पद्मश्री बसंती देवी ने बताया कैसा है पहाड़ की महिलाओ का जीवन

बसंती देवी ने उत्तराखंड के पुराने दिनों को याद करते हुए बताया की पहले गांव में वो सुविधाएं नहीं थी जो अब आ गई है इसलिए अब गांव भी शहर बन गया है

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में न्यूज़ नशा के कॉन्क्लेव ‘ शिखर पर उत्तराखंड’ में पद्म श्री बसंती देवी ने उत्तराखंड की प्रकृति और सुंदरता के बारे में बताते हुए पहाड़ों मे रह गई महिलाओं के बारे में भी बताया ।

 

अब गांव शहर बन गया है!

 

बसंती देवी ने उत्तराखंड के पुराने दिनों को याद करते हुए बताया की पहले गांव में वो सुविधाएं नहीं थी जो अब आ गई है इसलिए अब गांव भी शहर बन गया है। पहले गांव में पारंपरिक गीत हर जगह सुनने को मिलते थे हर घर में महिलाएं गीत गुनगुनाती थी परन्तु अब ऐसी तस्वीरें कम देखने को मिलती है !

 

पहाड़ों की महिलाओ की स्तिथि अभी भी वैसी ही है!

 

पद्मश्री बसंती देवी का कहना है की पहाड़ों में रही महिलाएं अभी भी पुरानी दिनचर्या के मुताबिक ही चलती है, वह सुबह 4 बजे उठ जाती है उसके बाद गाय का दूध निकाल के लाती है, नेहर से पानी भर के लाती है , घर की साफ सफाई करती है , खाना बनाती है और घर के बड़े बुजुर्गो का ध्यान भी रखती है!

 

 

बसंती देवी कौन हैं?

 

बसंती देवी उत्तराखंड की प्रसिद्ध समाजसेविका हैं। उन्होंने उत्तराखंड के पर्यावरण संरक्षण, पेड़ो व नदी को बचाने के लिए अपना योगदान दिया है। बसंती देवी कौसानी स्थित लक्ष्मी आश्रम में रहती हैं। बसंती देवी ने पर्यावरण से लेकर समाज की कई कुरीतियों को दूर करने के लिए महिला समूहों का आह्वाहन किया। एक तरफ तो उन्होंने कोसी नदी का अस्तित्व बचाने के लिए महिला समूहों के माध्यम से जंगल को बचाने की मुहिम शुरु की तो दूसरी ओर घरेलू हिंसा और महिलाओं पर होने वाले प्रताड़नाओं को रोकने के लिए जनजागरण किए। यह बसंती देवी के प्रयास का ही फल है कि पंचायतों के सशक्तिकरण में उनके प्रयास का असर दिखा।

 

बसंती देवी को साल 2022 पद्मश्री पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। बसंती देवी उत्तराखंड से ताल्लुख रखती हैं। पर्यावरण को बचाने के लिए उनका प्रयास अतुलनीय है। इसके पहले भी बसंती देवी को देश का सर्वोच्च नारी शक्ति पुरस्कार मिल चुका है।

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