Viral: खून से लिखा अमेरिकी राष्ट्रपति ‘डोनाल्ड ट्रंप’ को पत्र, मथुरा के संत ने पहलगाम हमले के बाद की ये अपील

उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले के प्रमुख पक्षकार और संत दिनेश फलाहारी महाराज ने एक बार फिर चर्चा का केंद्र बनते हुए अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अपने खून से पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने पाकिस्तान को आतंकवादियों की शरणस्थली बताते हुए उसे आतंकवादी देश घोषित करने की अपील की है। फलाहारी महाराज ने इस पत्र को एक्स (पूर्व ट्विटर) पर सार्वजनिक भी किया है, जिससे सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है।

पाकिस्तान को बताया आतंकवादियों का अड्डा

दिनेश फलाहारी महाराज ने ट्रंप को लिखे पत्र में दो टूक शब्दों में कहा कि पाकिस्तान आतंकवादियों का केंद्र बन चुका है, जहां सैकड़ों आतंकवादी शिविर सक्रिय हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में घुसकर मारा, वहीं भारत ने भी सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए आतंकियों को जवाब दिया। उनके अनुसार, अगर अमेरिका पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करता है तो वैश्विक आतंकवाद की कमर टूट जाएगी।

अमेरिकी राष्ट्रपति से वैश्विक शांति के लिए सहयोग की अपील

फलाहारी महाराज ने पत्र में ट्रंप से आग्रह किया है कि विश्व शांति के लिए पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यदि पाकिस्तान पर कठोर अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई नहीं की गई, तो निर्दोष लोग यूं ही आतंकवाद का शिकार होते रहेंगे। उन्होंने यह भी जोड़ा कि पाकिस्तान को आतंकी राष्ट्र घोषित करने से उसकी विदेशी फंडिंग पर रोक लगेगी, जिससे आतंकियों की आर्थिक कमर टूटेगी।

तीन वर्षों से भोजन और पादुका का त्याग

यह ध्यान देने योग्य है कि दिनेश फलाहारी वही संत हैं जिन्होंने मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि से मस्जिद हटाने तक भोजन ना करने और पैरों में पादुका ना पहनने की प्रतिज्ञा ली है। यह प्रतिज्ञा उन्होंने तीन वर्ष पहले ली थी और अब तक उस पर अडिग हैं। उनके अनुसार, यह उनकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रतिबद्धता का हिस्सा है।

पत्र को एक्स (Twitter) पर किया सार्वजनिक

दिनेश फलाहारी महाराज ने यह पत्र अपने एक्स अकाउंट से ट्वीट करके अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भेजा है। उनके ट्वीट ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ ला दी है। कुछ लोग इसे राष्ट्रभक्ति की चरम अभिव्यक्ति बता रहे हैं, वहीं कुछ इसे अत्यधिक नाटकीयता करार दे रहे हैं।

धार्मिक आस्था और राष्ट्रवाद की अनोखी अभिव्यक्ति

मथुरा के संत का यह कदम दर्शाता है कि धार्मिक भावनाएं और राष्ट्र की सुरक्षा के मुद्दे आज भी समाज में गहरी पैठ रखते हैं। खून से लिखा गया यह पत्र सिर्फ एक अपील नहीं, बल्कि आक्रोश और आत्मबलिदान का प्रतीक है। अब देखना होगा कि अमेरिका और अन्य अंतरराष्ट्रीय ताकतें इस पर क्या रुख अपनाती हैं।

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