फिर चर्चा में आया ज्योति मौर्या केस; पति पहुंचा हाई कोर्ट, कर दी बड़ी मांग, जानिए चौंकाने वाली अपडेट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने PCS अधिकारी ज्योति मौर्य को एक अहम मामले में नोटिस जारी किया है, जो उनके पति आलोक मौर्य द्वारा दायर गुजारा भत्ता (एलिमनी) की याचिका से जुड़ा है। मामला समाज में लिंग-निरपेक्ष कानूनों की गंभीर समझ और तलाक से जुड़े आर्थिक अधिकारों की ओर ध्यान आकर्षित कर रहा है।

पति ने पत्नी से मांगा गुजारा भत्ता, कोर्ट ने भेजा नोटिस

आलोक मौर्य ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर अपनी पत्नी ज्योति मौर्य से भरण-पोषण (Maintenance) की मांग की है। उन्होंने बताया कि वे एक मामूली सरकारी नौकरी में कार्यरत हैं और कई बीमारियों से ग्रसित हैं, जबकि उनकी पत्नी एक प्रशासनिक अधिकारी हैं और बेहतर आर्थिक स्थिति में हैं। फैमिली कोर्ट द्वारा उनकी याचिका को खारिज किए जाने के बाद, अब उन्होंने हाईकोर्ट में अपील की है।

फैमिली कोर्ट के फैसले को दी हाईकोर्ट में चुनौती

यह मामला तब सामने आया जब आलोक ने प्रयागराज फैमिली कोर्ट द्वारा 4 जनवरी 2025 को खारिज की गई याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी। फैमिली कोर्ट ने भरण-पोषण की मांग को खारिज कर दिया था, जिसके खिलाफ आलोक ने प्रथम अपील की है। साथ ही उन्होंने 77 दिन की देरी से याचिका दाखिल करने पर देरी माफी की अर्जी भी दी है।

क्या कहता है कानून ? पति भी मांग सकता है एलिमनी

आलोक मौर्य ने अपनी याचिका हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 24 के तहत दाखिल की है। यह कानून लिंग-निरपेक्ष है और इसमें स्पष्ट प्रावधान है कि तलाक या वैवाहिक विवादों के दौरान, पति या पत्नी में से कोई भी पक्ष, अगर आर्थिक रूप से कमजोर हो, तो वह गुजारा भत्ता मांग सकता है। इस प्रावधान का लाभ पुरुष भी ले सकते हैं, बशर्ते वे यह साबित कर सकें कि वे आत्मनिर्भर नहीं हैं और उनकी पत्नी की आय पर्याप्त है।

8 अगस्त को होगी अगली सुनवाई

हाईकोर्ट की खंडपीठ जिसमें न्यायमूर्ति अरिंदम सिन्हा और डॉ. योगेन्द्र कुमार श्रीवास्तव शामिल हैं, ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 8 अगस्त 2025 की तारीख निर्धारित की है। साथ ही कोर्ट ने आलोक को फैमिली कोर्ट के फैसले का अंग्रेजी अनुवाद जमा करने का भी निर्देश दिया है।

शादी और वैवाहिक इतिहास: कहां बिगड़े रिश्ते ?

साल 2010 में ज्योति मौर्य और आलोक मौर्य की शादी हुई थी। आलोक मौर्य की नियुक्ति 2009 में पंचायती राज विभाग में सफाई कर्मचारी के तौर पर हुई थी। उन्होंने दावा किया है कि उन्होंने प्रयागराज में अपनी पत्नी की पढ़ाई और करियर के लिए हर संभव सहायता की थी। हालांकि, जब ज्योति ने 2015 में PCS परीक्षा पास कर SDM पद पर नियुक्ति पाई, तो उनके व्यवहार में परिवार के प्रति बदलाव आने लगा। इसके बाद वैवाहिक संबंधों में तनाव बढ़ता गया।

तलाक की प्रक्रिया और याचिकाएं

ज्योति मौर्य ने प्रयागराज की फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल की है, जो अभी लंबित है। इसी दौरान आलोक ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 के तहत गुजारा भत्ता मांगा, जिसे पहले खारिज कर दिया गया था। अब हाईकोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई की तैयारी है।

 

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