महाराष्ट्र में अब 8 घंटे की ड्यूटी करेगी महिला पुलिस:देशभर में 2.15 लाख हैं महिला पुलिसकर्मी

पुलिस बल का केवल 10 फीसदी संख्या होने की वजह से करनी पड़ती है लंबी ड्यूटी

पुलिस फोर्सेज में महिलाओं की भर्ती जेंडर के लिहाज से अहम है। लेकिन माना जाता है कि लंबी शिफ्ट और टफ वर्किंग कंडीशन की वजह से पुलिस बल में महिलाओं का रुझान कम रहता है। लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने महिला पुलिसकर्मियों के काम के घंटे 12 घंटे से घटाकर 8 घंटे करने का अहम फैसला किया है। माना जा रहा है यह फैसला दूसरे राज्यों को रास्ता दिखा सकता है।

महाराष्ट्र के डीजीपी संजय पांडेय ने शुक्रवार को बताया कि राज्य पुलिस बल महिलाकर्मियों के लिए आठ घंटे की शिफ्ट लागू करेगा। हालांकि कुछ जगहों पर इसे पहले ही लागू किया जा चुका है, लेकिन डीजीपी ने कहा कि जल्द ही चरणबद्ध तरीके से इस तरह की शिफ्ट पूरे राज्य में लागू कर दी जाएगी।

महिला कॉन्स्टेबलों ने की थी लंबी ड्यूटी की शिकायत

असल में, कई महिला कॉन्स्टेबल ने राज्य के पुलिस प्रमुख से संपर्क किया और कहा कि उन्हें अक्सर निर्धारित बारह घंटे से अधिक ड्यूटी करनी पड़ती है जिससे उनकी फैमिली लाइफ प्रभावित होती है। इस मसले पर डीजीपी ने अन्य सीनियर अफसरों से सलाह ली और अब उन्होंने काम के घंटे 8 करने का फैसला लिया है। नागपुर, पुणे, अमरावती और हाल ही में नवी मुंबई में महिला पुलिस कर्मियों के लिए आठ घंटे की शिफ्ट को लागू किया जा चुका है।

भारत सरकार ने माना- देश में कम हैं महिला पुलिसकर्मी

दरअसल, महिला पुलिसकर्मियों की अपर्याप्त संख्या के चलते मौजूदा कर्मियों पर इसका बोझ पड़ता है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लिखित जवाब में लोकसभा में खुद माना कि पुलिस बल में महिलाकर्मियों की पर्याप्त संख्या नहीं है। 1 जनवरी 2021 को निचले सदन में नित्यानंद राय ने कहा कि भारतीय पुलिस बल में महिलाओं का प्रतिनिधित्व निराशाजनक है। भारतीय पुलिस बल में सिर्फ दो लाख 15 हजार यानी 10% महिला पुलिसकर्मी हैं।

केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा- एक तिहाई महिला पुलिसकर्मी रखी जाएं

ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट की रिपोर्ट के मुताबिक 1 जनवरी, 2020 तक देश भर में पुलिस बल में महिलाओं की संख्या में 16.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, लेकिन कुल पुलिसकर्मियों में उनकी भागीदारी 10.3 प्रतिशत है। उनका प्रतिनिधित्व बेहद कम है जबकि केंद्र सरकार ने पुलिस फोर्स में एक-तिहाई महिला भागीदारी की सीमा पहले से ही तय कर रखी है।

हर राज्य में महिलाओं के लिए रिजर्वेशन है। लेकिन कम संख्या होने की वजह से महिलाओं को लंबे समय तक काम करना पड़ता है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है। पुलिस बलों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए केंद्र ने राज्य सरकारों को निर्देश दिए हैं। केंद्र ने राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि पुलिस बल में कम से कम एक तिहाई महिला पुलिसकर्मी होनी चाहिए, ताकि महिलाओं और बच्चों के मामलों को हैंडल करने में किसी तरह की परेशानी सामने न आए।

हर थाने में हों तीन महिला सब इंस्पेक्टर

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद ने लोकसभा में बताया कि केंद्र ने सभी राज्य सरकारों से अनुरोध किया है कि पुरुषों के वैकेंट पोस्ट को महिला पोस्ट में कन्वर्ट किया जाए। इन पदों पर महिलाओं को सब इंस्पेक्टर, कॉन्स्टेबल के तौर पर तैनात किया जाए। उन्होंने बताया कि इसका मकसद यह है कि हर पुलिस थाने में कम से कम तीन महिला सब-इंस्पेक्टर जबकि दस महिला कॉन्स्टेबल तैनात हों। साथ ही हर थाने में एक महिला हेल्प डेस्क होना चाहिए। पुलिस थानों में महिला पुलिस कर्मियों के लिए हाउसिंग, मेडिकल सुविधा और रेस्ट रूम जैसी सुविधाएं होनी चाहिए ताकि युवा लड़कियां इस नौकरी की तरफ आकर्षित हो सकें।

टॉप पोस्ट पर महिलाएं नदारद!

देशभर के पुलिसबल को देखा जाए तो केवल पांच महिलाएं पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पद पर तैनात हैं। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, पुलिस महा-निरीक्षक और पुलिस उप महा-निरीक्षक के बाद के पदों पर भी पूरे भारत में 50 से कम महिलाएं हैं।

Related Articles

Back to top button