पत्रकार सावधान, खबर पत्रकारों के लिए एलर्ट

बिना पुष्टि के तोड़-मडोर कर गलत तथ्यों पर नकारात्क खबर किया तो DM संस्थान को पत्र भेज कर स्पस्टीकरण मांग सकते हैं

हाल ही में उत्तरप्रदेश में एक सूचनापत्र जारी किया जिसके अंदर मीडिया को यह कहा गया की जो भी वह समाचार देगी वो सरकार द्वारा जांच के बाद देगी

जानिए इस सूचनापत्र को लेकर पत्रकारों का इस विषय पर क्या विचार है

१, शीतल प. सिंह
इस विषय पर उनके विचार जानकार हमें यह पता चला कि सुप्रीम कोर्ट में जो भी चल रहा है उसमे सरकार का फायदा है और पत्रकारों का नुक्सान है, जिसकी वजह से उन्होंने यह दर्शाया की जनता देर से मिलेंगे और उन्होंने इस बात पर दबाव डालते हुए बोलै की यह एक प्रकार का सेंसरशिप है

२. जे पि सिंह
उनके दृष्टिकोण से हमे यह ज्ञात हुआ कि समाचार लिखने से पहले हमें ज़रुरत नहीं है , उसे क्रॉस चेक करने की, उन्होंने यह भी कहा की हमारे जो तथ्य है उनकी जांच सरकार बाद में भी कर सकती है

३. अजय शुक्ला
अजय शुक्ला की बातों से हमे यह प्रतीत हुआ कि, यह सूचनापत्र निश्चित रूप से गलत है, इसके वह खिलाफ है और यह अधिनियम जो सरकार द्वारा निकाला गया है वह बिलकुल सेंसरशिप का दूसरा प्रकार है , उन्होंने यह भी कहा की इससे पत्रकार और संपादक में डर बना रहेगा

४. अनिल जयहिंद
इनका यह कहना था कि अगर सूचनापत्र के हिसाब से, अगर मीडिया सरकार के हिसाब से चलेगा तो सरकार मीडिया के हिसाब से चलेगी, उनका कहना है कि हम मीडिया चलाएंगे पर समझदारी से चलाएंगे जो आम जनता के लिए देश हित्त में हो, नेशनल इंटीग्रेशन क्र हित्त में हो, समाधिक सौहाद्र के हित्त में हो

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