दुनियाभर में 1 हजार लोग पढ़ सकते हैं आपका वॉट्सऐप मैसेज;

जानें आपकी प्राइवेट बातचीत का कहां-कहां हो सकता है इस्तेमाल

प्राइवेसी को लेकर वॉट्सऐप एक बार फिर सुर्खियों में है। इन्वेस्टिगेटिव वेबसाइट ProPublica ने एक रिपोर्ट में खुलासा किया है कि वॉट्सऐप ने करीब 1 हजार कंटेट रिव्यूअर को हायर कर रखा है। ये कंटेंट रिव्यूअर वॉट्सऐप पर भेजे जा रहे कंटेंट को देखते हैं। यानी वॉट्सऐप पर आपका कंटेंट पूरी तरह प्राइवेट नहीं है।

ProPublica की इस रिपोर्ट के बाद बहस छिड़ गई है। दरअसल, वॉट्सऐप दावा करता है कि उसके यूजर का कंटेंट एंड-टू-एंड इनक्रिप्टेड है। यानी वॉट्सऐप यूजर क्या शेयर कर रहे हैं, ये कंपनी को भी नहीं पता होता, लेकिन इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वॉट्सऐप के कर्मचारी यूजर्स का कंटेंट पढ़, देख और सुन रहे हैं।

समझते हैं, ProPublica की रिपोर्ट क्या कह रही है? इसको लेकर क्या विवाद है? वॉट्सऐप ने इस मामले पर क्या कहा है? और क्या वॉट्सऐप पर आपका कंटेंट सेफ है?

सबसे पहले समझिए पूरा मामला क्या है?
ProPublica ने एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वॉट्सऐप ने करीब 1 हजार ऐसे लोगों को हायर कर रखा है, जो यूजर्स के कंटेंट की जांच करते हैं। इसके लिए कर्मचारियों को एक स्पेशल सॉफ्टवेयर दिया गया है। ये कर्मचारी ऑस्टिन, टेक्सास, डबलिन और सिंगापुर के ऑफिस से कामकाज करते हैं।

इन्हें टेक कंपनी एसेंचर के जरिए अपॉइंट किया जाता है। अपॉइंटमेंट के वक्त इन्हें ‘कंटेंट रिव्यूअर’ की पोजिशन दी जाती है। इस काम के लिए इन मॉडरेटर्स को एक घंटे के लिए करीब 1200 रुपए मिलते हैं।

कैसे काम करती है ये टीम?
इस टीम को वॉट्सऐप ने एक स्पेशल सॉफ्टवेयर दिया है। इस सॉफ्टवेयर के जरिए ये टीम उन मैसेजेस को पढ़ सकती है, जिन्हें वॉट्सऐप के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने हेट स्पीच या दूसरे किसी कैटेगरी के लिए आइडेंटीफाई किया है। टीम चाहे तो कंटेंट को बैन कर सकती है, बाद में जांच के लिए टैग कर सकती है या बिना कोई एक्शन लिए छोड़ सकती है।

इस मामले पर वॉट्सऐप का क्या कहना है?
वॉट्सऐप के डायरेक्टर ऑफ कम्युनिकेशन्स कार्ल वूग ने माना है कि ऑस्टिन और बाकी जगहों पर कॉन्ट्रैक्टर्स की एक टीम है जो मैसेजेस को पढ़ती है, लेकिन ये टीम केवल ऐसे ही कंटेंट को पढ़ सकती है, जिसे रिपोर्ट किया गया है। उनका कहना है कि इस टीम का काम केवल ऐसे कंटेंट को पढ़ना है जिसे यूजर धोखाधड़ी, चाइल्ड पोर्नोग्राफी, हेट स्पीच, आतंंकवादी साजिश और दूसरी किसी कैटेगरी में रिपोर्ट करते हैं।

तो क्या आपके मैसेजेस भी देखे जा सकते हैं?
सायबर एक्सपर्ट सनी वाधवानी और अविनाश जैन के मुताबिक, ऐसा नहीं है। वॉट्सऐप केवल वही कंटेंट देख रही है, जिसे रिपोर्ट किया गया है। कंपनी के पास किसी कंटेंट के रिपोर्ट की शिकायत जाती है तो उसे रिव्यू के लिए कंटेंट को देखना ही पड़ेगा।

इसे एक उदाहरण से समझिए, आपने किसी वॉट्सऐप मैसेज को पोर्नोग्राफिक कंटेंट के लिए रिपोर्ट किया। आपकी रिपोर्ट कंपनी के पास जाएगी। अब कंपनी बिना कंटेंट को देखे कैसे आपकी रिपोर्ट पर कार्रवाई कर सकती है? आपकी रिपोर्ट पर कार्रवाई के लिए जरूरी है कि पहले कंटेंट को देखा जाए। उसके बाद ही कंटेंट पोर्नोग्राफिक है या नहीं इसका फैसला लिया जाएगा।

अगर वॉट्सऐप मेरा कंटेंट देख भी रही तो मुझे क्या नुकसान है?
आप सोच रहे होंगे कि मैं तो वॉट्सऐप पर केवल दोस्तों से बातचीत करता हूं। अगर वॉट्सऐप उसे देख भी ले तो मुझे कोई नुकसान नहीं है। दरअसल, बात यह नहीं है। वॉट्सऐप आपकी बातचीत का इस्तेमाल एडवर्टाइजमेंट के लिए कर सकता है।

अक्सर आपने देखा होगा कि गूगल पर कुछ सर्च करने के बाद उसी से जुड़े एड आपके सोशल मीडिया पर दिखने लगते हैं। ठीक उसी तरह वॉट्सऐप भी आपके डेटा का इस्तेमाल कर सकता है। आपने अपने दोस्तों से कहीं घूमने जाने की बात की। वॉट्सऐप इस बातचीत को ट्रैवल कंपनियों के साथ शेयर कर आपको ट्रैवल से रिलेटेड एड दिखा सकता है। बदले में कंपनियों से वॉट्सऐप पैसे लेगा।

तो क्या वॉट्सऐप का एंड-टू-एंड इनक्रिप्शन बस पब्लिसिटी स्टंट है?
वॉट्सऐप अपने यूजर्स को एंड-टू-एंड इनक्रिप्शन की सिक्योरिटी देने का वादा करता है। वॉट्सऐप की वेबसाइट के मुताबिक, एंड-टू-एंड इनक्रिप्शन का मतलब है कि वॉट्सऐप के जरिए जो भी कंटेंट आप भेज रहे हैं, उसे आपके और रिसीवर के अलावा और कोई नहीं पढ़ सकता। खुद वॉट्सऐप भी नहीं।

सनी वाधवानी के मुताबिक, आपका कंटेंट एंड-टू-एंड इनक्रिप्टेड ही है। वॉट्सऐप पर जो आप शेयर कर रहे हैं, वो पूरी तरह सेफ है। हालांकि, कंपनी के पास आपके कंटेंट को डिक्रिप्ट करने का विकल्प भी होता है, लेकिन वो तभी ऐसा कर सकती जब आपका कंटेंट रिपोर्ट किया गया हो या कोई लॉ एजेंसी वॉट्सऐप से कंटेंट के बारे में जानकारी मांगे।

प्राइवेसी को लेकर कब-कब विवादों में रही वॉट्सऐप

भारत सरकार ने नए IT नियमों के तहत सोशल मीडिया कंपनियों से किसी भी मैसेज के ओरिजिनेटर को बताने को कहा था। यानी सरकारी एजेंसियां सोशल मीडिया कंपनियों से जरूरत पड़ने पर मैसेज का सोर्स जान सकती थीं। वॉट्सऐप ने इस नियम को मानने से इनकार कर दिया था और इसके खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट चली गई थी। कंपनी ने तब एंड-टू-एंड इनक्रिप्शन और यूजर प्राइवेसी का हवाला दिया था।वॉट्सऐप यूजर्स पर अपनी नई पॉलिसी थोपने के लिए भी विवादों में रही है। कंपनी ने अपनी नई यूजर पॉलिसी नहीं मानने वालों के अकाउंट सर्विस कम करने का भी दावा किया था। इस यूजर पॉलिसी में फेसबुक के साथ डेटा शेयरिंग का जिक्र था। इस पॉलिसी पर खासा विवाद हुआ था।2018 में अमेरिकी सीनेट के सामने भी मार्क जकरबर्ग कह चुके हैं कि वॉट्सऐप के मैसेज इतने प्राइवेट होते हैं कि खुद वॉट्सऐप भी उन्हें नहीं पढ़ सकती।

तो फिर विवाद क्या है?

वॉट्सऐप ये पूरा काम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के जरिए करता है। AI की एफिशिएंसी पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं। उदाहरण के लिए अगर आपने नहाते हुए किसी बच्चे की फोटो वॉट्सऐप पर भेजी तो अक्सर AI इस तरह के फोटो को चाइल्ड पोर्नोग्राफी की कैटेगरी में टैग कर लेता है।फेसबुक ने इस काम के लिए दूसरी एजेंसी एसेंचर को टेंडर दे रखा है। यानी यूजर और वॉट्सऐप के बीच एसेंचर एक थर्ड पार्टी कंपनी है।एक बड़ी समस्या यह है कि जब भी रिपोर्ट किए गए कंटेंट को ये मॉडरेटर्स देखते हैं तो उन्हें आपके आखिरी 5 मैसेज भी दिखाई देते हैं। यानी रिपोर्ट किए गए मैसेज के अलावा भी वॉट्सऐप आपके कंटेंट को देख रहा है।

Related Articles

Back to top button