NRI महिला के साड़ी पहनने के तरीके से बवाल ! सोशल मीडिया ट्रायल शुरू – देखें वीडियो..

भारतीय संस्कृति और परंपराएं सदियों से अपनी सादगी, गरिमा और मर्यादा के लिए जानी जाती हैं। लेकिन हाल ही में लंदन की सड़कों पर एक एनआरआई (NRI) महिला द्वारा साड़ी पहनकर किए गए वीडियो ने इस गरिमा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सोशल मीडिया पर यह वीडियो वायरल हो चुका है, जिसमें महिला साड़ी पहनकर अशोभनीय ढंग से पब्लिक स्पेस में घूमती दिखाई देती है।
खुले हिस्से के साथ बनाई वीडियो, लोगों ने बताया “कंटेंट नहीं, संस्कृति का अपमान”
इस महिला ने भारतीय पारंपरिक पोशाक साड़ी को पहनकर जानबूझकर उसका “पीछे का हिस्सा” (ब्लाउज रहित या खुला स्टाइल) दिखाते हुए लंदन की सड़कों पर घूम-घूम कर वीडियो बनाया और उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। यूजर्स ने इस वीडियो पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि यह महज कंटेंट नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की मर्यादा के साथ खिलवाड़ है।
सोशल मीडिया पर उठी कार्रवाई की मांग, ‘शर्मनाक’ बताया गया व्यवहार
लोगों ने महिला पर कार्रवाई की मांग करते हुए लिखा कि “यह सिर्फ अश्लीलता नहीं, बल्कि संस्कृति के नाम पर पागलपन है।” कई यूजर्स ने यह भी कहा कि यह फॉलोअर्स और व्यूज़ के लिए जानबूझकर किया गया स्टंट है, जो भारतीय परिधान की गरिमा को ठेस पहुंचाता है।
यह मामला समाज और संस्कृति के प्रति संवेदनशीलता का है। साड़ी और भारतीय संस्कृति का जो सम्मान और प्रतिष्ठा है, उसे बनाए रखना जरूरी है। साड़ी एक पारंपरिक पहनावा है, जो न सिर्फ भारतीय महिलाओं का परिधान है, बल्कि भारतीयता की एक पहचान भी है। जब कोई उसे गलत तरीके से पहनता है, तो यह उन… pic.twitter.com/LUHpPFf8sb
— Nitish Kumar Yadav (@ni30krydv) July 10, 2025
दार्शनिक ओशो (आचार्य रजनीश) के कथन ने दी सोचने की दृष्टि
इस घटना को लेकर कई लोगों ने आचार्य रजनीश (ओशो) के उस चर्चित वक्तव्य का हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा था:
“अगर कोई सुंदर महिला नग्न खड़ी हो, तो कितनी देर तक देख पाओगे? कुछ देर बाद मन भटकने लगता है। जब महिला ढंग से कपड़ों में ढकी हो, तो उसमें एक अलग आकर्षण होता है। कई बार कपड़े नग्नता से भी ज्यादा उत्तेजक हो सकते हैं।”
यह कथन आज के समय में विशेष रूप से प्रासंगिक हो गया है, जब ‘कंटेंट क्रिएशन’ की दौड़ में परंपरा और मर्यादा को नजरअंदाज किया जा रहा है।
भारतीय संस्कृति की गरिमा के खिलाफ “कूल” बनने की होड़?
सवाल यह उठता है कि क्या ग्लैमर और सोशल मीडिया रील्स की दुनिया में कुछ लोग भारतीयता की आत्मा को भूलते जा रहे हैं? साड़ी जैसे गरिमामयी वस्त्र को अशोभनीय ढंग से प्रस्तुत करना क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, या समाज के प्रति गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार?
आपकी राय क्या है?
इस घटना ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है – क्या ऐसे कृत्य को “आर्ट” या “फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन” माना जाए, या फिर यह भारतीय संस्कृति का अपमान है? क्या इस पर कोई कानूनी या नैतिक कार्रवाई होनी चाहिए?