वाह रे यूपी पुलिस ! थाने में मनाया जा रहा भाजपा नेता का जन्मदिन, केक काटा.. पार्टी की.. फिर डालीं FB पर तस्वीरें

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां कोतवाली परिसर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक नेता ने धूमधाम से अपना जन्मदिन मनाया। यह पूरा आयोजन न केवल पुलिस थाने में हुआ, बल्कि इसमें क्षेत्रीय प्रशासन के उच्च अधिकारी जैसे SDM और CO भी शामिल हुए। बीजेपी नेता गौरव चौहान द्वारा सोशल मीडिया पर तस्वीरें साझा करने के बाद मामला तूल पकड़ गया है और प्रशासनिक निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

पुलिस थाने में मनी जन्मदिन पार्टी, SDM और CO भी रहे मौजूद

मुरादाबाद के ठाकुरद्वारा कोतवाली में भाजपा व्यापार मंडल के अध्यक्ष गौरव चौहान ने अपने समर्थकों के साथ केक काटा। इस दौरान एसडीएम ठाकुरद्वारा, सीओ ठाकुरद्वारा और कोतवाल भी मौजूद थे। बताया जा रहा है कि यह आयोजन उस समय हुआ जब थाने में आगामी त्योहारों को लेकर पीस कमेटी की बैठक बुलाई गई थी। गौरव चौहान बैठक शुरू होने से पहले ही अपनी टीम के साथ केक लेकर कोतवाली पहुंचे और बैठक से पहले जन्मदिन का उत्सव मनाया गया।

सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरें, उठे सवाल

गौरव चौहान ने थाने में जन्मदिन मनाने की तस्वीरें फेसबुक पर पोस्ट कीं, जिसमें वे केक काटते, पुलिस अधिकारियों और जनता को केक खिलाते नजर आ रहे हैं। उन्होंने पोस्ट में लिखा,
“आप सभी के स्नेह और आशीर्वाद से अभिभूत हूं, मैं सदैव आप सभी के हित में कार्य करता रहूंगा।”
इस पोस्ट पर जहां कुछ समर्थकों ने शुभकामनाएं दीं, वहीं कई लोगों ने पुलिस थाने में इस प्रकार के निजी आयोजन पर प्रशासन की निष्पक्षता और कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं।

CO ठाकुरद्वारा ने दी सफाई, बताया अचानक हुआ कार्यक्रम

मामले के तूल पकड़ने के बाद सीओ ठाकुरद्वारा रुद्र कुमार सिंह ने मीडिया को बताया,
“थाने में पीस कमेटी की मीटिंग चल रही थी, तभी कुछ लोगों ने बताया कि बीजेपी नेता गौरव चौहान का जन्मदिन है। वे केक लेकर आए थे, तो उन्होंने वहीं पर केक काट लिया। यह आयोजन पूर्व-नियोजित नहीं था।”
हालांकि, इस स्पष्टीकरण के बावजूद आमजन और विपक्षी दल इस घटना को पुलिस और सत्ताधारी दल के बीच की नजदीकियों का प्रतीक बता रहे हैं।

विपक्ष का हमला, कानून की गरिमा पर उठाए सवाल

विपक्षी नेताओं ने इस घटना की आलोचना करते हुए कहा कि थाने को राजनीतिक आयोजनों का केंद्र नहीं बनाया जाना चाहिए। एक वरिष्ठ विपक्षी नेता ने कहा,
“कोतवाली कानून व्यवस्था की जगह है, न कि राजनीतिक नेताओं के जश्न की। इस तरह के आयोजन कानून की गरिमा और निष्पक्षता को चोट पहुंचाते हैं।”

क्या कोतवाली में जश्न उचित था?

इस घटना ने प्रशासनिक तंत्र और राजनीतिक नेताओं के संबंधों पर नई बहस छेड़ दी है। जहां कुछ लोग इसे सामान्य सामाजिक सौजन्य मानते हैं, वहीं अधिकांश इसे सत्ता के दुरुपयोग और कानून व्यवस्था की अवमानना मान रहे हैं। आने वाले समय में इस पर क्या कार्रवाई होती है, यह देखना दिलचस्प होगा।

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