हो गया इंसाफ ! अनगिनत महिलाओं का रेप, पीड़िताओं ने खुद ही कर दिया न्याय.. घर में घुसकर काट डाला

ओडिशा के गजापति जिले के मोहना थाना क्षेत्र अन्तर्गत कुइहुरु गाँव में 3 जून की रात 60 वर्षीय कंबी मलिक (60) को उनके घर में सोते हुए, एक समूह द्वारा हमला कर हत्या की गई और उनका शव जंगल के पास जला दिया गया। पुलिस की छानबीन में सामने आया कि मृत कंबी पर लगातार कई महिलाओं से यौन उत्पीड़न के आरोप थे। पीड़ितों ने बड़े संघर्ष के बाद इस कदम को ज़रूरी समझा ताकि दूसरी महिलाओं पर यौन उत्पीड़न के इस सिलसिले को रोका जा सके।

आरोपों का इतिहास: खामोशी का खामियाजा

अधिकारी रिपोर्ट अनुसार, कंबी मलिक ने पिछले कई वर्षों में अनगिनत महिलाओं के साथ यौन दुर्व्यवहार किया था, जिनमें से कम से कम छह महिलाएं नियमित रूप से उत्पीड़न का सामना कर चुकी थीं। सबसे ताज़ा रेप की घटना 3 जून की शाम 52-वर्षीय विधवा महिला के साथ हुई थी, जिसने केवल आक्रोश ही नहीं, बल्कि पीड़ित महिलाओं के बीच ऐसा परिवर्तन ला दिया कि उन्होंने न्याय अपने हाथों में लेने का निर्णय लिया।

घटना की योजना और अंजाम

घटना की रात, महिलाएँ—जिनमें पीड़िताएं प्रमुख रूप से शामिल थीं—एकत्रित हुईं। उन्होंने कंबी के घर दाखिल होकर उसे नींद की हालत में पाया और छुरे व कुल्हाड़ी से उस पर हमला बोल दिया। इसके बाद उन्होंने कंबी के शव को जंगल के पास ले जाकर जला दिया, जिससे सिर्फ़ कुछ हड्डियाँ और राख बची थी। कंबी के बेटे और बेटी ने 4 जून की सुबह जब पिता के न मिलने पर खोजबीन की, तभी उन्हें मौके पर खून के धब्बे दिखे, जिसके बाद मामले का अंदाज़ा लगा।

पुलिस कार्रवाई: गिरफ्तारी और जांच

  • घटना की जानकारी कंबी के लापता होने की पुलिस रिपोर्ट (5 जून) से ली गई।
  • मोहना पुलिस स्टेशन के अधिकारी बसंत सेठी ने बताया कि कुल 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है—8 महिलाएं और 2 पुरुष, जिनमें एक पंचायत वार्ड सदस्य भी शामिल है।
  • गिरफ्तार महिलाओं में से कम से कम छह ने पुलिस को बताया कि उनके साथ भी कंबी ने बलात्कार किया था।
  • पुलिस का बयान है कि पीड़ित महिलाओं ने पहले कभी शिकायत दर्ज नहीं कराई; इसका कारण डर, सामाजिक दबाव और बाकी गाँववालों की चुप्पियों में दबाव था।

सवाल और न्यायिक दुविधा: गैरकानूनी कार्रवाई क्यों?

  • घटना कनून-शास्त्र में “सज़ाय-ए-नामुनासिब” (अन्यायपूर्ण सजाएँ) का उदाहरण है, जहाँ पीड़ितों ने साबित नहीं हुए अपराध का स्वयं ही निपटारा किया।
  • गजापति एसपी जातिन्द्र कुमार पांडा ने कहा है: “उन सभी महिलाओँ ने कभी पुलिस का रुख नहीं किया; अब यह जांच का विषय है कि उन्होंने ऐसा क्यूँ किया”।
  • न्यायपालिका को बैलेंस करना होगा पीड़ितों की पीड़ा और कानूनी प्रक्रिया, ताकि भविष्य में व्यवस्था में गड़बड़ी से बचा जा सके।

नैतिक और सामाजिक प्रतिबिंब: कब होगी बदलाव की शुरुआत?

इस घटना ने एक बार फिर ये सवाल खड़े कर दिए हैं कि जब सामाजिक और कानूनी सुरक्षा प्रणाली पीड़ितों की मदद नहीं करती, तो क्या उन्हें खुद ही कदम उठाने पड़ते हैं?
साथ ही, यह एक चेतावनी भी है व्यवस्थाओं को कि किस तरह संस्थागत लापरवाही से जन-असंतोष की आग निकल सकती है।
इस घटना से स्पष्ट हुआ कि महिला अधिकारों की रक्षा के लिए जागरूकता, कानूनी सहायता और सामाजिक समर्थन कितना योगदान दे सकते हैं।

अगले कदम और कानूनी प्रक्रिया

  • गिरफ्तार आरोपियों पर हत्या (IPC 302), क्षति वस्तु नष्ट करना (IPC 201) और अन्य संगीन धाराएं लगाई गई हैं।
  • थाना मोहना पुलिस द्वारा पूरे मामले की गहन जांच जारी है; मजिस्ट्रेट के सामने पेशियाँ चल रही हैं।
  • राज्य महिला आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग को भी इस मामले में दखल देने की उम्मीद है।

दर्दनाक घटना, सक्षम समाधान की राह

क्यूंकि पीड़ित स्वरूपों ने कानूनी दायरे के बाहर जाकर अपना निपटारा स्वयं किया, इसने न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता पर भारी प्रश्न खड़ा किया है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि बलात्कार जैसे घिनौने अपराधों से निपटने के लिए एक समग्र, संवेदनशील और जवाबदेह प्रणाली की आवश्यकता है—जहाँ पीड़ितों को समय पर सुरक्षा और न्याय मिल सके।

 

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