किसान 2022 में किसे पहुंचाएंगे फायदा !!

न्यूज़ नशा इन दिनों रोज रात 9:00 बजे देश और प्रदेश से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करता है। जिसमें देश और प्रदेश के अधिकारी वरिष्ठ पत्रकार और नेता शामिल होते हैं। मंगलवार की रात को न्यूज़ नशा पर चर्चा का मुद्दा था “किसान 2022 में किसे पहुंचाएंगे फायदा”

आपको बता दें इस चर्चा में वरिष्ठ पत्रकार संजय शर्मा, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता आलोक वर्मा के साथ-साथ समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मनोज काका शामिल हुए थे।

इस दौरान न्यूज़ नशा की एडिटर इन चीफ विनीता यादव ने कई सवाल किए।

न्यूज नशा – उत्तर प्रदेश में पश्चिम उत्तर प्रदेश से लेकर पूरे प्रदेश में किसान आंदोलन से कितना फर्क पड़ेगा और किस को फायदा मिलेगा ?

संजय शर्मा– हमने कई कहानी सुनी थी किसानों से देश चलता है किसान अन्नदाता है जय जवान जय किसान नारों को और बातों को सुन सुनकर बड़े हुए।

1 साल होने को आ रहा है हमारा अन्नदाता आज भी सड़क पर बैठा हुआ है ठंडी में गर्मियों में बरसात में मगर कोई रास्ता नहीं निकल रहा है, ऐसा कौन सा अंतरराष्ट्रीय मुद्दे हैं जिसके रास्ते नहीं निकाले जा सकते, देश में दुनिया में इतनी बड़ी-बड़ी समस्याएं हुई है अमेरिका ने भी कुछ साल बाद अपनी फौजी हटा लिया लेकिन यहां पर कोई सुनने को ही तैयार नहीं है और मुझे वह दिन याद आता है जब 26 जनवरी को एक हादसा हुआ था किसान नेता के रूप में एक व्यक्ति सामने आया था उसने लाल किले पर झंडा लगा दिया था उस दिन पूरे देश में बवाल खड़ा हो गया था और लग रहा था कि आज किसान आंदोलन खत्म हो गया टिकट जी को हटाने के लिए चारों तरफ से घेराबंदी कर दी गई और काफी फोर्स लगा दी गई बिजली काट दी गई थी रोडो को बंद कर दिया गया था और हम समझ गए थे मेरे जैसा पत्रकार समझ गया था आज उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन खत्म हो गया उस समय अहंकार से भरे हुए कुछ नेताओं ने ट्वीट किया कि यह टिकट कैसे रो रहा है इसको इसकी औकात बता दी गई जो नेता दहाड़ रहा था उसको हमारे योगी जी ने दो कौड़ी का बना दिया, मगर हुआ क्या ? पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसानों ने सोचा हमारे बेटे की आंख में आंसू है तो हम इसका बदला लेंगे रातों-रात सीन बदल गया राकेश टिकैत के आंसुओं ने वह काम किया जिससे आंदोलन की दिशा बदल गई

इस बार इस आंदोलन ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में एक नया मोड़ दे दिया गुज्जर और मुसलमानों में, जाटों और मुसलमानों में दूरी बन गई थी मुजफ्फरनगर दंगों के बाद। मगर एक बार फिर से किसान बनकर सब इकट्ठा है अब जब सब एक साथ आ जाएंगे तो सबसे ज्यादा नुकसान बीजेपी को होगा मगर हमें समझ में नहीं आता बीजेपी इस बात को क्यों नहीं समझ रही है।

आलोक वर्मा– आज भाजपा की सरकार नहीं है मोदी सरकार है और मोदी सरकार लोकतंत्र की सरकार नहीं लग रही है। अगर लोकतंत्र में आप जिसके लिए कानून लेकर आए हैं और वह उस कानून से खुश नहीं है तो उससे बातचीत करिए विमर्श करिए लेकिन फैसला अगर आप पहले सुना देते हैं और बात करने के लिए बाद में बुलाएंगे तो यह लोकतंत्र नहीं राजतंत्र हुआ!!

कृषि मंत्री साफ साफ कहते हैं कि आप तीनों कृषि कानूनों को छोड़ कर बात कीजिए खुले दिल से बात की जाएगी जब हम तीनों कृषि कानूनों के बारे में बात कर रहे हैं तो सबसे पहले सरकार को किसानों से बात करना चाहिए और यह बिल लाने से पहले आपको बात करना चाहिए हमने कब कहा कैसे आपने किसानों के हित में कदम ना उठाइए।

सदन में प्रधानमंत्री जी ने कहा एमएसपी थी है और रहेगी, उत्तर प्रदेश में सिर्फ 18% गेहूं की खरीदारी हुई बाकी के 82% किसान कहां चले गए क्या किसानों को एमएसपी मिला हम तो कह रहे हैं एमएसपी पर कानून बना दीजिए अगर किसानों की आपको इतनी ही चिंता है और आप किसानों के इतने बड़े हितैषी बन रहे हैं तो क्यों नहीं एमएसपी पर कानून बनाते हैं एमएसपी पर कानून बनाने में इनकी ऐसी की तैसी हो रही है क्योंकि उद्योगपतियों से इन्होंने अपना चंदा लेकर पूरे देश भर में अपने वीआईपी कार्यालय खोल दिए हैं और किसान को फांसी के फंदे में लपेटना चाहते हैं जो सोने का फांसी का फंदा है जिस पर मक्खन भी नहीं लगा है और यह किसानों के लिए रोटी और रोटी का सवाल है अगर हम आंदोलन को 8 महीने चला सकते हैं तो इसको 35 महीने और चलाएंगे या तो सरकार बदल कल आएंगे या तो कानून बदला करें आएंगे।

मनोज काका– हमारे अध्यक्ष अखिलेश जी ने कहा है कि हम किसानों की लड़ाई के साथ है और हमारे अध्यक्ष ने सदन से लेकर जमीन तक किसानों की लड़ाई लड़ी है बल्कि यह लड़ाई सांकेतिक रूप से नहीं जो उनका संघर्ष है और लोकतांत्रिक संघर्ष का व्यवहार है उसके तहत हमारी पार्टी ने और हमारे अध्यक्ष ने लड़ाई लड़ी है हमारे नेता ने कहा था रोटी कपड़ा सस्ता हो मुफ्त सिंचाई मिले मुफ्त पढ़ाई मुफ्त दवाई मिले

मुफ्त सिंचाई किस की होती है 2012 से पहले किसान बीमा योजना के अंतर्गत ₹1 लाख मिलता था और किसी को मिलता था किसी को नहीं मिलता था मगर जैसे ही 2012 में सपा की सरकार आई है और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बनते हैं किसान बीमा हमने ₹5 लाख कर दिया अगर किसान के साथ कोई दुर्घटना हो जाती थी तो समाजवादी पार्टी की सरकार उसे तुरंत ₹5 लाख देती थी उसके परिवार को सहायता मिलती थी देश की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा था कि गन्ना किसानों का भुगतान 14 दिनों में होगा मगर आज तक 14 दिनों में भुगतान नहीं हुआ वहीं प्रति घंटे किसानों की मौत हो रही है किसान इस बार यह तय कर लिया है कि वह समाजवादी पार्टी के साथ जाएगा।

पूरी चर्चा को सुनने के लिए यहां क्लिक करें

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