Jharkhand विधानसभा चुनाव: हिंदुत्व और आदिवासी मुद्दे के बीच गरमााई राजनीति
Jharkhand विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने चुनावी प्रचार में हिंदुत्व को एक प्रमुख मुद्दा बनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह दोनों ने राज्य में हिंदू धर्म को खतरे में बताकर हिंदुत्व का नैरेटिव स्थापित किया।
Jharkhand ,भा.ज.पा. ने हिंदुत्व को प्रमुख मुद्दा बनाया
Jharkhand विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने चुनावी प्रचार में हिंदुत्व को एक प्रमुख मुद्दा बनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह दोनों ने राज्य में हिंदू धर्म को खतरे में बताकर हिंदुत्व का नैरेटिव स्थापित किया। गढ़वा में प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी रैली में कहा कि राज्य में दुर्गा माता की प्रतिमा की स्थापना में अड़चनें आ रही हैं और स्कूलों में सरस्वती वंदना को रोका जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठ की ओर भी इशारा किया, और कहा कि यह घुसपैठिए राज्य की भूमि, बेटी और रोटी पर कब्जा कर रहे हैं।
मोदी के इस बयान के बाद जनता के बीच जय श्री राम के नारे भी सुनाई देने लगे। इस बयान से बीजेपी ने हिंदुत्व का समर्थन करने वाले मतदाताओं को जोड़ने की कोशिश की, और चुनावी माहौल को गरमा दिया।
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झामुमो और कांग्रेस का सरना धर्म कोड पर जोर
इस धार्मिक राजनीति के जवाब में Jharkhand मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस ने आदिवासी समुदाय के मुद्दे को उठाया है। झामुमो-कांग्रेस गठबंधन ने ‘सरना धर्म कोड’ और 1932 के खतियान को मुख्य मुद्दा बनाया। दोनों दलों का कहना है कि आदिवासी समाज के हितों को ध्यान में रखते हुए इन मुद्दों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। झामुमो और कांग्रेस का मानना है कि इन मुद्दों को लेकर बीजेपी ने आदिवासी समाज के प्रति भेदभाव किया है, और राज्य में भाजपा सरकार आदिवासियों के अधिकारों को छीनने का काम कर रही है।
आदिवासी समाज का मुद्दा: हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन का बयान
वहीं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके साथ झामुमो की वरिष्ठ नेता कल्पना सोरेन ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह आदिवासी समाज के मुख्यमंत्री बनने के खिलाफ है। उनका कहना था कि भाजपा आदिवासी समुदाय के अस्तित्व को नष्ट करने की साजिश कर रही है और उनकी संस्कृति तथा परंपराओं को समाप्त करने का प्रयास कर रही है। झामुमो ने यह दावा किया कि आदिवासी समाज खुद को इस चुनाव में निर्णायक भूमिका में देख रहा है और वह भाजपा की नीति को स्वीकार नहीं करेगा।
राजनीतिक जंग का केंद्र: हिंदुत्व बनाम आदिवासी अधिकार
इन दोनों प्रमुख मुद्दों के बीच Jharkhand विधानसभा चुनाव में माहौल गर्मा गया है। जहां बीजेपी ने राज्य में हिंदुत्व का कार्ड खेला है, वहीं झामुमो और कांग्रेस आदिवासी अधिकारों की रक्षा करने की बात कर रहे हैं। बीजेपी के लिए यह चुनाव हिंदुत्व को मजबूत करने और आदिवासी वोट बैंक में सेंध लगाने का मौका बन गया है, जबकि झामुमो और कांग्रेस का ध्यान आदिवासी समाज की संस्कृति और अधिकारों को सुरक्षित रखने पर है।
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Jharkhand विधानसभा चुनाव में यह संघर्ष केवल एक राजनीतिक लड़ाई नहीं है, बल्कि यह दो अलग-अलग विचारधाराओं का संघर्ष बन गया है – हिंदुत्व और आदिवासी अधिकार। जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहे हैं, दोनों ही पक्ष अपने-अपने मुद्दों को लेकर मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। यह चुनाव राज्य के भविष्य और सामाजिक समीकरणों को प्रभावित करने वाला हो सकता है।