सिस्टम को खुली चुनौती ! जमानत पर आए बलात्कारी ने उसी महिला का फिर किया रेप, हाथ-पैर बांधकर झाड़ियों में फेंका..

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से एक बार फिर न्याय प्रणाली की संवेदनहीनता और महिला सुरक्षा की बदहाली को उजागर करती चौंकाने वाली घटना सामने आई है। एक बलात्कार का आरोपी, जो पहले ही जमानत पर बाहर आया था, उसने उसी महिला को दोबारा अगवा कर रेप किया और फिर हाथ-पैर बांधकर झाड़ियों में फेंक दिया। स्थानीय लोगों की सतर्कता से पीड़िता की जान बची, लेकिन इस अपराध ने सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक में गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

घटना लखनऊ की, आरोपी था पहले से नामज़द

घटना लखनऊ जिले की है, जहां पीड़िता ने पहले आरोपी के खिलाफ बलात्कार का केस दर्ज करवाया था। मामला कोर्ट में लंबित था, लेकिन आरोपी को जमानत मिल गई। बाहर आते ही उसने पुरानी रंजिश के चलते पीड़िता को दोबारा निशाना बनाया।

अगवा कर झाड़ियों में छोड़ा, शरीर पर चोट और मानसिक सदमा

बताया जा रहा है कि आरोपी ने महिला को पहले अपहरण किया, फिर दुर्गम इलाके में ले जाकर रेप किया, और अंत में उसके हाथ-पैर और मुंह बांधकर झाड़ियों में फेंक दिया। स्थानीय लोगों ने जब झाड़ियों से सिसकियों की आवाज सुनी, तब जाकर महिला को बचाया जा सका। वह बुरी तरह घायल थी और मानसिक रूप से बेहद डरी हुई थी।

वीडियो वायरल: सोशल मीडिया पर उमड़ा गुस्सा

इस दिल दहला देने वाली घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें महिला को गंभीर हालत में झाड़ियों से बाहर निकाला जाता दिखाई दे रहा है।
लोगों का गुस्सा भड़क उठा है —

  • “क्या महिलाओं को इंसाफ के लिए अब तीन बार रेप झेलना होगा?”
  • “जमानत का मतलब आज़ादी नहीं, न्याय से खिलवाड़ बन गया है!”

पुलिस की कार्रवाई: FIR दर्ज, आरोपी की तलाश जारी

पीड़िता की शिकायत के आधार पर पुलिस ने आरोपी और उसके दो साथियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में FIR दर्ज की है।
शामिल धाराएं:

  • IPC 376 (बलात्कार)
  • 366 (अपहरण)
  • 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना)
  • SC/ST एक्ट (यदि लागू हो)

पुलिस ने बताया कि मुख्य आरोपी फरार है और उसकी तलाश में टीमें गठित की गई हैं।

जमानत प्रणाली पर गंभीर सवाल, क्या यह इंसाफ है?

यह घटना केवल एक बलात्कार नहीं, बल्कि हमारे न्यायिक सिस्टम की एक खतरनाक खामोशी है। जब एक आरोपी, जो पहले ही यौन अपराध में गिरफ्तार हुआ हो, उसे फिर से उसी पीड़िता के पास पहुंचने का मौका कैसे मिल जाता है? क्या जमानत की शर्तें सिर्फ कागजों तक सीमित हैं?

महिला सुरक्षा पर फिर लगा धब्बा, कब बदलेगा सिस्टम?

महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सरकारें दावा तो बहुत करती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे उलट है। यह मामला सिर्फ एक पीड़िता का नहीं, बल्कि हर उस महिला का है जो न्याय की आस में सिस्टम के आगे बेबस खड़ी है। इस घटना के बाद एक बार फिर यह ज़रूरत महसूस हो रही है कि जमानत देने की प्रक्रिया में यौन अपराधियों के लिए विशेष सख्ती बरती जाए।

 

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