पहले BJP मंत्री ने लड़कियों को बोला ‘शूर्पणखा’.. इस बार की कपड़ों पर ऐसी टिप्पड़ीं.. हो रहे जमकर ट्रोल !

आज शिव-शक्ति वन विकास उद्यान, इंदौर में आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के शहरी विकास मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने लड़कियों की पहनावे पर टिप्पणी की, जो सोशल मीडिया पर विवाद का कारण बनी। आइए विस्तार से जानते हैं इस संक्षिप्त मगर व्यापक प्रतिक्रिया प्राप्त बयान की पूरी जानकारी।

अखबारों की सुर्ख़ियाँ: बयान किसने दिया और कहाँ?

मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा:

“मुझे उन लड़कियों की उमराही पसंद नहीं होती जो बहुत कम कपड़े पहनती हैं। पश्चिम में कम कपड़े पहनना खूबसूरती माना जाता है, लेकिन मुझे वह स्वीकार्य नहीं है।”

उन्होंने यह टिप्पणी वृक्षारोपण कार्यक्रम में की थी, जब उन्होंने पश्चिमी संस्कृति के उस कहावत का भी ज़िक्र किया जिसमें कहा जाता है कि छोटे भाषण अच्छे होते हैं, ठीक वैसे ही जैसे कम कपड़े पहनना सुंदर माना जाता है – जो उन्हें गलत लगा।

बयान की अवधारणा: भारतीय संस्कृति और “देवी-धारणा”

मंत्री ने भारतीय संस्कृति पर भरोसा जताते हुए यह भी कहा:

“भारत में जो सज-धज कर, बिंदी, आभूषण पहनती हैं, उन्हें खूबसूरत माना जाता है। लड़की जो बहुत कम कपड़े पहनती है, वह मेरी विचारधारा में फिट नहीं बैठती।”

उन्होंने ट्वीट किया कि वे अक्सर “सेल्फ़ी करने आई लड़कियों” को सलाह देते हैं, “बेटा, अगली बार ठीक कपड़े पहनकर आना, तभी फोटो लेंगे।”

पिछली बयानबाज़ी: एक आदत बनती जा रही है

यह कोई नया मामला नहीं है जब कैलाश विजयवर्गीय ने महिलाओं के पहनावे पर टिप्पणी की हो। 2022 में भी उन्होंने कहा था:

“कुछ लड़कियाँ शूर्पणखा जैसी लगने लगी हैं। ईश्वर ने सुन्दर शरीर दिया है, कम से कम अच्छे कपड़े तो पहनिए।”

भले ही यह उनकी सांस्कृतिक मान्यताओं को प्रतिबिंबित करता हो, लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह संदेश महिलाओं की आज़ादी और आत्म-निर्णय का हनन करता है।

आलोचना का केंद्र: पितृसत्ता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता

कांग्रेस प्रवक्ता आनंद जत ने कहा:

“भाजपा के नेता बार-बार महिलाओं, उनके कपड़ों और उनकी छवि पर टिप्पणी करते हैं। उन्हें महिलाओं के मुद्दों की संवेदनशीलता समझनी होगी।”

अधिकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस तरह का रुख पितृसत्तात्मक मानसिकता को बढ़ावा देता है और महिलाओं के कपड़ों के चुनाव को नैतिकता से जोड़कर व्यक्तिगत आज़ादी पर सवाल खड़े करता है।

सार्वजनिक प्रतिक्रिया: सोशल मीडिया और आम राय

सोशल मीडिया पर #KailashVijayvargiya ट्रेंड करते हुए कई लोग उनके बयान को मिजोगिनिस्ट और अत्यधिक रूढ़िवादी बताते हुए आलोचना कर रहे हैं। कुछ समर्थक इसे “भारतीय संस्कृति की रक्षा” समझ रहे हैं, तो अधिकांश इसे नयी पीढ़ी की आज़ादी से जुड़ी संवेदनशीलता की अनदेखी करार दे रहे हैं।

संस्कृति बनाम आधुनिकता की लड़ाई

मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का यह बयान केवल एक व्यक्तिपरक विचार नहीं, बल्कि भारत में चल रही संस्कृति बनाम व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बहस का एक नया अध्याय बन गया है। जहां एक पारंपरिक दृष्टिकोण महिलाओं को “देवी रूप” में देखना चाहता है, वहीं दूसरी तरफ एक आधुनिक दृष्टिकोण समानता, सम्मान और आज़ादी की बात करता है।

क्या नरेंद्र मोदी नेतृत्व वाली सरकार इस बयान को खारिज करेगी, या इसे पार्टी की स्वीकृति मानकर आगे बढ़ती रहेगी — यह समय ही बताएगा।

 

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