मारे गए ‘पहलगाम’ हमले के आतंकी ? संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के बीच हुआ ‘Operation Mahadev’ !

पहलगाम आतंकी हमले के तीन महीने बाद सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता हाथ लगी है। सूत्रों के अनुसार, 26 लोगों की जान लेने वाले इस हमले के तीन संदिग्ध पाकिस्तानी आतंकियों को श्रीनगर के लिडवास इलाके में एक मुठभेड़ में मार गिराया गया। यह कार्रवाई भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और CRPF के संयुक्त ऑपरेशन “महादेव” के तहत की गई।

श्रीनगर में छिपे थे आतंकी, ऑपरेशन महादेव के तहत घेरा

मुठभेड़ श्रीनगर के लिडवास इलाके में हुई, जो महादेव और ज़बरवान की पहाड़ियों के बीच स्थित है। यही कारण है कि इस कार्रवाई को “ऑपरेशन महादेव” नाम दिया गया। सुरक्षाबलों को जानकारी मिली थी कि इलाके में तीन विदेशी आतंकी छिपे हुए हैं, जिसके बाद ऑपरेशन की रणनीति बनाई गई और सुरक्षाबलों ने इलाके को चारों ओर से घेर लिया।

सेना ने तकनीकी इनपुट और स्थानीय सूत्रों से जुटाई जानकारी

सूत्रों के मुताबिक, जुलाई के शुरू में दाचीगाम जंगल में संदिग्ध संचार गतिविधि ट्रैक की गई थी। इसके बाद सेना को इन आतंकियों की मौजूदगी की भनक लगी। स्थानीय बकरवाल समुदाय (घुमंतू लोग) से भी आतंकियों को लेकर अहम इनपुट मिला, जिसने ऑपरेशन की पुष्टि की।

24 RR और 4 PARA की टीम ने मुठभेड़ में तीनों आतंकियों को किया ढेर

सोमवार सुबह करीब 11:30 बजे, 24 राष्ट्रीय राइफल्स (RR) और 4 पैरा की संयुक्त टीम ने इलाके में आतंकियों की गतिविधि को ट्रैक किया। चौंकाने वाली रणनीति और बेहतर सामरिक योजना के जरिए तीनों आतंकियों को मार गिराया गया। फिलहाल शवों की पहचान प्रक्रिया चल रही है, जिसके बाद इनका पहलगाम हमले से कनेक्शन साबित या खारिज किया जाएगा।

आतंकियों के पास से भारी हथियार और राशन बरामद

मुठभेड़ के बाद सुरक्षाबलों को आतंकियों के ठिकाने से कई ग्रेनेड और बड़ी मात्रा में राशन बरामद हुआ है। यह इंगित करता है कि वे लंबे समय तक पहाड़ी इलाके में छिपे रहने की तैयारी में थे। सुरक्षा एजेंसियां बरामद सामान की फोरेंसिक जांच कर रही हैं।

एनआईए पहले ही दो स्थानीय सहयोगियों को कर चुकी है गिरफ्तार

इससे पहले, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने परवेज अहमद जौथर और बशीर अहमद नामक दो स्थानीय लोगों को आतंकियों को पनाह देने के आरोप में गिरफ्तार किया था। दोनों पर आतंकियों को रसद और सुरक्षित ठिकाने उपलब्ध कराने का आरोप है।

22 अप्रैल का नरसंहार: पहलगाम में निर्दोषों पर बर्बर हमला

यह मुठभेड़ संसद में पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर हो रही बहस के दिन ही हुई है, जिससे इसे और भी अधिक राजनीतिक और रणनीतिक महत्व मिला है।
22 अप्रैल 2025 को कश्मीर की बेसरन वैली, जिसे “मिनी स्विट्ज़रलैंड” भी कहा जाता है, में आतंकियों ने पिकनिक मना रहे 26 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी थी। हमले की जिम्मेदारी TRF (The Resistance Front) ने ली थी, जो पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का ही एक हिस्सा है।

गैर-मुस्लिम पुरुषों को बनाया गया था निशाना

जांच में यह बात सामने आई कि आतंकियों ने विशेष रूप से पुरुषों को निशाना बनाया, और पहचान के बाद गैर-मुस्लिमों को गोली मार दी गई। यह घटना बीते वर्षों में कश्मीर में हुआ सबसे घातक आतंकी हमला साबित हुई थी।

ऑपरेशन महादेव: आतंकवाद के खिलाफ जवाब या जवाबी रणनीति?

पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकियों के खिलाफ कई गुप्त अभियानों की शुरुआत की थी। लेकिन अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह सिर्फ एक संयोग है कि जिस दिन संसद में विपक्ष सरकार से पूछताछ करने जा रहा था — कि तीन महीने बीत जाने के बावजूद पहलगाम हमले के दोषियों को पकड़ा क्यों नहीं गया, ठीक उसी दिन, संसद में बहस शुरू होने से महज़ एक घंटे पहले ही तीनों संदिग्ध आतंकियों को श्रीनगर में मार गिराया गया?
क्या यह सरकार की जवाबी रणनीति थी या फिर विपक्ष की आलोचना को शांत करने की कोशिश? संसद में अब इस मुठभेड़ के समय और उद्देश्य को लेकर नई बहस छिड़ सकती है।

संसद में बहस से पहले आतंक के खिलाफ मैदान में जवाब

जहाँ एक ओर विपक्ष संसद में सरकार को घेरे जाने की तैयारी कर रहा था, वहीं सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों को मैदान में मुंहतोड़ जवाब दिया। ऑपरेशन महादेव की यह सफलता भारत की आतंक के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस नीति का ताजा उदाहरण है।

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