Video Viral: असिस्टेंट कमिश्नर ने शराब की दुकान में घुसकर की मारपीट, इन्ही पर हुआ था तलवारों से हमला..

मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में सहायक आबकारी आयुक्त संजीव दुबे एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें दुबे शराब दुकान के भीतर घुसकर कर्मचारी के साथ अभद्रता करते और धमकाते नजर आ रहे हैं। इस वीडियो के सामने आने के बाद शराब ठेकेदारों ने उन पर VIP सुविधा के नाम पर हर महीने लाखों रुपये की वसूली का आरोप लगाया है। हालांकि, दुबे ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है।

वायरल वीडियो में क्या है?

वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि संजीव दुबे जबलपुर के बरेला क्षेत्र की एक शराब दुकान में घुसकर कर्मचारियों पर चिल्ला रहे हैं। वीडियो में उनका गुस्से में कहना सुना जा सकता है कि “यहां का VIP मैं हूं, अब जो होगा वह मैं तय करूंगा।” वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया है, जिससे विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं।

हर महीने 2.64 करोड़ की ‘VIP फीस’ की मांग

इस घटना के बाद शराब ठेकेदारों ने सार्वजनिक तौर पर आरोप लगाया कि संजीव दुबे उनसे हर महीने 2.64 करोड़ रुपये की ‘VIP फीस’ की मांग करते हैं। यह राशि कथित रूप से अधिकारियों और नेताओं को ‘खुश रखने’ के लिए ली जाती है। ठेकेदारों ने कहा कि इस राशि का कोई वैध दस्तावेज नहीं है और यह सिर्फ दबाव में दी जाती रही है।

संजीव दुबे की सफाई: ‘मेरे खिलाफ साजिश रची जा रही है’

सहायक आयुक्त संजीव दुबे ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा कि “मैं जब शराब दुकान पर गया तो वहां अवैध शराब के कांच के गिलास रखे हुए थे। यह नियमों का उल्लंघन है। दुकान में नशे की हालत में लोग मौजूद थे। जब मैंने इसका विरोध किया तो कर्मचारियों ने मुझे अपशब्द कहे और मुझ पर झूठे आरोप मढ़ दिए।” दुबे ने यह भी कहा कि वीडियो को एडिट कर उनकी छवि खराब की जा रही है।

2006 का हमला भी आया चर्चा में

इस विवाद के बीच एक पुराना मामला भी चर्चा में आ गया है। साल 2006 में रतलाम जिले में तैनाती के दौरान संजीव दुबे पर शराब माफियाओं ने तलवार से जानलेवा हमला किया था, जिसमें वे गंभीर रूप से घायल हुए थे। इस मामले में कोर्ट ने हमलावरों को सजा सुनाई थी। दुबे ने इसी संदर्भ में कहा, “मैं हमेशा सिस्टम के भीतर रहकर काम करता हूं, इसलिए शराब माफियाओं की आंखों में चुभता हूं।”

आबकारी विभाग की चुप्पी पर उठे सवाल

पूरा मामला सामने आने के बाद भी आबकारी विभाग की तरफ से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। ना ही अब तक कोई जांच समिति गठित की गई है। विभाग की चुप्पी और VIP वसूली के आरोपों पर चुप्पी ने कई तरह के संदेह को जन्म दिया है। विपक्षी दलों ने भी सरकार पर ऐसे अधिकारियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है।

क्या कानून से ऊपर हैं आबकारी अधिकारी?

यह मामला सिर्फ एक वीडियो या एक अफसर पर आरोप का नहीं है, बल्कि एक बड़ी प्रणालीगत समस्या की ओर इशारा करता है। यदि आरोप सही हैं, तो यह शासन-प्रशासन और कानून की साख के लिए बड़ा झटका है। यदि आरोप गलत हैं, तो ऐसे वीडियो वायरल कर अधिकारियों को बदनाम करने की प्रवृत्ति भी चिंता का विषय है। लेकिन सबसे अहम बात यह है कि बिना निष्पक्ष जांच के किसी निष्कर्ष पर पहुंचना सही नहीं होगा।

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