जानिए किस दोष शंति के लिए कौन सा रुद्राक्ष धारण करें?

न केवल नवग्रहों की शांति बल्कि आपके जन्मकुण्डली में उपस्थित अशुभ योगों के निराकरण भी दिव्य रुद्राक्ष धारण द्वारा किया जाता है और इसके चमत्कारिक लाभ भी मिलते है।

 नई दिल्ली। ज्योतिष में अशुभ ग्रहों व प्रतिकूल ग्रहयोगों की शांति हेतु हवन , दान, रत्न या रुद्राक्ष धारण करने का विधान है। जहाँ तक रुद्राक्ष की बात है तो रुद्राक्ष शिव स्वरूप होने के कारण अत्यंत शुभकारी माना जाता हैं और इसे धारण करने से चमत्कारिक रूप से लाभ भी होता है ।

1.जन्मकुंडली में उपस्थित कालसर्प दोष के निराकरण हेतु आठ एवं नौ मुखी रुद्राक्ष या आठ मुखी गणेश रुद्राक्ष को काले धागे में शनिवार को धारण करना चाहिए ।
2. शकट दोष- इसमे पाँच एवं दस मुखी रुद्राक्ष को पीले धागे में गुरुवार को धारण करना अत्यंत शुभकारी रहता है ।
3.केमद्रुम दोष- कुण्डली में यह दोष काफी कष्टकारी होता है ।इसमें 14 या 15 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से निश्चित रूप से लाभ होता है ।
4.ग्रहण दोष- सूर्य से बनने वाले ग्रहण दोष के लिए बारह मुखी के साथ आठ या नौ मुखी रुद्राक्ष लाल धागे में रविवार या सोमवार को धारण करें तथा चन्द्र से बनने वाले ग्रहण दोष के लिए दो मुखी, आठ व नौ मुखी रुद्राक्ष सोमवार को धारण करने से शुभकारी परिणाम मिलते है
5. मांगलिक दोष निवारण के लिए तीन या ग्यारह मुखी रुद्राक्ष लाल धागे में सोमवार के दिन धारण करना चाहिए
6.अगर आपके विवाह में अनावश्यक विलम्ब हो रहा हो या दाम्पत्य जीवन मे क्लेश हो तो गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करने से आश्चर्य जनक रूप से लाभ मिलता है ।
7.संतान प्राप्ति में बाधा या संतान से परेशानी हो रही हो तो महिलाओं के लिए गर्भ गौरी रुद्राक्ष धारण करना अच्छा होता है ।
8.वाणिज्य व्यापार में बाधा रहने पर गणेश रुद्राक्ष या एक मुखी सवार रुद्राक्ष धारण करना अत्यंत शुभकारी होता है ।
9.बड़े पद से जुड़े व्यक्ति या राजनीतिक लाभ हेतु 17 मुखी गौरीशंकर रुद्राक्ष या त्रिजुटी रूद्राक्ष धारण करना चाहिए।
10.सर्वकामना पूर्ति व सम्मोहन हेतु 16 मुखी रूद्राक्ष विशेष कारगर होता है।
जहांतक रुद्राक्ष धारण करने की विधि की बात है तो रुद्राक्ष को रुद्राभिषेक कर ही धारण करना चाहिए लेकिन अगर ऐसा संभव न हो तो सर्वप्रथम रुद्राक्ष को गंगाजल से धोकर पंचामृत या पंचगम्य से अभिषेक कर पुन: शुद्ध जल से स्नान कराकर शिवलिंग पर अर्पण कर श्रद्धा पूर्वक इसे धारण करें।

– आचार्य डॉ परमानन्द
आध्यात्म व ज्योतिष सलाहकार

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