कारगिल विजय दिवस पर जांबाज शहीदों को याद कर रहा है पूरा देश

नई दिल्ली,  सैन्य बलों के सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कारगिल युद्ध में शहीद हुए वीरों को याद करने के लिए बारामुला युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया, नौसेना के वाइस चीफ वाइस एडमिरल जी अशोक कुमार और सीआईएससी वाइस एडमिरल अतुल जैन ने कारगिल विजय दिवस पर दिल्ली में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके अलावा पूरे देश भर की सैन्य इकाइयों में कारगिल युद्ध के 527 शहीद बहादुरों को श्रद्धांजलि देकर उन्हें याद किया जा रहा है। पूरा देश आज ‘कारगिल विजय दिवस’ की 22वीं वर्षगांठ मना रहा है।

रक्षा मंत्रालय (सेना) मुख्यालय की ओर से ट्वीट करके कहा गया कि “22वें कारगिल विजय दिवस के अवसर पर हम अपने उन शहीद वीरों को याद करके उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं जिन्होंने हमारे राष्ट्र की क्षेत्रीय अखंडता को सुनिश्चित किया। यह देश हमारे वीरों की वीरता और बलिदान के लिए हमेशा ऋणी रहेगा।” युद्ध के नायकों को याद करते हुए सिंह ने ट्वीट किया “कारगिल विजय दिवस के अवसर पर मैं भारतीय सेना की अदम्य वीरता और बलिदान को सलाम करता हूं।” रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने भी सोमवार को कारगिल विजय दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी।

पूर्व सेना प्रमुख वेद मालिक ने कहा “राष्ट्र के लिए आपके साहस और वीरतापूर्ण सेवा को याद करते हुए, सभी वीरों को मेरा सलाम! जय हिन्द।” जयपुर में सप्त शक्ति कमान के सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एएस भिंडर ने कारगिल विजय दिवस पर प्रेरणा स्थल पर वीर योद्धाओं को श्रद्धांजलि दी और बहादुरों की वीरता और साहस से प्रेरणा लेने के लिए सभी रैंकों का आह्वान किया। लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) विनोद भाटिया ने ट्वीट किया कि “कारगिल के वीर योद्धाओं को नमन। युद्ध के इतिहास में कारगिल की ऊंचाइयों को फिर से हासिल करना अभूतपूर्व और अद्वितीय है। जीत के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले 527 और सभी वीर सैनिकों और नेताओं को सलाम।”

युद्ध के दौरान सैकड़ों लोगों की जान बचाने वाले तीन डॉक्टरों विजय कुमार, राजेश डब्ल्यू. अधाऊ और वीवी शर्मा ने भी पाकिस्तानी सैनिकों से लड़ते हुए सर्वोच्च बलिदान देने वाले बहादुरों को श्रद्धांजलि अर्पित की है। तीनों डॉक्टर अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं लेकिन अपनी सुरक्षा की परवाह किए बिना भारी गोलाबारी के बीच अग्रिम मोर्चे पर घायलों का इलाज करके भारतीय हताहतों की संख्या को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए इन्हें वीरता के लिए सेना पदक दिया गया।

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