ओवैसी और ओमप्रकाश राजभर की ‘जुगलबंदी’ से जानिए किसका नुकसान, किसे फायदा?

लखनऊ. वैसे तो उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) में अभी छह महीने से अधिक का वक्त बचा है, लेकिन सूबे में सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. सत्तारूढ़ बीजेपी (BJP) से लेकर विपक्ष तक गठजोड़ से लेकर अपने सभी कील और कांटे दुरुस्त करने में जुटा है. इसी क्रम में असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की एआईएमआईएम (AIMIM) और ओमप्रकाश राजभर (Omprakash Rajbhar) की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) ने आगामी विधानसभा चुनाव एकसाथ मिलकर लड़ने का ऐलान किया है. जानकार ओवैसी और राजभर की पार्टी के बीच हुए गठबंधन को ‘वोट कटवा’ के तौर पर देख रहे हैं. साथ ही इसे समाजवादी पार्टी के लिए नुकसान की बात भी कह रहे हैं.

दरअसल, एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश में ओम प्रकाश राजभर की अगुआई वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, (एसबीएसपी) और कुछ अन्य छोटे दलों के फ्रंट भागीदारी संकल्प मोर्चा के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी. उन्होंने यह भी कहा कि यूपी के प्रदेश अध्यक्ष ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि पार्टी 100 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी

मुस्लिम वोट में बिखराव का खतरा

जानकारों के मुताबिक एआईएमआईएम के 100 सीटों पर चुनाव लड़ने से सबसे ज्यादा उन दलों को नुकसान होगा जो मुस्लिम वोटों पर दावा करती हैं. क्योंकि एआईएमआईएम सभी मुस्लिम उम्मीदवार ही उतारेगी. ऐसे में कहीं न कहीं मुस्लिम वोट के बंटने का भी खतरा होगा, जिसका सीधा नुकसान समाजवादी पार्टी को हो सकता है. इतना ही नहीं ओमप्रकाश राजभर की पार्टी भी पिछड़ों का वोट काटेगी. ऐसे में नुकसान बड़ी पार्टी जैसे सपा, बसपा और कांग्रेस को होगा. वोट बंटने का फायदा बीजेपी को मिल सकता है.

गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव में पांच सीटों पर जीत हासिल करने के बाद ओवैसी अब अपनी किस्मत उत्तर प्रदेश में भी आजमा रहे हैं. यही वजह है कि उन्होंने 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान करते हुए प्रत्याशियों का चयन भी शुरू कर दिया है.

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