संसद में अपनी ही न्यूड फोटो लेकर पहुंची सांसद.. वायरल हुई तस्वीर, वजह जानकर उड़ जाएंगे होश

न्यूजीलैंड की ACT पार्टी की सांसद लॉरा मैक्ल्योर ने 14 मई 2025 को संसद में एक साहसिक कदम उठाया। उन्होंने एक एआई द्वारा निर्मित नग्न तस्वीर, जो उनकी जैसी दिखती थी, संसद में प्रदर्शित की। इस तस्वीर को उन्होंने खुद केवल पांच मिनट में एक वेबसाइट की मदद से बनाया था, जिससे यह दिखाया जा सके कि डीपफेक तकनीक का दुरुपयोग कितना आसान और खतरनाक हो सकता है।
डीपफेक तकनीक: एक गंभीर खतरा
मैक्ल्योर ने बताया कि यह तस्वीर वास्तविक नहीं थी, लेकिन यह इतनी वास्तविक लग रही थी कि यह डरावना था। उन्होंने कहा, “यह तस्वीर मेरी नग्न तस्वीर है, लेकिन यह असली नहीं है।” इस कदम का उद्देश्य था लोगों को यह दिखाना कि कैसे डीपफेक तकनीक का उपयोग करके किसी की छवि को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा सकता है।
कानूनी पहल: डीपफेक डिजिटल हानि और शोषण विधेयक
मैक्ल्योर ने “डीपफेक डिजिटल हानि और शोषण विधेयक” पेश किया है, जिसका उद्देश्य बिना सहमति के बनाए गए यौन सामग्री वाले डीपफेक को अवैध घोषित करना है। यह विधेयक मौजूदा कानूनों को अपडेट करेगा और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए स्पष्ट रास्ते प्रदान करेगा।
युवाओं पर प्रभाव: मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव
मैक्ल्योर ने बताया कि उन्होंने कई ऐसे लोगों से संपर्क किया है जो डीपफेक से संबंधित उत्पीड़न या “सेक्सटॉर्शन” का शिकार हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह समस्या विशेष रूप से युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल रही है।
विशेषज्ञों की राय: शिक्षा और जागरूकता की आवश्यकता
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ सुसान मैकलीन ने बताया कि डीपफेक तकनीक का दुरुपयोग अब इतना आसान हो गया है कि कोई भी व्यक्ति किसी की तस्वीर को अपलोड करके नग्न तस्वीर बना सकता है। उन्होंने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए तकनीक को दोषी ठहराने के बजाय, समाज में शिक्षा और जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है।
अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य: अन्य देशों की पहल
ब्रिटेन सरकार ने भी बिना सहमति के बनाए गए यौन सामग्री वाले डीपफेक को अपराध घोषित करने की योजना बनाई है। “रिवेंज पोर्न हेल्पलाइन” के आंकड़ों के अनुसार, 2017 से अब तक डीपफेक के माध्यम से छवि-आधारित शोषण में 400% की वृद्धि हुई है।
डिजिटल युग में सुरक्षा की नई चुनौतियाँ
लॉरा मैक्ल्योर का यह साहसिक कदम डिजिटल युग में सुरक्षा और निजता की नई चुनौतियों को उजागर करता है। डीपफेक तकनीक का दुरुपयोग न केवल व्यक्तिगत छवि को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डालता है। इसलिए, समाज को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने और उचित कानूनी और शैक्षिक उपाय करने की आवश्यकता है।