लालू बनेंगे तेजस्वी के सारथी!:उपचुनाव में प्रचार के लिए निकले तो बेटे को हिम्मत मिलेगी,

भाजपा को मुश्किलों में डाल सकते हैं

लालू गेम चेंजर के रूप में जाने जाते हैं। बिहार में यादवों के वोट बैंक पर उनका एकाधिकार माना जाता है। -फाइल फोटो।

RJD सुप्रीमो लालू यादव आज बिहार पहुंचेंगे। वह ऐसे समय में पटना आ रहे हैं जब बिहार में दो सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं और राजद-कांग्रेस के बीच का गठबंधन टूट गया है। कांग्रेस की तरफ से कन्हैया कुमार, जिग्नेश मेवानी और हार्दिक पटेल जैसे युवा नेता चुनाव प्रचार कर रहे हैं जिनकी राष्ट्रीय छवि मानी जाती है। माना जा रहा है कि लालू प्रसाद आएंगे और चुनाव प्रचार में जाएंगे तो नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की ताकत कई गुणा बढ़ जाएगी। लालू अगर चुनाव प्रचार करते हैं तो भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती है। इससे पहले भी कई मौकों पर लालू यादव ने भाजपा को मुश्किलों में डाला है।

लाल कृष्ण आडवाणी के इसी रथ को लालू यादव ने बिहार में रोक दिया था

आडवाणी का राम रथ रोका
लालू प्रसाद की ताकत उस समय सबसे ज्यादा दिखी थी जब उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी का रथ रोका था। देश के किसी अन्य राज्य के मुख्यमंत्री यह साहस नहीं दिखा सके। लालू प्रसाद ने रथ रोका और आडवाणी को गिरफ्तार करवा लिया। समस्तीपुर में उनकी गिरफ्तारी हुई। लालू प्रसाद ने उस समय तर्क दिया था कि रथ नहीं रोका गया तो सांप्रदायिक उन्माद फैल जाएगा। इस घटना का राजनीतिक असर यह हुआ कि भाजपा एक नंबर की पार्टी नहीं बन पाई।

गुजराल और देवगौड़ा को PM बनवाया, अटलजी को दोबारा पीएम बनने से रोका
लालू प्रसाद ने इंद्रकुमार गुजराल और एचडी देवगौड़ा को PM बनवाया। उसमें बड़ी भूमिका निभाई। इससे अटल बिहारी वाजपेयी दोबारा PM नहीं बन पाए थे। लालू ने आरक्षण की राजनीति ताकतवर तरीके से की। भाजपा ने इसके जवाब में राम मंदिर की राजनीति की लेकिन मंडल की राजनीति का राजनीतिक फायदा उन्हें मिलता रहा। अब उनकी पार्टी आरक्षण के सवाल पर ही जाति जनगणना कराने की मांग कर रही है। केंद्र सरकार जाति जनगणना नहीं कराना चाहती।

ये तस्वीर तब की है, जब लालू रेल मंत्री थे। उन्होंने तब बजट पेश किया था।

2004 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को रोका, खुद रेल मंत्री भी बने
केन्द्र में जब कांग्रेस कमजोर होने लगी और सोनिया गांधी विरोध झेल रही थी उस समय लालू प्रसाद ने 2004 के लोकसभा चुनाव मे कांग्रेस के साथ गठबंधन किया। तब इस गठबंधन ने दो तिहाई सीटें लोस चुनाव में जीतीं। उसी सरकार में लालू केंद्रीय रेलमंत्री भी बने। उस वक्त भी लालू ने भाजपा की सरकार को आने से रोक दिया था।

भाजपा का प्रभाव मांझी पर बढ़ने लगा तो नीतीश का साथ दिया
CM नीतीश कुमार की पार्टी का प्रदर्शन 2014 के लोकसभा चुनाव में खराब रहा। नीतीश कुमार ने अपनी जवाबदेही लेते हुए CM पद से हट गए और अपनी पार्टी JDU के विधायक जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया, लेकिन जल्दी ही भाजपा का प्रभाव मांझी पर होने लगा। उस समय लालू प्रसाद ने नीतीश कुमार का साथ दिया और भाजपा का खेल बिगाड़ते हुए जीतन राम मांझी को कुर्सी से बेदखल कर दिया। 2015 का विधान सभा चुनाव लालू प्रसाद और नीतीश कुमार साथ लड़े। लालू प्रसाद के दोनों बेटे चुनाव जीते और तेजस्वी यादव पहली बार में ही उपमुख्यमंत्री बनाए गए। दूसरे बेटे तेजप्रताप यादव स्वास्थ्य मंत्री बने।

लालू उपचुनाव में भाजपा के लिए कैसे बनेंगे मुसीबत
लालू गेम चेंजर के रूप में जाने जाते हैं। बिहार में यादवों के वोट बैंक पर उनका एकाधिकार माना जाता है। यादवों के 16% वोट बैंक के साथ ही मुसलमानों के 16% वोट बैंक पर भी उनकी पकड़ मानी जाती है। यह MY(Muslim-Yadav) समीकरण उनकी राजनीति की बड़ी ताकत है।

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