यूपी की पुलिस को गाँववालों ने घेरा , कैसे बच निकली देखे रिपोर्ट

यूपी की पुलिस को गाँववालों ने घेरा , कैसे बच निकली देखे रिपोर्ट

यूपी की पुलिस को गाँववालों ने घेरा , कैसे बच निकली देखे रिपोर्ट

 

एसिड अटैको करने वालों को पकड़ने में पुलिस फेल, निर्दोष कई पासी समाज के लोगों को पुलिस ने भेजा जेल ।

 

मनगढ़ंत कहानी बनाकर एसओजी और पुलिस टीम ने किया घटना का खुलासा । 7 दलितों को अलग-अलग जगह से उठा के मामले में लपेटा ।

 

मानसिंह और संतलाल को पुलिस ने घर से उठा ले जाकर 3 दिन बाद दिखाया मुठभेड़ । अगर उच्च एजेंसी से हुई जांच तो पुलिस को भी जाना पड़ सकता है जेल ।

 

पीड़ित परिजनों ने लगाया पुलिस पर झूठे मुकदमे में फंसाने का आरोप ,योगी सरकार से जांच करा कर न्याय दिलाने की उठाई मांग ।

 

सैकड़ों ग्रामीणों ने पुलिस को था गांव मे घेरा ,तो अपना परिचय देकर ग्रामीणों के चंगुल से बच पाई थी पुलिस । 3 दिन बाद मानसिंह और दिलीप को मुठभेड़ दिखाकर पैर मे गोली मारी पुलिस । एसिड अटैक के कांड से जोड़ रही पुलिस ।

 

असली एसिड अटैक करने वाले आज भी पुलिस के गिरफ्त से हैं बाहर , झूठ को सही और सही को झूठ साबित करने में माहिर है कौशांबी की पुलिस । क्या वास्तव में सही अपराध करने वालों की पुलिस कर सकेगी की गिरफ्तारी.. बड़ा सवाल । पीड़ित के परिजनों ने पुलिस पर लगाया है आरोप । जबकि पुलिस इन्हीं को घटना से जोड़कर खुलासा करने का कर रही है दावा ।

 

क्या अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर है एसिड अटैककर, क्या आनन-फानन मे पुलिस मनगढ़ंत कहानी रखकर निर्दोष कई पासी समाज के लड़कों को भेजा जेल ,जांच का है विषय,। कई महीने पहले भी एसओजी पुलिस में चिल्ला में हुई लड़की की हत्या के मामले में निर्दोष पासी समाज के लड़कों को फंसाकर भेजा जेल । सही हत्यारे को नही पकड़ सकी पुलिस,जिले में बना एसओजी पुलिस का कारनामा चर्चा का विषय।

 

कौशांबी जनपद के थाना चरवा क्षेत्र में 8 अगस्त को सैयद सरावा बैंक ऑफ बड़ौदा में मैनेजर के पद पर कार्य करने वाली दीक्षा सोनकर पर चिल्ला सहबाजी गांव के पास एसिड अटैक हुआ था । 2 अपाची सवार बाइक सवार लोगों ने एसिड अटैक किया था जिस पर पुलिस ने अज्ञात मे मुकदमा दर्ज कर मामले का खुलासा करने के लिए 3 टीम गठित की थी । चर्चाओं में जाए तो सैयद सरावा निवासी आजम नामक व्यक्ति से बैंक के लोन के पैसे के मामले को लेकर बैंक मैनेजर से बहस भी हुई थी, जिसकी वजह से ही इस मामले को जोड़कर पुलिस देख रही है । अब इस मामले में आनन-फानन में टीम गठित तो कर दी गई लेकिन 1 सप्ताह बीतने के बाद भी जब खुलासा नहीं हो सका तो पुलिस पर सवालिया निशान लगने लगे । पुलिस आनन-फानन में घटना का खुलासा करने के लिए 9 लोगों को जेल भेजने का काम किया है । बता दें कि कौशांबी पुलिस की एसओजी टीम प्रभारी सिद्धार्थ सिंह द्वारा और पुलिस टीम द्वारा जिस घटना को मनगढ़ंत कहानी बना करके और 7 पासी समाज के लड़कों को जिस तरह से जेल भेजा गया है जिले में चर्चा का विषय बन गया है । जहां पुलिस इस घटना को खुलासा करके अपनी पीठ थपथपा रही है, वहीं जिले के बुद्धिजीवियों में इस कहानी की स्क्रिप्ट में झोलझाल दिख रहा है l पुलिस द्वारा किसी को भी पकड़कर कहीं भी मुठभेड़ दिखाना, उस पर गोली मारना एवं झूठे केस में फंसाकर जेल भेज देना तो आम बात हो गई है ।

 

बता दें कि पुलिस दिनांक 14 अगस्त को समय लगभग 5:30 बजे काठ गांव इंगुवा मे 3 गाड़ियों के साथ दर्जनों पुलिस पहुंचती है । मानसिंह और संतलाल के परिजनों की माने तो गांव में मोबाइल पर गेम खेल रहे मानसिंह सरोज और संतलाल को पुलिस उठा लेती है और बोरे में भरकर गाड़ी में लाद लेती है । इस घटना को देखने के बाद सैकड़ों ग्रामीणों ने पुलिस को बदमाश समझकर घेर लेती है । मानसिंह पुलिस के गिरफ्त में रहते हुए किसी तरह अपने मोबाइल नंबर 8090155521 से अपने रिश्तेदार मामा के लड़के लवकेश को मोबाइल नंबर 6387594352 पर फोन करके कहा कि मुझे कुछ लोगों ने पकड़ के बोरा में भर लिया है मैं नहीं जानता हूं कौन है ,उठा लिए हैं – तब लवकेश ने तुरंत अपने फोन से संजीत कुमार के मोबाइल नंबर 6307138377 पर फोन करके बताया कि भाई मान सिंह को किसी ने उठा लिया है और पता नहीं बदमाश है कि कौन है उसे बोरा में भर लिए हैं । इधर पुलिस की इस घटना को जैसे ही ग्रामीणों ने देखा पूरे गांव के सैकड़ों लोगों ने पुलिस को घेर लिया । सैकड़ो लोगों ने लाठी, फरसा, कुल्हाड़ी और कट्टा लेकर पुलिस को घेर लिया । पुलिस ने अपने को घिरता देख लोगों को बताया कि हम पुलिस वाले हैं और इन लोगों को पूछताछ के लिए पकड़कर पिपरी थाना ले जा रहे हैं । जिनको जानकारी करना हो तो पिपरी थाने मे आए । जब पुलिस का नाम लोगों ने सुनी तो ग्रामीण शांत हो गए । उसके बाद 50 लोग पिपरी थाना पहुंचे लेकिन वहां पर मानसिंह और संतलाल को नही पाया तो फिर वहां से रहीमाबाद चौकी गए । वहां भी जब नहीं उनको पाए तो वापस गांव लौट के आए और फोन करके लोगो से जानकारी लेने लगे । यह बात पूरे इलाके में आग की तरह फैल गई है । उधर 14 अगस्त की रात में ही धार्मिक व दिलीप को भी पुलिस रास्ते से प्लैटिना गाड़ी के साथ उठा लेती है जोकि धर्मेंद्र अपनी बाइक स्प्लेंडर को लवकेश के यहां खड़ी करके लोकेश की बाइक लेकर दोनों गए कहीं जा रहे थे । इस घटना की सूचना दिनांक 18 अगस्त को लोकेश के परिजन एसपी कौशाम्बी, डीआईजी प्रयागराज , मुख्य्मंत्री को फैक्स के द्वारा भी की है। खबरों और ट्वीट के माध्यम से भी सूचित किया गया है ।

 

अब यहीं से शुरू होता है एसओजी और पुलिस का नया ड्रामा । संतलाल और मान सिंह को उठाने के बाद 3 दिन अपने अंदर में रखकर इतना टॉर्चर करती है और उनको मुठभेड़ दिखाकर उन दोनों के पैर में गोली मार देती है और उन्हें अस्पताल में भर्ती करा देती है । जिस प्रकार एसओजी प्रभारी सिद्धार्थ सिंह बता रहे हैं कि बदमाशों ने उन पर फायर किया है और बुलेट प्रूफ जैकेट में गोली लगी है और जवाबी फायरिंग में उन पर गोली चलाई गई है वास्तव में ए बाते लोगों को हजम नही हो रही है । अब सवाल यह उठता है कि इन दोनों को सिद्धार्थ सिंह और पुलिस की टीम ने ग्रामीणों के सामने गांव से उठाया है तो उनसे मुठभेड़ कैसे होती है, यह जांच का विषय है । इस मामले में गांव के कोटेदार और अन्य दो लड़कों ने इस घटना की वीडियो भी बना लिया था परन्तु पुलिस ने उनका मोबाइल छीन लिया और मोबाइल को तोड़ कर 2 दिन बाद वापस कर दिया है। कई लोगों ने इस भीड़ में कट्टे लेकर बदमाश समझकर पुलिस को घेरे थे, उनके पास से 6 कट्टे भी पुलिस ने छीन लिया है । यदि इस मामले में उच्च स्तरीय जांच हुई ,पुलिस के इस स्क्रिप्ट के ड्रामे का खुलासा हो जाएगा और मानसिंह और संतलल के मोबाइल का कॉल डिटेल और लोकेशन यदि निकाला गया तो काफी चीजें पर्दे से शीशे की तरह साफ हो जाएंगा । उसके बाद 15 अगस्त को दिन में लगभग 10:00 बजे घर से लोकेश को एसओजी जाकर उठा लेती है और उसे यह कहा जाता है कि तुम्हें शटरिंग लगाना है । उधर 15 अगस्त को ही पुलिस दिलीप पासी के जीजा निवासी दीवर कोतारी के यहां जाकर उसकी अपाची बाइक उठा लाती है, जिसको मानसिंह और दिलीप को मुठभेड़ में बरामद दिखाती है । इसी तरह पुलिस रामचंद्र और विनोद को उठा लाती है और इन सब को एक कहानी में जोड़ करके आजम और एक अन्य लोगों के साथ कहानी में शामिल कर 9 लोगों को जोड़कर खुलासा कर देती है । पुलिस ने इस चीज का जिक्र नहीं किया कि एसओजी प्रभारी सिद्धार्थ सिंह पर जिस असलहा से फायर किया गया था आखिर वहां कौन सा है, वास्तव में इसकी जांच हो कि उस असलहा से गोली चली या नहीं आदि तमाम बातें जांच की विषय है । फिलहाल इस मामले में एसपी हेमराज मीणा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर घटना का खुलासा करते हुए कहा कि गिरफ्तार किए गए सारे लोग इस कांड में सम्मिलित हैं जिन को जेल भेजा जा रहा है ।

 

अब सवाल ये उठता है कि दिनांक 8 अगस्त को समय लगभग 11:00 बजे महिला बैंक मैनेजर पर एसिड फेंकने वाले दो बाइक सवार की पुलिस तलाश करती रही उधर जब मानसिंह और संतलाल मानसिंह जो कि कक्षा 9 का छात्राएं और उसकी उम्र 17 वर्ष बताई जा रही है, जो कि गरीब घर का मजदूरी करके किसी तरह जीवन यापन करता है । उसको पुलिस पकड़ ले जाकर 3 दिन बाद मुठभेड़ दिखाती है, इस कहानी के पीछे मास्टरमाइंड स्क्रिप्ट का लेखक कौन है ,यह एक बड़ा सवाल है । जिले में खासकर एसओजी पुलिस आए दिन फर्जी मुठभेड़ और खुलासा करके गुड वर्क दिखा करके अपनी पीठ थपथपा रही है ,वही निर्दोषों को झूठे मुकदमों में फंसा कर के जेल भेज रही है ,जिसकी जांच कराने वाला कोई नहीं है। जिले मे पुलिस बेलगाम हो गई है, खासकर एसओजी टीम जब जिसे चाहे उठा ले जाए और जब किसी मामले में पुलिस अपराधियों तक नहीं पहुंच पाती है तो निर्दोष लोगों को उठाकर उन पर आरोप मढ़कर जेल भेजती है और अपने आपको गुड वर्क करने का दावा करते हैं लेकिन यह सिलसिला काफी दिनों से जिले में चल रहा है ।

 

पीड़ित के परिजनों ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा है कि उनके लड़कों को गांव से उठा ले जाकर पुलिस ने गोली मारी है, जिसकी उच्च स्तरीय योगी सरकार जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करें और उनको न्याय दिलाएं । अब देखना यह है इस घटना के खुलासे के पीछे कितनी सच्चाई है और कितना मनगढ़ंत कहानी झूठ है और सच है ,कौन इस मामले का सही खुलासा करेगा या यह बड़ा सवाल है ।

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