तालिबान से जंग की तैयारी

अहमद मसूद और सालेह की अगुआई में लड़ाकों की ट्रेनिंग जारी, मसूद ने अमेरिका से हथियार देने की अपील की

 

अफगानिस्तान में तालिबानी राज के खिलाफ बगावत शुरू हो गई है। दिन-ब-दिन बढ़ रही तालिबान की ज्यादतियों के खिलाफ 25 साल पुराना नॉर्दन अलायंस एकजुट हो रहा है। पूरे अफगानिस्तान पर काबिज तालिबान, पंजशीर पर अब तक कब्जा नहीं कर सका है। नॉर्दन अलायंस इस इलाके में ही सबसे ज्यादा मजबूत है।

इस बीच, पंजशीर का शेर कहे जाने वाले अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ने अमेरिका से मदद मांगी है। मसूद ने वॉशिंगटन पोस्ट को दिए इंटरव्यू में कहा कि उनके पास तालिबान से लड़ने के लिए लड़ाकों की फौज है, इसलिए अमेरिका को उन्हें हथियार और गोला बारूद की सप्लाई करनी चाहिए।

 

तालिबान के खिलाफ बगावत कर रहे लड़ाकों को पंजशीर में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह इलाका अहमद शाह मसूद का है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह इस वक्त यहीं पर हैं।

 

तालिबान विरोधी फौजें पंजशीर में इकट्ठा हो रही हैं। इनमें अफगानिस्तान के वॉर लॉर्ड कहे जाने वाले जनरल अब्दुल रशीद दोस्तम, अता मोहम्मद नूर के सैनिक और अहमद मसूद की फौजें शामिल हैं।

 

इन फौजों का मंसूबा आस-पास के इलाकों पर भी कब्जा करने का है। हालांकि, इन फौजों के पास तालिबान से लड़ने लायक हथियार नहीं हैं। पंजशीर अकेला ऐसा प्रांत है जो अब तक तालिबान के कब्जे से बाहर है।

 

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह भी पंजशीर के रहने वाले हैं। उनका जन्म यहां अक्टूबर 1972 में हुआ था। 1996 में तालिबानियों ने ताजिक मूल के सालेह की बहनों की हत्या कर दी थी।
18 अगस्त को पंजशीर घाटी में नॉर्दन अलायंस का झंडा फहराया गया। 2001 के बाद ऐसा पहली बार हुआ। 1980 में सोवियत रूस ने पंजशीर पर हमला किया था, लेकिन वह उसे हथिया नहीं पाया था।

अहमद मसूद ने अमेरिका से उनके लड़ाकों का समर्थन करके की अपील की है। उन्होंने कहा कि मैं अपने पिता के नक्शेकदम पर चलना चाहता हूं, जिसमें अमेरिका मदद कर सकता है।

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया था। इसके बाद तत्कालीन उप राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने खुद को अफगानिस्तान का राष्ट्रपति घोषित कर दिया है।

अहमद शाह मसूद अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने नॉर्दन अलायंस का नेतृत्व किया था। शुरुआत में इस अलायंस में तजाख ही थे, लेकिन बाद में इससे दूसरे कबीलों के सरदार भी जुड़ गए।

पंजशीर की आबादी 1 लाख 72 हजार के करीब है। यहां रहने वाले ज्यादातर लोग ताजिक समुदाय के हैं। पंजशीर की लोकेशन प्राकृतिक किले की तरह है, इसलिए तालिबानी इस पर हमला करने से कतराते हैं।

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