ओमप्रकाश राजभर हुए अखिलेश की ‘साइकिल’ पर सवार, खतरे में भागीदारी संकल्प मोर्चा!

लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी को पटखनी देने के लिए सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की भागीदारी संकल्प मोर्चे का अस्तित्व अब खतरे में नजर आ रहा है. बुधवार को सुभासपा के 19वें स्थापना दिवस पर मऊ में राजभर द्वारा बुलाई गई महापंचायत में समाजवादी पार्टी से गठबंधन का औपचारिक ऐलान होगा. इतना ही नहीं अखिलेश यादव विशिष्ठ अतिथि के तौर पर इस महापंचायत में राजभर के साथ मंच भी साझा करेंगे. लेकिन हैरान करने वाली बाद ये है कि भागीदारी संकल्प मौर्चा के दो बड़े घटक एआईएमआईएम और प्रगतिशील समाज पार्टी को निमंत्रण नहीं दिया गया. जब राजभर अखिलेश यादव के साथ मंच साझा कर रहे होंगे, उसी वक्त असदुद्दीन ओवैसी मुजफ्फरनगर तो प्रासपा अध्यक्ष की परिवर्तन यात्रा रामपुर पहुंचेंगे.

जानकारों के मुताबिक सुभासपा और समाजवादी पार्टी में गठबंधन के बाद ओवैसी ने भागीदारी संकल्प मोर्चे से किनारा कर लिया है. दरअसल, योगी सरकार से अलग होने के बाद राजभर ने एआईएमआईएम, शिवपाल यादव, भीम आर्मी के चंद्रशेखर के साथ मिलकर भागीदारी संकल्प मोर्चे का गठन किया और इसे 2022 में बीजेपी का विकल्प बताया. लेकिन पिछले दिनों अखिलेश यादव से बढ़ी नजदीकियों के बाद राजभर ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन का ऐलान कर दिया. आज जब अखिलेश यादव ढोलबन हलधरपुर के मैदान में आयोजित महारैली और जनसभा में राजभर और अखिलेश एक साथ मंच साझा करने का फैसला किया तो ओवैसी और शिवपाल ने राजभर की रैली से किनारा कर लिया.

राजभर और सपा के साथ आने पर बदलेंगे पूर्वांचल के चुनावी समीकरण
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस राजभर और अखिलेश के बीच गठबंधन से पूर्वांचल की दो दर्जन सीटों पर समीकरण बदल सकते हैं. 2017 में बीजेपी के साथ गठबंधन कर एसबीएसपी ने पूर्वांचल की 8 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 4 में उसे जीत मिली थी. वहीं अन्य चार सीटों पर कड़ा मुकाबला हुआ था. जानकार यह भी मानते हैं कि राजभर वोट बैंक का पूर्वांचल की 100 सीटों पर असर है, जिनमें वाराणसी, ,आजमगढ़, गाजीपुर और मऊ की सीटें शामिल हैं.

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