मुंबई : पश्चिम रेलवे ने फर्जी पहचान पत्र धारकों पर कार्रवाई की

मुंबई। पश्चिम रेलवे वर्तमान में महाराष्ट्र सरकार द्वारा अधिसूचित आवश्यक सेवाओं के स्टाफ के लिए 506 विशेष उपनगरीय सेवाओं का परिचालन कर रही है। कोविड महामारी के वर्तमान परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए, पश्चिम रेलवे द्वारा लगातार सलाह दी जा रही है कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा अधिसूचित केवल विशिष्ट श्रेणियों के अत्यावश्यक सेवा कर्मचारियों को ही इन विशेष उपनगरीय सेवाओं में यात्रा करनी चाहिये। बहरहाल, इस सम्बंध में नवीनतम कार्रवाई के अंतर्गत, पश्चिम रेलवे ने फर्जी आईडी कार्ड धारकों के विभिन्न मामलों का पता लगाया है, जो अधिसूचित नहीं होने के बावजूद विशेष उपनगरीय सेवाओं में यात्रा कर रहे थे।

पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी सुमित ठाकुर द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, इस तरह के धोखाधड़ी के मामलों के मद्देनजर पश्चिम रेलवे द्वारा उपनगरीय स्टेशनों पर विशेष टिकट जांच अभियान चलाये जा रहे हैं। इनमें प्रतिदिन औसतन 20 संदिग्ध आईडी के मामलों का पता चल रहा है, जिनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है। 15 जून, 2020 से विशेष उपनगरीय ट्रेनों की शुरुआत के बाद 2 अक्टूबर, 2020 तक भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत फर्जी आईडी के जरिये धोखाधड़ी के मामलों में जीआरपी पुलिस के कार्यालयों में कुल पांच एफआईआर दर्ज की गई हैं।

इस अवधि के दौरान बिना टिकट और बिना बुक किये गये सामानों के कुल 4,555 मामलों का पता चला, जिनसे जुर्माने के रूप में 23.24 लाख रुपये वसूले गए। बोरीवली स्टेशन पर एक विशेष चैकिंग ड्राइव के दौरान, एक लैमिनेटेड पहचान पत्र के साथ एक व्यक्ति का पता चला, जो संदिग्ध लग रहा था। उसके पहचान पत्र पर आधार कार्ड नम्बर के साथ धारक की तस्वीर लगी हुई थी। उसके काम की जगह और स्वरूप के बारे में पूछताछ करने पर यह पता चला कि वह बोरीवली में एक निर्माण स्थल पर काम करता है और उसने अधिकार पत्र की धोखाधड़ी से खरीद की थी। संदिग्ध को जीआरपी को सौंप दिया गया और प्राथमिकी दर्ज की गई।

एक अन्य नियमित टिकट जांच गतिविधि में, एक यात्री को जाली पहचान पत्र के साथ अंधेरी स्टेशन पर पकड़ा गया। पूछताछ के दौरान, उसने खुलासा किया कि वह एक फोटो कॉपियर की दुकान में काम करता है और उसके बॉस ने उसे अपने अन्य कर्मचारियों के लिए भी फर्जी आईडी कार्ड दिये थे। उसने यह भी खुलासा किया कि कम से कम 50 से 60 व्यक्ति इन फर्जी इमरजेंसी पासों को लेकर लोकल ट्रेनों में यात्रा कर रहे हैं। इस संदिग्ध को भी जीआरपी को सौंप दिया गया और प्राथमिकी दर्ज की गई। एक ही एजेंट द्वारा जारी किये गये नकली आईडी कार्ड ले जाने के लिए दो अन्य व्यक्तियों को बोरीवली स्टेशन पर पकड़ा गया। एजेंट को गिरफ्तार कर लिया गया और अब वह जमानत पर है।

मीरा रोड स्टेशन पर एक अन्य चैकिंग गतिविधि में, एक अन्य व्यक्ति को एक संदिग्ध आईडी कार्ड के साथ हिरासत में लिया गया, जिसने 1000 रु. का भुगतान कर बी एम सी के सफाई कर्मचारियों के फर्जी आईडी कार्ड की खरीद करना कबूल किया। इसे भी पूछताछ के बाद जीआरपी को सौंप दिया गया। एक अन्य मामले में विले पार्ले स्टेशन पर उतरने वाले और एमसीजीएम का आईडी कार्ड रखने वाले व्यक्ति से जब उसकी नौकरी की प्रकृति के बारे में पूछताछ की गई, तो उसने विलेपार्ले में एक निजी फर्म के लिए काम करना स्वीकार किया। उसके बाद, उसे भी जीआरपी को फर्जी आईडी मामले में एफआईआर दर्ज करने के लिए सौंप दिया गया।

इन सभी घटनाओं के आधार पर फर्जी आई डी वाले किसी बड़े घोटाले का पता लगाने की पूरी कोशिश पश्चिम रेलवे द्वारा की जा रही है। ठाकुर ने जनता से सरकार द्वारा निर्धारित मानदंडों का पालन करने, प्रशासन के साथ सहयोग करने और अपनी सुरक्षा के लिए दिये गये निर्देशों का समुचित अनुपालन करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि अनधिकृत पहचान पत्र के साथ यात्रा करना एक दंडनीय अपराध है। इसलिए, पश्चिम रेलवे द्वारा लोगों से अपील की गई है कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित विशिष्ट आवश्यक श्रेणियों के अलावा किसी अन्य को इन विशेष लोकल ट्रेनों में यात्रा नहीं करनी चाहिए।

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