गजब ! अब कलेक्ट्रेट की भी होगी नीलामी, 4 करोड़ भरो या.. नोटिस भी जारी, जानिए क्या है पूरा मामला ?

मधुबनी जिला एवं सत्र न्यायालय ने एक ऐतिहासिक और कड़े कदम के तहत मधुबनी समाहरणालय (कलेक्ट्रेट) की नीलामी का आदेश दिया है। यह आदेश राधा कृष्ण एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर एक पुराने मामले में बकाया भुगतान नहीं करने के चलते जारी किया गया है।

सिविल कोर्ट नाजिर ने समाहरणालय पर चस्पा किया नोटिस

मंगलवार, 17 जून 2025 को दोपहर में समाहरणालय के मुख्य द्वार पर सिविल कोर्ट के नाजिर दुर्गानंद झा ने न्यायालय का नोटिस चस्पा किया। नोटिस में स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि यदि 15 दिनों के भीतर 4 करोड़ 17 लाख 24 हजार 459 रुपये की राशि का भुगतान नहीं किया गया, तो समाहरणालय भवन और उसकी भूमि की नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

1996-97 में पंडौल सूत मिल के पुनरुद्धार से जुड़ा विवाद

यह मामला रतन कुमार केडिया, निदेशक- मेसर्स राधा कृष्ण एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और बिहार सरकार के अधीन पंडौल को-ऑपरेटिव सूत मिल के बीच का है। वकील हरिशंकर श्रीवास्तव के अनुसार, 1996-97 में बंद हुई इस सूत मिल को दोबारा चालू करने के लिए केडिया की कंपनी ने पूंजी और कच्चा माल उपलब्ध कराया था।

कंपनी की शर्तों के अनुसार संचालन की जिम्मेदारी सूत मिल प्रशासन और राज्य सरकार पर थी। हालांकि, अग्रिम भुगतान के बावजूद कंपनी को बिल देने से मना कर दिया गया, जिसके चलते कंपनी ने भुगतान बंद कर दिया और मिल दोबारा बंद हो गई।

कोर्ट में कई सालों तक चला मामला

1999 में राधा कृष्ण एक्सपोर्ट्स ने कोर्ट में यथास्थिति बनाए रखने की मांग की, लेकिन यह याचिका खारिज हो गई। इसके बाद कंपनी ने पटना हाईकोर्ट का रुख किया।

केडिया के अधिवक्ता वरुण कुमार झा ने बताया कि पटना हाईकोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश घनश्याम प्रसाद ने विपक्षी पक्ष को आदेश दिया था कि वे कंपनी को 28 लाख 90 हजार 168 रुपये का एडवांस भुगतान, 2 लाख रुपये क्षतिपूर्ति, 70 हजार रुपये मुकदमा खर्च और एक लाख 80 हजार रुपये मध्यस्थ (आर्बिट्रेटर) की फीस के तौर पर अदा करें। साथ ही, पूरी राशि पर 18 प्रतिशत ब्याज दर से भुगतान करने का आदेश भी दिया गया।

2016 में अनुपालन याचिका दायर, 2025 में मिला बड़ा आदेश

जब हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं हुआ, तो 2016 में राधा कृष्ण एक्सपोर्ट्स के निदेशक ने जिला न्यायालय, मधुबनी में आदेश के अनुपालन के लिए याचिका दाखिल की। अब 2025 में इस याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनामिका टी ने 4 करोड़ 17 लाख से अधिक की वसूली नहीं होने पर समाहरणालय की नीलामी का सख्त आदेश जारी किया है।

सरकार की चुप्पी पर उठ रहे सवाल

इस आदेश के बाद अब जिला प्रशासन और राज्य सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। स्थानीय नागरिकों और राजनीतिक हलकों में यह विषय चर्चा का केंद्र बन गया है कि यदि समाहरणालय की नीलामी की कार्रवाई शुरू हो गई, तो जिले के प्रशासनिक ढांचे पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा।

आदेश को गंभीरता से लेने की आवश्यकता

मधुबनी कोर्ट द्वारा जारी यह आदेश एक गंभीर चेतावनी है कि न्यायालय के आदेशों की अनदेखी करने पर प्रशासनिक भवनों तक की नीलामी की नौबत आ सकती है। अब देखना होगा कि राज्य सरकार इस आदेश का पालन कर बकाया राशि अदा करती है या मामला और गंभीर मोड़ लेता है।

 

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