एक के बाद एक हो रही घोड़ों की मौत, फैली कोरोना से भी घातक महामारी.. जानिए क्या है गैलेंडर की बिमारी ?

मध्य प्रदेश के जबलपुर में हाल ही में 57 घोड़ों को हैदराबाद से लाया गया था, जिनमें से 8 की गर्मियों में अचानक मृत्यु हो गई। शुरुआती रिपोर्ट्स में “ग्लैंडर्स” बीमारी की आशंका जताई गई, लेकिन पशु चिकित्सा जांच में अधिकांश घोड़ों की रिपोर्ट गायब आई, जिससे मामले ने एक रहस्य का रूप अपना लिया।

रहस्यमयी मौतों की शुरुआत

27 अप्रैल से 5 मई 2025 के बीच 11 ट्रकों में 57 विभिन्न नस्लों के घोड़े – जैसे कि कथियावाड़ी, मारवाड़ी और थॉरोग्हब्रेड़ – जबलपुर के रायपुरा गांव लाए गए
5 मई के बाद अचानक बीमारी का असर शुरू हुआ और 7 से 13 मई तक 8 घोड़ों की मौत हुई ।

ग्लैंडर्स की जांच और प्रारंभिक प्रतिक्रिया

जब सूचना मिली, तो जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना ने त्वरित सहायता के आदेश दिए, और समीप के पशु चिकित्सा कॉलेज की टीम भेजी गई ।

खून के नमूनों को राष्ट्रीय घोड़ा शोध केंद्र, हिसार भेजा गया, जिसमें प्रारंभिक रूप से 55 में से 55 घोड़ों की रिपोर्ट ग्लैंडर्स-नैगेटिव आई ।

दो नमूनों की पुन जांच की जा रही है ।

गर्मी या संक्रमण ?

पशु चिकित्सकों का मानना है कि घोड़ों की मौत का मुख्य कारण हीटस्टोक और ट्रांसपोर्ट का तनाव रहा, जबकि ग्लैंडर्स संक्रमण की संभावना अब कम हो गई है ।

पशु संभालने वाले कर्मियों के स्वास्थ्य की भी जांच की जा रही है ताकि किसी इंसानी संक्रामण की आशंका से निपटा जा सके ।

पशु अधिकार और ट्रांसपोर्ट की शर्तों पर सवाल

PETA से जुड़े विचारकों ने आरोप लगाया है कि ये घोड़े ऑनलाइन जुआ रैकेट के हिस्से थे और इन्हें ट्रांसपोर्ट करते समय अवैध कागज़ात और अनुमति के बिना भेजा गया।

राजस्थान की खिलाड़ी लावण्या शेखावत और पूर्व सांसद मेनका गांधी ने प्रशासन को लिखा, पशु क्रूरता अधिनियम के तहत कड़ी कार्यवाही की मांग की और घोड़ों की देखभाल सुनिश्चित करने को कहा ।

घोड़ा फार्म एवं संभावित कानूनी प्रभाव

ट्रांसपोर्ट का उद्देश्य राज्य में प्रथम बड़े रिस्कोर्स रेसकोर्स खोलना था, लेकिन मौतों ने इसके अस्तित्व पर सवाल खड़े कर दिए ।

मुख्य जांच अब इस ओर केंद्रित है कि क्या कृषि विभाग से अनुमति ली गई थी और स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का पालन हुआ या नहीं ।

ग्लैंडर्स डिजीज क्या है?

ग्लैंडर्स – एक सूक्ष्मजीवजनित बीमारी है जो बुर्खोल्डेरिअ मल्ली बैक्टीरिया के कारण होती है और जो खासकर घोड़ों, गधे और गधे पर असर करती है।

लक्षणों में नाक का रिसाव, बुखार, फेफड़ों का संक्रमण, कमजोरी, ग्रंथियों की सूजन और अल्सर शामिल हो सकते हैं।

यह जोनेटिक रोग है, इसलिए मानव को भी संक्रमित कर सकता है, खासकर जो लोग सीधे संपर्क में आते हैं जैसे सरकार विभाग या पशु चिकित्सक ।

भारत में यह बीमारी पहले भी कई राज्यों में देखी जा चुकी है, और हिसार-आधारित राष्ट्रीय जैविक प्रयोगशाला इसका सर्वेक्षण कर चुकी है ।

जबलपुर में लाए गए 57 घोड़ों में से 8 की मौत ने एक बड़े पशु कल्याण, लाइसेंस और सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट को जन्म दिया है। ग्लैंडर्स इन्फेक्शन की आशंका तो दूर होती नजर आ रही है, लेकिन ट्रांसपोर्ट की अनियमितता, पशु स्वास्थ्य, सरकार की जवाबदेही और कानूनी पहलुओं पर इसके दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं। अब यह देखना है कि जांच अधिकारी क्या निष्कर्ष निकालते हैं और आगे सरकार, पशु हक़ और लोक स्वास्थ्य की चेकिंग को कैसे मजबूत बनाती है।

 

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