सावन का सबसे बड़ा हादसा: 18 कावड़ियों की मौत.. चारों तरफ चीख-पुकार और खून, बस एक गलती और सब खत्म

झारखंड के देवघर जिले में मंगलवार सुबह एक दर्दनाक सड़क हादसे में 18 कांवड़ियों की जान चली गई। घटना मोहनपुर थाना क्षेत्र के गोड्डा-देवघर मुख्य मार्ग पर घटी, जहां श्रद्धालुओं से भरी बस और ट्रक की जोरदार टक्कर हो गई। स्थानीय लोगों ने बताया कि बस में बैठे सभी लोग कांवड़ यात्रा पर थे और दुर्घटना के समय भोलेनाथ के दर्शन के लिए बाबा बैद्यनाथ धाम जा रहे थे।
20 से ज्यादा श्रद्धालु घायल, हालत गंभीर
हादसे में 20 से ज्यादा श्रद्धालु गंभीर रूप से घायल हुए हैं। पुलिस और स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे और घायलों को मोहनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) पहुंचाया गया, जहां से उन्हें देवघर सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया। मोहनपुर थाना प्रभारी प्रियरंजन पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर मौजूद रहे। मृतकों की पहचान का कार्य जारी है और सभी शव फिलहाल देवघर सदर अस्पताल में रखे गए हैं।
BJP सांसद निशिकांत दुबे ने जताया शोक
देवघर से सांसद निशिकांत दुबे ने हादसे पर शोक जताते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:
“मेरे लोकसभा क्षेत्र देवघर में सावन महीने की कांवड़ यात्रा के दौरान बस और ट्रक के बीच दुर्घटना में 18 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। बाबा बैद्यनाथ जी उनके परिजनों को यह दुख सहने की शक्ति दें।”
सावन में तीसरी बड़ी धार्मिक दुर्घटना
यह हादसा सावन महीने में देश में हुई तीसरी बड़ी धार्मिक दुर्घटना है।
- 27 जुलाई को हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में भगदड़ मच गई थी, जिसमें 8 लोगों की मौत और 30 घायल हुए थे।
- 28 जुलाई को उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में अवसानेश्वर महादेव मंदिर के बाहर बिजली का तार गिरने से भगदड़ हुई, जिसमें 2 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए।
इन घटनाओं ने प्रशासन की व्यवस्था और भीड़ नियंत्रण को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
प्रशासनिक चूक या दुर्भाग्य?
देवघर हादसे ने एक बार फिर सावन के पवित्र महीने में यात्रियों की सुरक्षा को लेकर प्रशासनिक तैयारियों पर सवाल खड़े किए हैं। ऐसे समय में जब लाखों श्रद्धालु देशभर से कांवड़ लेकर धार्मिक स्थलों की ओर रुख करते हैं, सड़क और भीड़ प्रबंधन को लेकर सख्त मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) की जरूरत महसूस की जा रही है।
प्रशासन के लिए चेतावनी
कांवड़ यात्रा के दौरान हुई इस भीषण दुर्घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है। यह हादसा न केवल श्रद्धालुओं के लिए बल्कि प्रशासन के लिए भी एक चेतावनी है कि धार्मिक अवसरों पर भीड़ और यातायात व्यवस्था को लेकर लापरवाही की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।