कौन हैं जस्टिस बीवी नागरत्ना, जो 2027 में बन सकती हैं भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश

सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने मंगलवार को सरकार के पास सुप्रीम कोर्ट में खाली पड़ी वैकेंसी के लिए नौ नामों की सिफारिश की है। इन नौ नामों में जस्टिस बीवी नागरत्ना का नाम भी शामिल है। ऐसा बताया जा रहा है कि साल 2027 में ये देश की पहली महिला मुख्य न्यायधीश बन सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार 9 नामों को मंजूरी दी थी जिनमें 3 महिलाओं के नाम थे। उनमें से एक नाम जस्टिस नामरत्ना का भी था। जस्टिस बीवी नागारत्ना कर्नाटक हाईकोर्ट की जज हैं। वो देश में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके ईएस वेंकटरमैया की बेटी हैं।

वकील के रूप में करियर की शुरुआत

जस्टिस नागरत्ना ने बेंगलुरु में एक वकील के रूप में अपने करियर की  शुरुआत की थी। फरवरी 2008 में इन्हें कर्नाटक एचसी में एक अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। इसके दो साल बाद उन्हें स्थायी न्यायाधीश बनाया गया। जस्टिस नागरत्ना के पिता, ईएस वेंकटरमैया 1989 में लगभग छह महीने के लिए CJI थे। अगर केंद्र सरकार जस्टिस नागरत्ना के नाम को मंजूरी दे देती है, तो वह 2027 में एक महीने से अधिक समय के लिए CJI होंगी।

कठिन स्थितियों का सामना करने में माहिर

नवंबर 2009 में जस्टिस नागरत्ना को कर्नाटक HC के दो अन्य न्यायाधीशों के साथ एक कमरे में बंद कर दिया गया था। विरोध करने वाले वकीलों के एक समूह ने उन्हें अदालत के कमरे में बंद कर दिया था। लेकिन न्यायमूर्ति नागरत्ना ने गरिमापूर्ण तरीके से इस स्थिति का सामना किया। घटना के बाद में उन्होंने कहा: “हम नाराज नहीं हैं, लेकिन हमें दुख है कि बार ने हमारे साथ ऐसा किया है। हमें शर्म से सिर झुकाना पड़ रहा है।”

2012 में, न्यायमूर्ति नागरत्ना ने इलेक्ट्रोनिक मीडिया को रेगुलेट करने की जरूरत पर जोर देते हुए एक जजमेंट दिया था

उन्होंने अपने फैसले में लिखा, ” किसी भी चैनल के लिए सूचना का सच्चा प्रसार करना एक अनिवार्य आवश्यकता है, ‘ब्रेकिंग न्यूज’, ‘फ्लैश न्यूज’ या किसी अन्य रूप में सनसनीखेज पर अंकुश लगाया जाना चाहिए।”

2019 के एक फैसले में, न्यायमूर्ति नागरत्ना ने फैसला सुनाया कि एक मंदिर “व्यावसायिक प्रतिष्ठान” नहीं है और इसलिए कर्नाटक में एक मंदिर के कर्मचारी ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम के तहत ग्रेच्युटी के हकदार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर के कर्मचारी कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थानों और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम के तहत ग्रेच्युटी लाभ के हकदार होंगे, यह ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम के तहत नहीं बल्कि राज्य में अधिनियमि के तहत एक विशेष कानून है।

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