चलती बस में दिया बच्चे को जन्म, फौरन खिड़की से फेंका.. नवजात की दर्दनाक मौत, वजह सुन आ जाएगा गुस्सा !

महाराष्ट्र के परभणी जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। पुणे से परभणी आ रही एक प्राइवेट स्लीपर बस में एक 19 वर्षीय महिला ने चलते वाहन में एक बच्चे को जन्म दिया और तुरंत बाद उस मासूम नवजात को बस की खिड़की से बाहर फेंक दिया। बच्चा कुछ देर तक सड़क पर तड़पता रहा और बाद में उसकी मौत हो गई। इस कृत्य को अंजाम देने के पीछे जो कारण बताए गए वो और भी दर्दनाक और सामाजिक रूप से चिंताजनक हैं।

घटना का खुलासा: यात्री ने देखा, पुलिस को दी सूचना

यह घटना सोमवार सुबह करीब 6:30 बजे घटी, जब एक स्थानीय व्यक्ति ने देखा कि बस की खिड़की से कुछ फेंका गया है। उत्सुकता से जब उसने जाकर देखा, तो वो एक नवजात शिशु था, जो गंभीर रूप से घायल अवस्था में तड़प रहा था। नागरिक ने तुरंत 112 नंबर पर फोन कर पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए बस को रोका और महिला रितिका धेरे (19) और उसके कथित पति अल्ताफ़ शेख (21) को हिरासत में ले लिया।

बच्चे की मौत की पुष्टि, अस्पताल में डॉक्टरों ने किया मृत घोषित

पुलिस की टीम नवजात को तत्काल पठरी ग्रामीण अस्पताल ले गई, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। जांच में पाया गया कि बच्चे के सिर और शरीर पर गंभीर चोटें थीं, जो गिरने की वजह से आई थीं। यह पुष्टि हुई कि बच्चा जन्म के कुछ ही पलों बाद जीवित था, और समय रहते अगर उसे चिकित्सा मिलती तो शायद जान बच सकती थी।

आरोपियों की स्वीकारोक्ति: “बच्चा पालने की स्थिति में नहीं थे”

पुलिस पूछताछ में महिला और उसके साथी अल्ताफ़ ने कबूला कि वे शादीशुदा हैं (हालांकि कोई कानूनी दस्तावेज नहीं दिखा सके) और आर्थिक तंगी के चलते बच्चे को नहीं पाल सकते थे। उन्होंने माना कि यही सोचकर उन्होंने नवजात को फेंक दिया। पुलिस ने आरोपियों के इस बयान को रिकॉर्ड कर लिया है और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 94(3)(5) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।

FIR दर्ज, जांच जारी, गंभीर धाराओं में मामला

पठरी पुलिस ने FIR में यह उल्लेख किया है कि यह मामला न केवल जन्म छिपाने का है, बल्कि नवजात की हत्या की मंशा के साथ किया गया अपराध भी है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह दंपती पुणे में किराये के घर में रह रहा था और परभणी अपने गांव लौट रहा था। अब दोनों को कड़ी पूछताछ के बाद अदालत में पेश किया जाएगा।

आर्थिक तंगी, मानसिक दबाव या सामाजिक कलंक?

इस घटना ने कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह सिर्फ आर्थिक तंगी का मामला है? क्या ये कपल बिना सामाजिक स्वीकृति के रिश्ते में था, जिस कारण बच्चा बोझ बन गया? या फिर समाज ने इतना डर पैदा कर दिया है कि लोग जन्म को ही अपराध समझने लगे हैं? इन सवालों के जवाब अभी जांच के बाद सामने आएंगे, लेकिन यह घटना सामाजिक संरचना के उन काले हिस्सों को जरूर उजागर करती है, जिन्हें अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

नवजात की मौत या हमारी सामूहिक संवेदनहीनता की हार?

परभणी की यह घटना केवल एक नवजात की मौत नहीं है, यह हमारे समाज की सामूहिक नैतिक हार है। जहां एक मां ने जन्म देने के चंद मिनटों बाद ही अपने बच्चे को मौत के हवाले कर दिया, वहीं एक संवेदनशील नागरिक ने समय रहते कार्रवाई कर एक अपराध को उजागर कर दिया। यह घटना हमसे सवाल पूछती है—क्या हम एक ऐसा समाज बना चुके हैं जहां जीवन से पहले भय और गरीबी हावी हो जाते हैं?

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