क्या वर्दी ने बदल दी माफिया टैग वाले गांवों की पहचान ? जानिए उत्तरप्रदेश के इस गाँव की प्रेरणादायक कहानी

उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के कुछ गांवों को कभी अपराध और माफिया गतिविधियों के कारण बदनाम माना जाता था। लेकिन अब इन गांवों की पहचान बदल रही है। करनावल और भदौड़ा जैसे गांव, जिनका नाम कभी आपराधिक घटनाओं से जुड़ा रहता था, वहां के युवाओं ने अपने मेहनत और जुनून से पुलिस, सेना और अन्य सरकारी सेवाओं में शामिल होकर गांव का नाम रोशन किया है। इनकी कहानियां यह दिखाती हैं कि बदलाव मुमकिन है  अगर दिशा सही हो।

अपराध की छाया से बाहर निकल रहा करनावल गांव

करनावल गांव, जो पहले माफिया के कारण चर्चा में रहता था, अब देशसेवा के लिए जाना जा रहा है। यहां के युवाओं ने लगातार मेहनत कर पुलिस, अग्निवीर, आर्मी और अन्य विभागों की भर्ती परीक्षाएं पास की हैं। गांव के ही रहने वाले विक्की कुमार अब सेना में हैं, जबकि रोहित चौधरी पुलिस विभाग में शामिल हुए हैं। एक समय था जब इस गांव के नाम से बाहर के लोग दूरी बनाकर रखते थे, लेकिन अब यही गांव गर्व से देखा जा रहा है।

भदौड़ा गांव के युवाओं ने किया कमाल, बने पुलिस और फौज के सिपाही

भदौड़ा गांव भी करनावल की तरह कभी आपराधिक छवि के लिए बदनाम था। लेकिन अब यहां के युवाओं ने एक-एक कर अपने जीवन को नया मोड़ दिया है। गांव के युवाओं ने खुद को अनुशासित करते हुए पुलिस और रक्षा सेवाओं में स्थान प्राप्त किया। यह बदलाव सिर्फ रोजगार का नहीं, सोच का भी है  जहां अब युवा बंदूक नहीं, वर्दी को गर्व मानते हैं।

पुलिस अफसरों की प्रेरणा और मेहनत लाई रंग

मेरठ पुलिस ने इन गांवों के युवाओं को सही मार्गदर्शन और प्रेरणा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। समय-समय पर गांवों में जाकर अधिकारियों ने युवाओं से संवाद किया, उन्हें कानून की ताकत और सम्मान के बारे में बताया। इसके साथ ही, युवाओं को तैयारी के संसाधन उपलब्ध कराए गए और मोटिवेशनल कैंप भी लगाए गए। इसका सीधा असर दिखा और कई युवा अब सफलता की मिसाल बन चुके हैं।

सरकारी नौकरी में जगह बनाना बना गांव के युवाओं का नया सपना

इन गांवों के युवाओं के लिए अब सरकारी नौकरी सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि लक्ष्य बन चुकी है। देशभक्ति और समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना उनमें घर कर चुकी है। भदौड़ा और करनावल में अब युवाओं के बीच प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी सामान्य बात हो गई है। कोचिंग सेंटर खुलने लगे हैं और अभिभावक भी बच्चों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।

गांवों की छवि बदली, अब बदनामी नहीं, गर्व है पहचान

जहां कभी अपराधियों की कहानियां सुनाई देती थीं, अब वहां देशसेवा की प्रेरक कहानियां गूंज रही हैं। करनावल और भदौड़ा जैसे गांवों ने यह साबित कर दिया है कि कोई भी गांव अपनी पहचान बदल सकता है — बशर्ते वहां के युवा ठान लें कि वे इतिहास नहीं, भविष्य लिखेंगे।

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