तालिबान का प्रोपेगैंडा

US आर्मी की मॉडर्न यूनिफॉर्म में नजर आए लड़ाके, तालिबान ने कहा- ये काबुल की हिफाजत करने वाली स्पेशल बादरी बटालियन

बादरी बटालियन के कमांडो की काबुल में तैनाती बेहद खास मकसद से हुई है, ताकि अफगान सेना किसी भी कीमत पर राष्ट्रपति भवन पर कब्जा ना कर सकें।

अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने के बाद तालिबान प्रोपेगेंडा फैलाने में लग गया है। इसी सिलसिले में उन्होंने एक प्रोपेगेंडा वीडियो जारी किया है, जिसमें उसके लड़ाके चुराई गई US मिलिट्री यूनिफॉर्म और अमेरिकी हथियारों से लैस नजर आ रहे हैं। तालिबानियों के प्रोपेगेंडा चैनलों पर वीडियो को अपलोड किया गया है। इसमें कहा गया है कि बादरी 313 की तैनाती काबुल की अलग-अलग लोकेशन्स पर की गई है।

तालिबानियों की कोशिश है कि अफगानिस्तान पर कब्जे को लंबे समय तक बरकरार रखा जाए। तालिबानी लड़ाके राजधानी काबुल समेत देश के अलग-अलग हिस्सों तैनात हैं। अफगान और अमेरिकी सेनाओं से खतरे को देखते हुए तालिबान ने बादरी 313 बटालियन बनाई है।

काबुल में प्रेसिडेंशियल पैलेस पर तैनात बादरी 313 बटालियन
इस स्पेशल कमांडो-स्टाइल यूनिट को काबुल में प्रेसिडेंशियल पैलेस पर तैनात किया गया है। साथ ही तालिबान के सीनियर लीडर मुल्‍ला अब्दुल गनी बरादर, हिबतुल्लाह अखुंदजादा समेत दूसरे बड़े नेताओं की सुरक्षा की जिम्‍मेदारी इन्हीं पर है।

पूरी तरह से ट्रेंड और अमेरिकी हथियारों से लैस कमांडो
तालिबान बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया के जरिए इन कमांडो का प्रचार कर रहा है। इसके बारे में कहा जा रहा है कि ये पूरी तरह से ट्रेंड और अमेरिकी हथियारों से लैस हैं। तस्‍वीरों में देखा जा सकता है कि बादरी बटालियन के पास बेहद घातक अमेरिकी M-4 राइफल, बॉडी आर्मर, नाइट विजन डिवाइस, बुलेट प्रूफ जैकेट और हथियारों से लैस हम्‍वी गाड़ी है।

तालिबान के आम लड़ाकों और बादरी यूनिट में फर्क
बादरी बटालियन के कमांडो M-4 राइफल का इस्‍तेमाल करते हैं, जबकि दूसरे लड़ाकों के पास AK-47 है। तालिबानी लड़ाके पगड़ी पहने हुए दिखाई देते हैं, जबकि ये कमांडो हेल्‍मेट और काले चश्‍मे में नजर आ रहे हैं। इन्होंने कुर्ता-पजामा नहीं, बल्कि वर्दी पहनी हुई है। इन्‍हें देखकर यह समझ पाना मुश्किल है कि ये तालिबानी हैं या किसी देश की सेना के कमांडो।

इन कमांडों को तैयार करने में पाकिस्‍तानी आर्मी ने मदद की
रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान की कमांडो यूनिट का नाम बद्र की लड़ाई के नाम पर रखा गया है, जिसका जिक्र पवित्र कुरान में है। बद्र युद्ध में पैगंबर मोहम्‍मद साहब ने 1400 साल पहले केवल 313 लड़ाकों की मदद से दुश्मन की सेना को मात दी थी। बताया जाता है कि इन कमांडों को तैयार करने में पाकिस्‍तानी आर्मी ने तालिबान की मदद की है।

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