्रक्रिया का पालन करेंगे ।

न्याय की जीत

पटनागढ़ पार्सल बम कांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। सात साल की लंबी जांच और कानूनी प्रक्रिया के बाद न्यायालय का यह फैसला पीड़ित परिवार के लिए राहत लेकर आया है। यह मामला भारतीय न्याय प्रणाली की दृढ़ता और निष्पक्षता का प्रतीक बन गया है।

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