‘Operation Mahadev’ पर अखिलेश यादव का सवाल – “आखिर कल ही कैसे मारे गए पहलगाम के दोषी ?”

नई दिल्ली | 29 जुलाई 2025: संसद के मानसून सत्र के सातवें दिन भी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर सरकार को विपक्ष के तीखे सवालों का सामना करना पड़ा। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाते हुए पूछा कि पाकिस्तान के पीछे कौन सा देश है और सरकार चीन की ओर से बढ़ते खतरों को कैसे टाल रही है। वहीं कांग्रेस और सपा के अन्य नेताओं ने भी केंद्र सरकार पर हमले को लेकर जवाबदेही तय करने की मांग की।

ऑपरेशन महादेव की टाइमिंग पर भी अखिलेश ने उठाए सवाल

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार से पूछा कि क्या ऑपरेशन महादेव की टाइमिंग महज संयोग थी या इसके पीछे कुछ और था। उन्होंने कहा कि जिस दिन संसद में सरकार को पहलगाम हमले को लेकर जवाब देना था, ठीक उसी दिन और उसी जवाब से एक घंटे पहले ऑपरेशन महादेव हो गया और उसमें वही तीन आतंकी मार गिराए गए जो पहलगाम हमले के दोषी थे। यह संयोग नहीं हो सकता।

दरअसल, विपक्ष लगातार यह सवाल उठा रहा था कि पहलगाम हमले के दोषी आतंकियों को अब तक क्यों नहीं पकड़ा गया या मारा गया, जबकि तीन महीने से उनका कोई सुराग नहीं था। ऐसे में ठीक संसद में जवाब देने से पहले उन आतंकियों को मार गिराने का दावा करना संदेह पैदा करता है। अखिलेश ने पूछा—”क्या यह सिर्फ इत्तफाक है या फिर दाल में कुछ काला है?”

“नींबू-मिर्ची से एयरक्राफ्ट नहीं उड़ते” – अखिलेश यादव

लोकसभा में बोलते हुए अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए पूछा, “जिन एयरक्राफ्ट की नींबू और मिर्च लगाकर पूजा की गई थी, वो कितनी बार उड़े?” उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि पहलगाम में जो हमला हुआ, उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? अनुच्छेद 370 हटाने के बाद सरकार ने दावा किया था कि अब कश्मीर में कोई आतंकी हमला नहीं होगा। ऐसे में पहलगाम की घटना सरकार की विफलता नहीं तो और क्या है?

“पाकिस्तान के पीछे कौन है, चीन से खतरा उतना ही बड़ा”

अखिलेश यादव ने कहा, “सरकार को यह साफ करना चाहिए कि पाकिस्तान के पीछे कौन-सा देश खड़ा है। हमें चीन से भी उतना ही खतरा है जितना आतंकवाद से।” उन्होंने सरकार की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि सरकार की नीतियां उलझी हुई हैं और इससे दुश्मनों को मदद मिल रही है।

“सीजफायर किस दबाव में स्वीकार किया गया?”

सपा अध्यक्ष ने सरकार से यह भी पूछा कि आखिर किस दबाव के चलते सीजफायर स्वीकार किया गया? उन्होंने कहा, “कुछ लोग कहते थे कि 6 महीने मिल जाएं तो PoK हमारा होगा। लेकिन जब सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत करवाई की, तब सरकार ने सीजफायर क्यों स्वीकार कर लिया? क्या अंतरराष्ट्रीय दबाव था या अंदरूनी राजनीतिक मजबूरी?”

“पर्यटक पूछ रहे थे – हमारी रक्षा कौन करेगा?”

अखिलेश यादव ने पहलगाम हमले को लेकर कहा कि उस दिन हर पर्यटक खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा था। “लोग पूछ रहे थे कि हमारी रक्षा करने वाला कौन है? जो सरकार दावा करती है कि अनुच्छेद 370 के बाद कश्मीर में सब कुछ ठीक हो गया है, वहां लोग उसी भरोसे पर गए थे। अब जब हमला हुआ तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?”

“सरकार ने देश को ट्रेडर्स कंट्री बना दिया है”

सपा प्रमुख ने कहा, “सरकार की आर्थिक नीतियों ने देश को ट्रेडर्स कंट्री बना दिया है। करप्शन हर जगह लीक होकर टपक रहा है। सरकार को चाहिए कि वह राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक मोर्चे पर SIR (सिस्टमेटिक, इनवेस्टिगेटिव, रेस्पॉन्सिबल) योजना लेकर आए।” उन्होंने सरकार पर चूक का बहाना बनाकर बचने का आरोप भी लगाया।

“सरकार जवाब देने से भाग रही है” – कांग्रेस-सपा

मऊ से सपा सांसद राजीव राय ने कहा कि सरकार सवालों से भाग रही है। “विदेश मंत्री डोनाल्ड ट्रंप की बात कर रहे थे, लेकिन सवालों का जवाब नहीं दिया। अगर उन्होंने ट्रंप से बात नहीं की, तो क्या ट्रंप महाभारत के संजय हैं जो सब देख सकते हैं?”

कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने प्रधानमंत्री से नैतिक जिम्मेदारी लेने की मांग की। उन्होंने पूछा, “डोनाल्ड ट्रंप 28 बार कह चुके हैं कि उन्होंने सीजफायर कराया। इसका स्पष्टीकरण सरकार क्यों नहीं दे रही? पहलगाम में बहनों का सिंदूर उजाड़ा गया, उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?”

“हमारी सेना तैयार थी, लेकिन सरकार ने रोक दिया”

अखिलेश यादव ने कहा कि सेना पूरी तरह से तैयार थी। “सेना ने जब ऑपरेशन शुरू किया तो टेरर कैंप और एयरबेस तक को निशाना बनाया, लेकिन सरकार ने उसे रोक दिया। अगर हमारी सेना पाकिस्तान को सबक सिखा सकती थी, तो उसे करने क्यों नहीं दिया गया?”

विपक्ष ने उठाए गंभीर सवाल, सरकार के जवाब का इंतज़ार

संसद के भीतर और बाहर विपक्ष लगातार सरकार की भूमिका और ऑपरेशन सिंदूर के पीछे की रणनीति पर सवाल खड़ा कर रहा है। सीजफायर, सुरक्षा चूक, विदेश नीति और कश्मीर की स्थिति जैसे अहम मुद्दों पर केंद्र सरकार को विपक्ष से कड़ी घेराबंदी का सामना करना पड़ रहा है। अब देखना यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन सवालों का सदन में क्या जवाब देते हैं।

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