500 साल में दूसरी बार ईदगाह में अदा नही की गई नमाज

शुक्रवार को ईद उल फितर का त्योहार शांतिपूर्ण तरीके से और लॉकडाउन के नियमों के मुताबिक मनाया गया। 500 (पांच सौ साल) में दूसरी बार ईदगाह में नमाज़ नही हो सकी। हालांकि मस्जिदों में 5-5 लोगों ने ईद की नमाज अदा की और मुल्क में फैली वबा (महामारी) को खत्म करने के साथ ही शांति और खुशहाली के लिए दुआ की गई।

दरअसल गुरुवार को रमजान के 30 रोजे पूरे हो गए थे, जिसके बाद शुक्रवार को ईद का त्यौहार मनाया गया। जनपद सहारनपुर के बेहट कस्बे में स्थित जामा मस्जिद में प्रशासन द्वारा जारी की गई गाइडलाइन के तहत 5 लोगों ने ईद की नमाज अदा की। इसके अलावा सभी मस्जिदों में भी पांच-पांच लोगों ने ईद की नमाज अदा की और बाकी लोगों ने अपने अपने घरों में ईद की नमाज पढ़ी और नमाज के बाद मुल्क में शांति व खुशहाली तथा कोरोना महामारी के खात्मे के लिए दुआ की गई। बेहट कस्बे की प्राचीन ईदगाह में करीब 500 साल बाद दूसरी बार ईद की नमाज अदा नहीं की गई और ईदगाह सुनी नजर आई। बेहट जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना राशिद जमाल कासमी ने कहा कि कस्बे सहित क्षेत्र में कोविड-19 नियमो के तहत नमाज अदा की गई। उन्होंने खासतौर पर मुस्लिम समाज के लोगों से अपील करते हुए कहा कि वह ईद के दिन बेवजह घर से बाहर ना निकले मास्क का प्रयोग करें और एक दूसरे से दूरी बनाकर रखें।

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