ज्योतिरादित्य सिंधिया: सुरक्षित लैंडिंग कर पाएंगे नए उड्डयन मंत्री? ये होंगी 7 चुनौतियां

नई दिल्ली. केंद्रीय मंत्रिमंडल में बदलाव हो चुके हैं. मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सत्ता वापसी में अहम योगदान देने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को नागरिक उड्डयन मंत्रालय सौंपा गया है. इससे पहले यह जिम्मेदारी हरदीप सिंह पुरी के पास थी. इस मंत्रालय में उन्हें गाजियाबाद के प्रतिनिधि जनरल वीके सिंह का साथ भी मिलेगा. कोरोना वायरस महामारी के इस उथल-पुथल वाले माहौल में दोनों नेताओं ने यह जिम्मेदारी ऐसे वक्त पर मिली है, जब सेक्टर परेशानियों का सामना कर रहा है.

हालांकि, इससे पहले ज्योतिरादित्य के पिता दिवंगत माधवराव सिंधिया भी यह मंत्रालय के प्रमुख रह चुके हैं. वे 1991 से 1993 तक पीवी नरसिम्हा राव कैबिनेट के सदस्य थे. अपने पिता के संभाले हुए पद को सालों बाद दोबारा संभालने जा रहे ज्योतिरादित्य के सामने सात चुनौतियां होंगी.

एयर इंडिया विनिवेश: अभी तक यह साफ नहीं है कि इस प्रक्रिया में बोली लगाने वाले कितने पक्ष अंतिम दौर तक पहुंचे हैं. बार-बार यह कहा जा रहा है कि चीजें चल रही हैं और विजेता की घोषणा जल्दी की जा सकती है. मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तब तक इसपर खास ध्यान लगाने की जरूरत है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सकते कि प्रक्रिया पटरी से ना उतरे. क्योंकि अन्य की तुलना में यही सरकार राष्ट्रीय कैरियर के विनिवेश में नजदीक तक पहुंची है.

क्षेत्रीय संपर्क: प्रधानमंत्री की योजना RCS-UDAN को जैसी सफलता मिलनी चाहिए थी, वैसी नहीं मिली. एयर डेक्कन, एयर ओडिशा जैसी उड़ान सेवाओं का दिवालिया निकल गया है और स्पाइसजैट ने शुरू किए जाने के बाद कई मार्ग बंद कर दिए हैं. वहीं, 100 नए हवाईअड्डों की योजना पर भी खास प्रगति नहीं हुई.

हवाई अड्डों का निजीकरण: कोरोना महामारी के कारण कम हुए हवाई यातायात ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं. ऐसे में इस प्रक्रिया में शामिल होने के लिए ज्यादा लोगों को शामिल करना मुश्किल काम होगा.

एयरपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर: रिपोर्ट के अनुसार, महामारी से पहले देश में एयरपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल बड़े स्तर पर हो रहा था. हालात ये हुए कि मुंबई में क्षमता पार कर गई और ऐसे ही हाल देश के शीर्ष 15 हवाई अड्डों पर हैं. मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, डिफेंस एयरपोर्ट्स पर नागरिक सेवाओं को बढ़ाने के लिए जगह की कमी होने का मतलब है कि पुणे, गोवा, विजाग, पोर्ट ब्लेयर और जम्मू समेत कई जगहों पर उड़ानों के संचालन में इजाफा नहीं किया जा सकता.

एटीएफ: एवियेशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग लंबे समय से की जा रही है. जीएसटी के लागू होने से पहले से भी देश में टैक्स की समान दर की मांग की जा रही थी. रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा कुछ नहीं हुआ. अब जैसे-जैसे ईंधन की कीमतें ऊपर बढ़ रही हैं, तो इसका असर एयरलाइन्स पर पहले से भी ज्यादा दिखने लगा है.

हवाई सुरक्षा: लंबे समय के बाद बीते साल कालीकट में एक दुर्घटना हुई थी. ICAO और अमेरिकी नियामक FAA इस घटना पर ऑडिट रिपोर्ट तैयार कर रही हैं. इसमें कहा जा रहा है कि कोई भी विपरीत बात सामने आने पर भारत की एयरलाइन्स अमेरिका तक नया हवाई मार्ग शुरू नहीं कर पाएंगी.

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