पंजाब में चुनावी मुद्दा बने MSP और किसान आंदोलन, कैप्टन ने कही ये बात

नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने हाल ही में धान की खरीदी पर न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ा दिया था. इसके बाद से ही एक बार फिर तीन कृषि कानूनों (Three Farm Laws) को लेकर चर्चा तेज हो गई थी. सरकार की तरफ से दी गई 72 रुपये की बढ़त को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) ने ‘मामूली’ बताया है. खास बात है कि सीएम सिंह का खेमा 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) से पहले किसान मुद्दे को बड़े मौके के रूप में देख रहा है. इसके अलावा एनडीए का हिस्सा रही शिरोमणि अकाली दल ने भी सरकार को घेरा है.

सीएम ने एमएसपी में ‘अपर्याप्त’ बढ़त पर सवाल उठाए हैं. साथ ही उन्होंने इस फैसले को तीन कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे ‘किसानों का अपमान’ बताया है. सरकार ने 2021-22 सत्र के लिए धान पर एमएसपी को 72 रुपये बढ़ाकर 1940 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया था. फिलहाल बोई गई धान की कटाई इस साल अक्टूब-नवंबर में होगी. तब तक चुनाव का दौर नजदीक आ चुका होगा. सीएम ने कहा, ‘धान में 4 फीसदी से कम एमएसपी की बढ़त बीते साल से बढ़े डीजल और अन्य खर्चों के मद्देनजर लागत निकालने के लिए काफी नहीं है.’

शिरोमणि अकाली दल ने भी एमएसपी की नई कीमतों को ‘क्रूर मजाक’ बताकर सरकार पर निशाना साधा है. पार्टी प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कहा, ‘एनडीए सरकार की तरफ से कृषि आय दोगुनी करने के वादे के बजाए यह खेती को पीछे ले जाएगा. इससे डीजल और उर्वरक जैसे खर्च भी नहीं निकल रहे हैं.’ वहीं, कैप्टन खेमे ने शिअद के इस कदम को चुनाव से पहले राजनीतिक बताया है. एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों के मुताबिक, किसानों को औसत लागत से 50 फीसदी से ज्यादा एमएसपी दिलाने के लिए एनडीए में इतने साल रहने के बाद शिअद ने क्या किया?’

केंद्र सरकार में अधिकारी ने कहा कि किसानों के अनुमान के मुताबिक, धान की लागत मूल्य 1293 रुपये प्रति क्विंटल है. और किसान 1940 रुपये की एमएसपी को देखते हुए किसानों ने मौजूदा खरीफ सीजन में अपनी लागत से 50 फीसदी ज्यादा हासिल किया है. उन्होंने कहा, ‘किसानों ने 2020-21 में देश में 816 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी, जो कि एक रिकॉर्ड है. इससे पहले 2019-20 में 773 मीट्रिक टन धान खरीदी गई थी.’
कृषि कानूनों पर सियासत तेज हुई

शिअद और कांग्रेस ने दिल्ली की सीमाओं पर मौजूद किसानों के मुद्दे पर केंद्र पर हमला शुरू कर दिया है. मुख्यमंत्री ने कहा, ‘केंद्रीय कृषि मंत्री का यह कह देना कि बातचीत के दरवाजे खुले हुए हैं, यह काफी नहीं है. भारत सरकार को कृषि कानून वापस लेने चाहिए और फिर किसानों के साथ बैठकर कृषि में वास्तविक और सार्थक सुधार तैयार करने चाहिए.’ सुखबीर बादल ने भी केंद्र सरकार से ‘दिल्ली सीमाओं पर बैठे किसानों के दर्ज के साथ संवेदनशील’ होने और नई बातचीत की अपील की है.

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