NCERT में बदला गया मुगलों का इतिहास, अकबर को बताया ‘सुलहकार’, जहांगीर और शाहजहां को ‘कला संरक्षक’ !

एनसीईआरटी (NCERT) ने कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान की किताब में मुगल शासन की एक नई और व्यापक समीक्षा शामिल की है, जो आगामी 2025–26 शैक्षणिक सत्र से लागू होगी। इस बार मुगलों की धार्मिक नीतियों, सांस्कृतिक योगदान और क्रूरता—तीनों को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है। जहां अकबर को सहिष्णुता और क्रूरता का मिश्रण बताया गया है, वहीं औरंगज़ेब को गैर-मुसलमानों पर जज़िया कर थोपने वाला कट्टर सैन्य शासक कहा गया है।

बाबर को बताया गया ‘सैन्य रणनीतिकार’

नई किताब में बाबर को ‘तुर्क-मंगोल शासक’ और ‘सैन्य रणनीतिकार’ कहा गया है। उल्लेख किया गया है कि बाबर ने 1526 में पानीपत की पहली लड़ाई में तोपों और बारूद की मदद से इब्राहिम लोदी को हराया और इस तरह दिल्ली सल्तनत का अंत हुआ। इसके बाद उसके बेटे हुमायूं को साम्राज्य बनाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ा और एक समय वह शेर शाह सूरी से हार भी गया था।

अकबर: सुलह और सामूहिक हत्याओं दोनों का प्रतीक

अकबर की छवि अब किताबों में सिर्फ धर्मनिरपेक्ष या उदार शासक की नहीं है। अब बताया गया है कि 1568 में चित्तौड़गढ़ की घेराबंदी के दौरान अकबर ने करीब 30,000 नागरिकों की हत्या और बचे हुए महिलाओं व बच्चों को गुलाम बनाने का आदेश दिया था। यह जानकारी अकबर के विजय पत्र के आधार पर दी गई है।

वहीं दूसरी ओर, किताब में यह भी जोड़ा गया है कि अकबर ने ‘जज़िया कर’ को समाप्त किया, राजपूतों को दरबार में शामिल किया और ‘सुलह-ए-कुल’ (सभी से शांति) की नीति को अपनाया। उसने हिंदू ग्रंथों जैसे महाभारत (रज़्मनामा), रामायण और पंचतंत्र का फारसी में अनुवाद करवाया।

जहांगीर और शाहजहां को ‘कला संरक्षक’

अकबर के उत्तराधिकारी जहांगीर और शाहजहां को किताब में कला और वास्तुकला का संरक्षक बताया गया है। शाहजहां को ताजमहल के निर्माण और वास्तुशिल्प विरासत के लिए सराहा गया है, लेकिन साथ में यह भी बताया गया कि औरंगज़ेब ने सत्ता के लिए दारा शिकोह की हत्या की और अपने पिता को कैद में रखा।

औरंगज़ेब को एक कट्टर शासक के रूप में वर्णित किया गया है जिसने गैर-इस्लामी प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाया, जज़िया कर को फिर से लागू किया और धार्मिक असहिष्णुता का वातावरण बनाया।

मंदिर तोड़ने और धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का उल्लेख

एनसीईआरटी की किताब में अब यह भी जोड़ा गया है कि मुगल काल में बनारस, मथुरा और सोमनाथ के मंदिरों को तोड़ा गया और जैन, सिख, सूफी और पारसी समुदायों पर भी अत्याचार किए गए। किताब में स्पष्ट किया गया है कि इतिहास की इन घटनाओं को आज के परिप्रेक्ष्य में दोषारोपण की दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए।

NCERT अधिकारी के हवाले से लिखा गया है, “इतिहास की घटनाओं को मिटाया या नकारा नहीं जा सकता। सत्ता की लालसा, अत्याचार या गलत महत्वाकांक्षाओं की शुरुआत को समझना ही ऐसा भविष्य बनाने का सही तरीका है जहां ये घटनाएं दोबारा न हों।”

7वीं की किताबों से मुगल इतिहास हटाया

गौरतलब है कि इसी साल NCERT ने कक्षा 7 की इतिहास और भूगोल की किताबों में से मुगल और दिल्ली सल्तनत के अध्याय हटा दिए हैं। उनकी जगह अब सरकार के विभिन्न अभियानों जैसे ‘मेक इन इंडिया’, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’, और ‘महाकुंभ’ जैसे विषयों को जोड़ा गया है।

इतिहास की राजनीति या शिक्षा का परिष्करण?

एनसीईआरटी द्वारा किए गए इन बदलावों पर शैक्षणिक और राजनीतिक हलकों में तीखी बहस जारी है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ऐतिहासिक तथ्यों को उजागर करना जरूरी है, वहीं कुछ इसे राजनीतिक एजेंडा और अतीत को रंगने की कोशिश करार दे रहे हैं।

इतिहास की किताबें बदल रही हैं, लेकिन सवाल वही हैं

मुगलों को लेकर एनसीईआरटी की यह नई प्रस्तुति भारत के स्कूली इतिहास लेखन में एक बड़ा बदलाव है। जहां एक ओर यह प्रयास मुगल काल के वास्तविक और सटीक तथ्यों को सामने लाने का है, वहीं यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि बदलाव वैज्ञानिक सोच और समावेशी दृष्टिकोण के आधार पर हों, न कि राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित।

 

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