झीरम की रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपने पर सवाल:कांग्रेस ने बताया मान्य प्रक्रिया का उल्लंघन

पूछा-सरकार से क्या छिपाने की कोशिश

झीरम घाटी कांड की न्यायिक जांच रिपोर्ट सामान्य प्रशासन विभाग की जगह राज्यपाल को सौंपे जाने पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। प्रदेश कांग्रेस ने इसे मान्य प्रक्रिया का उल्लंघन बताया है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने पूछा है, इस रिपोर्ट में ऐसा क्या है जिसे सरकार से छिपाने की कोशिश की जा रही है।

सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि सामान्य तौर पर जब भी किसी न्यायिक जांच आयोग का गठन होता है वह अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपता है। झीरम नरसंहार के लिए गठित जस्टिस प्रशांत मिश्रा आयोग की ओर से रिपोर्ट सरकार के बदले राज्यपाल को सौंपना ठीक संदेश नहीं दे रहा है। जब आयोग का गठन किया गया था तब इसका कार्यकाल 3 महीने का था। आयोग ने हाल ही में यह कहते हुए सरकार से कार्यकाल बढ़ाने की मांग की थी कि जांच रिपोर्ट रिपोर्ट तैयार नहीं है, इसमें समय लगेगा। जब रिपोर्ट तैयार नहीं थी, आयोग इसके लिए समय मांग रहा था फिर अचानक रिपोर्ट कैसे जमा हो गई यह भी शोध का विषय है।

कांग्रेस नेता सुशील आनंद शुक्ला

शुक्ला ने पूछा, इस रिपोर्ट में ऐसा क्या है जो सरकार से छिपाने की कोशिश की जा रही है। कांग्रेस नेताओं ने कहा, झीरम हमले में कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेताओं की एक पूरी पीढ़ी सहित 31 लोगों को खोया है। यह दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक हत्याकांड था। इस हमले के पीछे की पूरी सच्चाई सामने आनी ही चाहिए।

रिपोर्ट देखे बिना नए आयोग की मांग
कांग्रेस नेताओं ने अभी तक न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट नहीं देखी है। इसके बावजूद नए जांच आयोग की मांग शुरू हो गई है। सुशील आनंद शुक्ला ने कहा, इस पूरे मामले में पूर्ववर्ती सरकार की और NIA की भूमिका संदिग्ध रही है। कांग्रेस पार्टी राज्य सरकार से मांग करती है कि झीरम कांड के व्यापक जांच के लिए एक वृहत न्यायिक जांच आयोग का गठन कर षड्यंत्र की नए सिरे से जांच करवाई जाए। शुक्ला ने कहा, प्रदेश की जनता इस मामले के षड्यंत्रकारियों को बेनकाब होते देखना चाहती है।

शनिवार को सौंपी गई रिपोर्ट
झीरम घाटी हमले की जांच कर रहे न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा न्यायिक जांच आयोग ने शनिवार शाम राज्यपाल अनुसूईया उइके को जांच रिपोर्ट सौंप दी है। झीरम हत्याकांड जांच आयोग के सचिव और छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार संतोष कुमार तिवारी यह रिपोर्ट लेकर राजभवन पहुंचे थे। न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा अभी आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं। बताया जा रहा है, उनके बिलासपुर से निकलने से पहले ही इस रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया गया। यह रिपोर्ट 10 खंडों और 4 हजार 184 पेज में तैयार की गई है।

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