कांग्रेस में कन्हैया और जिग्नेश की एंट्री:सुरजेवाला बोले- आज हमारे लिए खास दिन,

दोनों नेताओं की आवाज राहुल गांधी की आवाज से मिलकर और मजबूत होगी

CPI का दामन छोड़ने वाले कन्हैया कुमार कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। दिल्ली में हुए कार्यक्रम में मंगलवार को रणदीप सुरजेवाला और केसी वेणुगोपाल ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। इसी कार्यक्रम में गुजरात के दलित कार्यकर्ता और विधायक जिग्नेश मेवानी को भी कांग्रेस में शामिल होना था, लेकिन तकनीकी वजहों से वे पार्टी की सदस्यता नहीं ले पाए। उन्होंने कहा कि वे वैचारिक रूप से पार्टी से जुड़ गए हैं। इस दौरान पाटीदार नेता हार्दिक पटेल भी मौजूद रहे। माना जा रहा है कि कई राज्यों में बागियों से परेशान कांग्रेस अब युवाओं पर दांव खेल रही है।

हालांकि, पंजाब में सिद्धू के इस्तीफे की वजह से बने हालात की वजह से इस कार्यक्रम को तीन बार आगे बढ़ाया गया। सुरजेवाला ने कहा कि आज हम सब के लिए विशेष दिन है। इस मंच पर दो नौजवान बैठे हैं, जो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। जिन्होंने लगातार मोदी सरकार और हिटलरशाही जो इस देश में चल रही है, से अपने तरीके से व्यापक संघर्ष किया है। ये आवाज और मजबूत होगी, जब ये आवाज राहुल गांधी की आवाज से मिलकर एक और एक 11 हो जाएगी।

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवाणी को पार्टी की सदस्यता दिलाई।

कन्हैया ने बताया कांग्रेस में क्यों शामिल हुए…

कन्हैया ने कहा कि मैं कांग्रेस में शामिल हो रहा हूं, क्योंकि यह सिर्फ एक पार्टी नहीं है, एक विचार है। यह देश की सबसे पुरानी और सबसे लोकतांत्रिक पार्टी है। मैं ‘लोकतांत्रिक’ पर जोर दे रहा हूं… सिर्फ मैं ही नहीं कई लोग सोचते हैं कि देश कांग्रेस के बिना नहीं रह सकता।मैं कांग्रेस में इसलिए शामिल हो रहा हूं, क्योंकि मुझे ये महसूस होता है कि देश में कुछ लोग सिर्फ लोग नहीं हैं, वे एक सोच हैं। वे देश की सत्ता पर न सिर्फ काबिज हुए हैं, देश की चिंतन परंपरा, संस्कृति, मूल्य, इतिहास, वर्तमान, भविष्य खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।कांग्रेस एक बड़े जहाज की तरह है, अगर इसे बचाया जाता है, तो मेरा मानना है कि कई लोगों की आकांक्षाएं, महात्मा गांधी की एकता, भगत सिंह की हिम्मत और बीआर अंबेडकर के समानता के विचार की भी रक्षा की जाएगी। इसलिए शामिल हुआ हूं।

कन्हैया की एंट्री से पहले कांग्रेस में कलह, मनीष तिवारी ने उठाए सवाल
कन्हैया कुमार के कांग्रेस में शामिल होने से पहले कांग्रेस में विवाद छिड़ गया। पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने सोशल मीडिया पर कहा है कि कुछ कम्युनिस्ट नेताओं के कांग्रेस जॉइन करने की खबरें हैं। ऐसे में शायद 1973 में लिखी गई किताब ‘कम्युनिस्ट्स इन कांग्रेस’ को फिर से पढ़ा जाना चाहिए। चीजें जितनी बदलती हैं, उतनी ही समान रहती हैं। मैंने आज इसे फिर पढ़ा है।

कन्हैया के कांग्रेस जॉइन करने की अटकलें पिछले काफी समय से चल रही थीं। पिछले हफ्ते CPI महासचिव डी. राजा ने उनसे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अफवाहों को खारिज करने को कहा था। दिल्ली में पार्टी के दफ्तर में केंद्रीय नेता उनका इंतजार कर रहे थे, पर कन्हैया नहीं पहुंचे और पार्टी नेताओं के मैसेज और फोन कॉल्स का जवाब भी नहीं दिया। कन्हैया और जिग्नेश ने पिछले दिनों राहुल गांधी से मुलाकात भी की थी।

कांग्रेस मुख्यालय में कन्हैया कुमार के पोस्टर और होर्डिंग लगे हुए हैं।

बीजेपी ने कहा- ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ गैंग से हाथ मिला रही कांग्रेस
बीजेपी की IT सेल के प्रभारी अमित मालवीय ने कहा है कि सर्जिकल स्ट्राइक की एनिवर्सरी पर कांग्रेस ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ फेम कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवानी को शामिल कर रही है। यह सिर्फ इत्तेफाक नहीं हो सकता। ‘भारत तोड़ो’ फोर्स से हाथ मिलाना अब कांग्रेस का मकसद बन गया है।

देश विरोधी नारेबाजी से चर्चा में आए थे कन्हैया
कन्हैया कुमार 2016 में JNU में हुई कथित देश विरोधी नारेबाजी से पहली बार चर्चा में आए थे। उनका एक वीडियो सामने आया था, जिसमें वे आजादी-आजादी के नारे लगा रहे थे। इस विवाद के वक्त कन्हैया कुमार JNU में छात्रसंघ अध्यक्ष थे। फिर 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले वे CPI में शामिल हो गए थे। उन्होंने बेगूसराय से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन बीजेपी के गिरिराज सिंह से हार गए।

कन्हैया के आने से कांग्रेस को बिहार में फायदा हो सकता है
बिहार में जदयू और राजद जैसी क्षेत्रीय पार्टियों की बात करें या बीजेपी-कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियों की, सभी पार्टियों में दूसरी लाइन के नेता आगे आ रहे हैं। राजद में तो तेजस्वी ने कमान संभाल ही ली है। लोक जनशक्ति पार्टी का नेतृत्व चिराग पासवान के पास है। जदयू के नीतीश पहले ही कह चुके हैं कि अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे।

बीजेपी ने भी सुशील कुमार मोदी को मुख्य जिम्मेदारी से हटाकर संकेत साफ कर रखे हैं। ऐसे में कांग्रेस के पास कोई युवा नेता नहीं है, जो लंबी दूरी का घोड़ा बन सके। इसलिए उसे कन्हैया में संभावनाएं नजर आ रही हैं, जो लंबे समय में राज्य स्तर पर पार्टी को मजबूती दे सकते हैं।

जिग्नेश के खिलाफ कांग्रेस ने 2017 में नहीं उतारा था उम्मीदवार
जिग्नेश मेवानी गुजरात में कई आंदोलनों में लोगों को इकट्ठा कर दलित राजनीति के युवा चेहरे के तौर पर उभरकर सामने आए हैं। वे गुजरात के वडगाम से निर्दलीय विधायक हैं। माना जाता है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में जिग्नेश की जीत में कांग्रेस की भूमिका थी, क्योंकि कांग्रेस ने उनके खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था।

अब कांग्रेस जिग्नेश और पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के जरिए गुजरात में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बढ़त हासिल करने की कोशिश करेगी।

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