कैमूर : दीपावली के लिए मिट्टी के दीए बनाने में जुटे कुम्हार

दीपावली का पर्व नजदीक आते ही कैमूर जिले के कुम्हार मिट्टी के दीए बनाने में जुट गए है। लॉकडाउन में मिट्टी के बर्तन का कारोबार पूरी तरह बंद होने के बाद पुनः अपने व्यवसाय को पटरी पर लाने के उम्मीद में दिन रात कुम्हार मेहनत कर रहे हैं। पूरे देश में कोरोना के कारण लॉक डाउन होने के बाद पूरी तरह से व्यवसाय चरमरा गया था। मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों के पास लॉकडाउन में मिट्टी के बर्तन बनाने का काम ठप गया था जिससे उनके घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी, उन्हें उम्मीद थी कि दुर्गा पूजा के अवसर पर मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने और विभिन्न मूर्तियां बनाने में उनका व्यवसाय एक बार फिर रफ्तार पकड़ेगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। सरकार के गाइडलाइन आने के बाद दुर्गा पूजा भी फीका रहा। जिस कारण कुम्हारों के साथ भुखमरी की समस्या उत्पन्न होने लगी। अब दीयों का पर्व दीपावली आने वाला है और कुम्हार एक बार फिर से मिट्टी के दिए बनाने में जुट गए हैं । उन्हें उम्मीद है कि दुर्गा पूजा पर्व के बाद दीपावली में रौनक होगी और उनके मिट्टी के दीयों का डिमांड बढ़ेगा और वह अपने घर की जीविका के लिए कुछ कमाई कर लेंगे। लेकिन उन्हें अंदर ही अंदर एक चिंता भी सताए जा रही है कि जिस तरह से चकाचौंध रोशनी में चाइनीज लाइट और झालरों का डिमांड मार्केट में बढ़ा हुआ है कहीं उसके आगे फिर इनकी मेहनत बेकार ना चली जाए।

कुम्हार बताते हैं कि दीपावली पर्व के लिए हम लोग एक महीने पहले से तैयारियों में जुट जाते हैं, पहले की अपेक्षा मिट्टी भी महंगा हो गया है। हम लोग इस उम्मीद में मेहनत कर रहे हैं कि हम लोगों के मिट्टी के दीए दीपावली में खुब बिकेंगे तो कुछ पैसे की कमाई हो जाएगी। जिससे घर के खर्च चल पाएंगे। लेकिन जो चाइनीज लाइट और झालर मार्केट में आ गए हैं उससे काफी डर भी सता रहा है कि कहीं हमारी पूंजी डूब ना जाए। हम लोग चाहते हैं कि सरकार हम लोगों की मिट्टी के दीए को शहरों में भी बिकवाने का काम करें। जिससे कि हम लोगों को कुछ रोजगार मिल जाएगा।

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