Viral Video: 110 km गंगाजी साधी, BJP सांसद को व्हील चेयर पर आना पड़ा संसद, फिर भी..

नई दिल्ली। उत्तर पूर्वी दिल्ली से भाजपा सांसद और भोजपुरी सिनेमा के लोकप्रिय अभिनेता मनोज तिवारी इन दिनों चर्चा में हैं। वजह है उनकी श्रावणी कांवड़ यात्रा, जो उन्होंने लगभग 110 किलोमीटर पैदल चलकर पूरी की। लेकिन इस आस्था की डगर ने उनके पैरों को इस कदर थका दिया कि अब उन्हें व्हीलचेयर पर संसद आना पड़ा। बावजूद इसके उन्होंने अपने कर्तव्यों से पीछे हटने के बजाय पूरी हिम्मत के साथ संसद की कार्यवाही में भाग लिया।
30 साल बाद दोहराई भक्ति: सुल्तानगंज से देवघर तक पैदल यात्रा
मनोज तिवारी ने इस बार तीस साल बाद कांवड़ यात्रा करने का संकल्प लिया। उन्होंने बिहार के सुल्तानगंज से झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम तक की यात्रा पैदल पूरी की। यह यात्रा करीब 110 किलोमीटर लंबी थी और उन्होंने यह यात्रा नंगे पांव पूरी की। उन्होंने कहा कि यह उनके जीवन की सबसे कठिन लेकिन सबसे पवित्र यात्राओं में से एक रही।
गंभीर रूप से घायल हुए पैर, संसद पहुंचे व्हीलचेयर पर
कांवड़ यात्रा के दौरान नंगे पांव चलने से मनोज तिवारी के पैरों में फफोले और गंभीर घाव हो गए। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि उन्हें चलने-फिरने में तकलीफ होने लगी। सोमवार और मंगलवार को जब संसद की कार्यवाही में भाग लेने का वक्त आया, तो वे व्हीलचेयर पर संसद भवन पहुंचे। हालांकि व्हीलचेयर के सहारे आने के बावजूद उन्होंने पारंपरिक तरीके से खड़े होकर संसद में भाग लेने की कोशिश की और अपनी जिम्मेदारियों को प्राथमिकता दी।
ये मनोज तिवारी हैं। कावड़ यात्रा पर गए थे। हमारे इलाके से भी हजारों लोग हर साल जाते हैं लेकिन ऐसा ओवरएक्टिंग करते किसी को नहीं देखे हैं आजतक. pic.twitter.com/QczrFfchjO
— Pratik Patel (@PratikVoiceObc) August 5, 2025
सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरें, लोगों ने किया सलाम
सोशल मीडिया पर मनोज तिवारी की व्हीलचेयर पर संसद आने की तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही हैं। आम जनता से लेकर राजनीतिक हलकों तक, कई लोगों ने उनकी भक्ति, संकल्प और कर्तव्यनिष्ठा की सराहना की है। कुछ यूज़र्स ने उन्हें “भक्ति और राजनीति के संगम की मिसाल” बताया है।
सिर्फ व्यक्तिगत श्रद्धा नहीं, जनता के लिए किया तप
मनोज तिवारी ने कांवड़ यात्रा को केवल आस्था और आत्मिक संतोष का माध्यम नहीं बताया, बल्कि उन्होंने कहा कि यह यात्रा उन्होंने देश, समाज और विशेष रूप से दिल्ली एवं बिहार की जनता की भलाई के लिए की। बाबा बैद्यनाथ से उन्होंने जन कल्याण, सुख-शांति और कोरोना जैसी बीमारियों से मुक्ति की प्रार्थना की।
संसद में दिखाई मजबूती, भाजपा नेताओं ने दी शुभकामनाएं
संसद भवन पहुंचने के बाद, भाजपा के कई नेताओं और सांसदों ने मनोज तिवारी के जज़्बे की तारीफ की। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें भक्ति और जिम्मेदारी का प्रतीक बताया। बताया गया कि तिवारी ने शरीर की तकलीफों को नजरअंदाज कर संसदीय कर्तव्यों को सर्वोपरि रखा।
क्या यह संदेश है नए भारत की राजनीति का?
मनोज तिवारी की यह यात्रा और उसके बाद संसद तक का संघर्ष यह साबित करता है कि अब भारत की राजनीति में भक्ति और जनता की सेवा एक साथ चल सकती है। यह घटना न केवल एक सांसद की आस्था को दिखाती है, बल्कि उसके कर्तव्यनिष्ठ रवैये को भी उजागर करती है।