राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वीकार किया ‘धनखड़’ का इस्तीफा.. चुनाव की तैयारी शुरू, जानिए अब आगे क्या होगा ?

नई दिल्ली। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक इस्तीफा देकर पूरे राजनीतिक परिदृश्य को चौंका दिया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और इसके साथ ही नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया तेज़ हो गई है। यह घटनाक्रम ऐसे समय पर हुआ है जब संसद का मानसून सत्र जारी है और विपक्ष सरकार पर लगातार हमलावर है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने धनखड़ का इस्तीफा स्वीकार किया
21 जुलाई को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति भवन से आधिकारिक पुष्टि हुई कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनका इस्तीफा मंज़ूर कर लिया है। धनखड़ का कार्यकाल नवंबर 2027 तक होना था, लेकिन उन्होंने समय से पहले पद छोड़ने का फैसला किया।
अब उपराष्ट्रपति चुनाव की तैयारियां तेज़
धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया को लेकर हलचल तेज़ हो गई है। भारत के संविधान के अनुसार, इस्तीफे के 6 महीने के भीतर नए उपराष्ट्रपति का चुनाव अनिवार्य है। ऐसे में चुनाव आयोग जल्द ही तारीख़ों की घोषणा कर सकता है। संसदीय स्रोतों के मुताबिक, अगस्त के पहले सप्ताह में नामांकन प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है।
संसद में भूमिका निभाने वाले धनखड़ को क्यों जाना पड़ा?
धनखड़ अपने कार्यकाल में कई बार चर्चा में रहे। संसद के उच्च सदन राज्यसभा के सभापति के रूप में उन्होंने तीखे तेवर अपनाए और विपक्षी दलों के बीच अक्सर विवाद की स्थिति बनी रही। उन्होंने नियमों के सख्त पालन पर ज़ोर दिया, जिससे सत्ता पक्ष के बीच वे लोकप्रिय तो रहे लेकिन विपक्ष उनसे लगातार असहमति जताता रहा। हाल की घटनाओं और सदन में हुए टकरावों के बाद उनके इस्तीफे को लेकर कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।
विपक्ष और सत्ता पक्ष की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं
धनखड़ के इस्तीफे के बाद विपक्षी दलों ने इसे लोकतंत्र की मजबूती के लिए एक अवसर बताया, जबकि सत्ता पक्ष ने इसे व्यक्तिगत निर्णय करार दिया है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि धनखड़ ने अपने पद की गरिमा बनाए रखी और संविधान के अनुसार काम किया। कांग्रेस और अन्य दलों ने चुनाव आयोग से निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने की मांग की है।
अगले उपराष्ट्रपति को लेकर राजनीतिक अटकलें
धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब अगले उपराष्ट्रपति के नाम को लेकर चर्चाएं तेज़ हो गई हैं। एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों ही अपने-अपने उम्मीदवार को लेकर रणनीति बना रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक भाजपा एक अनुभवी दलित या आदिवासी नेता को मैदान में उतार सकती है, जबकि विपक्ष किसी सर्वमान्य चेहरे पर सहमति बनाने की कोशिश करेगा।
भारत में उपराष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया: एक व्यवस्थित विवरण
🔹 1. चुनाव का आयोजन कौन करता है?
उपराष्ट्रपति के चुनाव का आयोजन भारत का चुनाव आयोग करता है। इसके लिए एक तय शेड्यूल जारी किया जाता है जिसमें नामांकन, जांच, नाम वापसी और मतदान की तिथि होती है।
🔹 2. चुनाव कब होता है?
- उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 साल का होता है।
- वर्तमान उपराष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त होने से पहले नया उपराष्ट्रपति चुन लिया जाता है, ताकि संवैधानिक रिक्तता न हो।
🔹 3. चुनाव में कौन वोट देता है?
उपराष्ट्रपति के लिए आम जनता मतदान नहीं करती। इसके लिए एक विशेष निर्वाचक मंडल (Electoral College) होता है जिसमें शामिल होते हैं:
- लोकसभा के सभी निर्वाचित और मनोनीत सदस्य
- राज्यसभा के सभी निर्वाचित और मनोनीत सदस्य
👉 यानी केवल संसद के दोनों सदनों के सदस्य ही उपराष्ट्रपति का चुनाव करते हैं। इसमें विधानसभाओं की कोई भूमिका नहीं होती।
🔹 4. मतदान की विधि (Voting System)
- चुनाव गोपनीय मतदान (secret ballot) के ज़रिए होता है।
- इसमें प्राथमिकता आधारित मतदान प्रणाली (Proportional Representation by Single Transferable Vote) अपनाई जाती है।
- सांसद अपने मतपत्र पर उम्मीदवारों की प्राथमिकता अंकित करते हैं (1, 2, 3…)।
🔹 5. योग्यता (Eligibility)
उपराष्ट्रपति पद के लिए किसी भी उम्मीदवार को निम्नलिखित योग्यताएं पूरी करनी होती हैं:
- भारत का नागरिक हो
- कम से कम 35 वर्ष की आयु हो
- राज्यसभा का सदस्य बनने के योग्य हो
- किसी लाभ के पद पर न हो (सरकारी नौकरी आदि)
🔹 6. नामांकन और स्क्रूटनी प्रक्रिया
उम्मीदवार को अपना नामांकन पत्र कम से कम 20 प्रस्तावकों और 20 अनुमोदकों के साथ दाखिल करना होता है।
- साथ ही 15,000 रुपये की जमानत राशि भी जमा करनी होती है।
- चुनाव अधिकारी नामांकन पत्रों की जांच करता है और वैधता तय करता है।
🔹 7. परिणाम की घोषणा
- वोटों की गिनती के बाद चुनाव अधिकारी परिणाम की घोषणा करता है।
- जिसे सर्वाधिक वैध प्राथमिक वोट मिलते हैं, वह विजयी घोषित होता है।
🔹 8. उपराष्ट्रपति की शपथ
नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति भारत के राष्ट्रपति के समक्ष शपथ लेते हैं। शपथ के बाद वे राज्यसभा के सभापति (Chairman) के रूप में कार्यभार ग्रहण करते हैं।